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वीपीएन के इस्तेमाल पर रोक की जरूरत: डीजीपी

नगरोटा में मारे गए आतंकी पाकिस्तान में बैठे हैंडलरों के लगातार संपर्क में थे इंटरनेट का राष्ट्रविरोधी और आतंकी तत्व लगातार दुरुपयोग कर रहे पाक प्रायोजित कई ताकतें वीपीएन का कर रहीं इस्तेमाल

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 10:01 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 10:01 AM (IST)
वीपीएन के इस्तेमाल पर रोक की जरूरत: डीजीपी

राज्य ब्यूरो, जम्मू: जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने मंगलवार के कहा कि राज्य में इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों को वीपीएन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नगरोटा मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों से मिले फोन से एक बात स्पष्ट हो गई है कि वह पाकिस्तान स्थित अपने हैंडलर के साथ लगातार संपर्क में थे।

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मंगलवार को चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज द्वारा दक्षिण अफ्रीका में भारत के सांस्कृतिक कूटनीतिज्ञ और आइसीसीआर स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र जोहान्सबर्ग के प्रमुख बलवंत ठाकुर को सम्मान समारोह के बाद पत्रकारों के सवालों पर दिलबाग सिंह ने कहा कि इंटरनेट का राष्ट्रविरोधी और आतंकी तत्व लगातार दुरुपयोग कर रहे हैं। हम अपनी तरफ से हालात को पूरी तरह सामान्य बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। यहां हालात में बहुत ज्यादा सुधार हुआ है। इसके बावजूद राष्ट्रविरोधी तत्व हालात बिगाड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

पाकिस्तान द्वारा साइबर बार शुरू किए जाने संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यहां पाकिस्तान प्रायोजित बहुत सी ताकतें हैं जो वीपीएन का इस्तेमाल करते हुए इंटरनेट के जरिए अपने संदेश भेज रही हैं। फिलहाल, हमारे पास पाकिस्तान द्वारा प्रयोजित किसी एजेंसी का स्पष्ट नाम नहीं है जो ऐसा कर रही हो। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी को नगरोटा में मारे गए जैश ए मोहममद के आतंकियों और उन्हें अपने ट्रक में ले जाने वाले चालक से मिले फोन से हमें पता चलता है कि वह पाकिस्तान स्थित अपने हैंडलरों के साथ लगातार संपर्क में थे। वह भी वीपीएन का इस्तेमाल कर रहे थे। ट्रक चालक पाकिस्तान में बैठे जैश के हैंडलर के साथ संपर्क में था। इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों को रोकने के लिए अनुसंधान करने की जरूरत

दिलबाग सिंह ने प्रतिबंधित बेवसाइट को वीपीएन के जरिए सर्च किए जाने संबंधी सवाल के जवाब में कहा कि हम इसे रोकने का प्रयास कर रहे हैं। हमारी सरकार से अपील है कि वह इस दिशा में कोई प्रभावी तकनीक को लागू करे। इसके अलावा इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों को भी इस दिशा में कोई अनुसंधान करते हुए ऐसा कोई साफ्टवेयर बनाना चाहिए, जिससे लोग प्रतिबंधित वेबसाइट को न देख सकें और वीपीएन का इस्तेमाल बंद हो जाए।


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