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Jammu Kashmir Muharram: जम्मू-कश्मीर में संवेदनशील इलाकों में मुहर्रम के जुलूस पर पाबंदी

JammuKashmir Muharram मुख्य सड़क और हाईवे पर मुहर्रम के जुलूस पर रोक रहेगी-शिया बहुल इलाकों के भीतरी हिस्सों में कोई पाबंदी नहीं

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 08:09 AM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 08:26 AM (IST)
Jammu Kashmir Muharram: जम्मू-कश्मीर में संवेदनशील इलाकों में मुहर्रम के जुलूस पर पाबंदी
Jammu Kashmir Muharram: जम्मू-कश्मीर में संवेदनशील इलाकों में मुहर्रम के जुलूस पर पाबंदी

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। Jammu Kashmir Muharram: वादी में मुहर्रम के जुलूस की आड़ में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश को नाकाम बनाने के लिए प्रशासन ने सभी संवेदनशील इलाकों में जुलूस पर पाबंदी लगा दी है। मुख्य सड़क और हाईवे पर मुहर्रम के जुलूस पर रोक रहेगी, लेकिन शिया बहुल इलाकों के भीतरी हिस्सों में कोई पाबंदी नहीं होगी।

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उच्च प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो श्रीनगर, बडगाम, पुलवामा, अनंतनाग, गांदरबल, बांडीपोर और बारामुला के जिला उपायुक्तों से कहा गया है कि वह संवेदनशील इलाकों में मुहर्रम के जुलूस निकालने की अनुमति न दें।जिला उपायुक्त बडगाम तारिक हुसैन गनई ने बताया कि शुक्रवार की सुबह से पूरे जिले में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है। इसके तहत मुहर्रम के जुलूस पर पाबंदी लगाई गई है। शरारती तत्व जुलूस की आड़ में हिंसा फैला सकते हैं। बडगाम पूरी वादी में एकमात्र शिया बहुल जिला है।

जिला मुख्यालय बडगाम में एतिहासिक इमामबारगाह है, जो अंजुमन-ए-शरियां ए शिया संगठन के संस्थापक और आगा वंश से संबधित शिया समुदाय के धर्मगुरुओं की गद्दी मानी जाती है। छह मुहर्रम से 14 मुहर्रम तक तक बडगाम जिले के सभी शिया इलाकों में आलम, ताजिया और जुलजुनाह के जुलूस निकलते हैं। शिया श्रद्धालु करबला के शहीदों को याद करने के लिए इमामबाड़ों और सामुदायिक केंद्रों में मर्सिया मजलिस भी आयोजित करते हैं।

श्रीनगर में आठ मुहर्रम में अलम का परंपरागत जुलूस गुरु बाजार शहीदगंज से डलगेट तक होता था, लेकिन दस मुहर्रम जिसे आशूरा भी कहते हैं, को निकाले जाने वाला जुलजुनाह का जुलूस भी 1988 से प्रतिबंधित है। प्रशासन सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए इन दो जुलूसों पर पाबंदी को सही ठहराता है।

हालांकि बागवानपोरा-जडबील समेत श्रीनगर के विभिन्न इलाकों में ताजिया व जुलजुनाह के छोटे-छोटे जुलूसों पर पाबंदी नहीं होती है।गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद प्रशासन ने कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए शिया समुदाय के कई प्रमुख नेताओं को भी एहतियातन हिरासत में लिया है।

जम्मू कश्मीर शिया एसोसिएशन के अध्यक्ष और पीपुल्स कांफ्रेंस के महासचिव इमरान रजा अंसारी को डल झील किनारे स्थित सेंटूर होटल में रखा गया है। अलगाववादी खेमे से ताल्लुक रखने वाली अंजुमन-ए-शरियां ए शिया के अध्यक्ष आगा सैयद हसन और इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष मौलवी अब्बास अंसारी को उनके घरों में ही नजरबंद रखा गया है।

हालांकि मुहर्रम के जुलूस पूरी तरह मजहबी ही होते हैं, लेकिन आगा सैयद हसन और मौलवी अंसारी की ओर से आठ और दस मुहर्रम को आयोजित किए जाने वाले जुलूसों में आजादी समर्थक नारेबाजी भी होती है। वर्ष 2017 और 2018 में मुहर्रम के जुलूसों में अलम और ताजिये के साथ आतंकी कमांडर बुरहान वानी के पोस्टर भी देखे गए थे।


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