उपन्यासकार तोयिबा से फिर चर्चा में त्राल
राज्य ब्यूरो श्रीनगर दक्षिण कश्मीर का त्राल फिर चर्चा में है। इस बार किसी नए आतंकी की पैदाइश या किसी आतंकी वारदात के लिए नहीं बल्कि 12 वर्षीय तोयिबा बिनती जावेद के कारण सुर्खियां बटोर रहा है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: दक्षिण कश्मीर का त्राल फिर चर्चा में है। इस बार किसी नए आतंकी की पैदाइश या किसी आतंकी वारदात के लिए नहीं, बल्कि 12 वर्षीय तोयिबा बिनती जावेद के कारण सुर्खियां बटोर रहा है। वह कश्मीर की सबसे छोटी उम्र की उपन्यासकार बन गई है। उसका उपन्यास लूना स्पार्क एंड द फ्यूचर टेलिग बाजार में आ चुका है। जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी ने उसकी लेखनी को दूसरों तक पहुंचाने और उसे उत्साहित करने के लिए उसके पहले उपन्यास को प्रकाशित किया।
त्राल के डाडसर की रहने वाली तोयिबा श्रीनगर के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा है। उसके पिता डाक्टर और मां असिस्टेंट प्रोफेसर है। वह बचपन से ही अपने ख्यालों को कागज पर उतारने को उत्सुक रहती रही है। वह कई कविताएं भी लिख चुकी है। स्कूल की मैगजीन में उसकी कई कविताएं छपी हैं।
लूना स्पार्क पूरी तरह कल्पना पर आधारित है। उपन्यास में जिन चरित्रों को उसने रचा है, वह बिल्लियां हैं। सभी के नाम अलग अलग दिए हैं। उपन्यास लिखने के लिए अपने दादा से प्रेरित तोयिबा ने कहा कि मेरा एक ख्वाब हकीकत बना है, जिसे मैं बचपन से देखती थी। उसने कहा कि मेरे पिता, अम्मी और भाई के अलावा मेरे टीचर्स ने भी मेरा पूरा सहयेाग किया है, मैं उन सभी की आभारी हूं।
कश्मीर के वरिष्ठ स्तंभकार एजाज उल हक ने कहा कि 12 साल की छोटी सी उम्र में यह उपलब्धि सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मैंने इस उपन्यास को पढ़ा है, उसने जिस अंदाज में शब्दों और वाक्यों का इस्तेमाल किया है, वह हैरान करने वाला है, प्रशंसनीय है। हालांकि यह उसकी शुरुआत है, उसके पास अभी बहुत समय है और उसे दूर जाना है। उपन्यास की कहानी, ²श्य सब किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं। वह जो लिख रही है, उसे लेकर पूरी तरह स्पष्ट है। कश्मीर के वरिष्ठ लेखकों में शुमार एजाज अशरफ वानी ने कहा कि नवोदित लेखिका बच्चों को एक वंडरलैंड में अपनी कल्पना के सहारे ले जाती है। उसके पिता जावेद जो पेशे से दंत चिकित्सक हैं, ने कहा कि हमारे लिए यह तो खुदा की नेमत है। हमने अपनी बच्ची को कभी नहीं रोका, हमने हमेशा उसे उसके सपनों को हासिल करने के लिए प्रेरित किया है। आज उसकी उपलब्धि हमारा ही यहां मान-सम्मान बढ़ा रही है। अब कई लोग मुझे मेरे नाम के बजाय तोयिबा के पिता के नाम से जान रहे हैं, यह बहुत बड़ी बात होती है। तोयिबा ने कहा कि मैं सभी से कहूंगी के जो भी लिखना चाहे, खुलकर लिखे। अपने ख्यालों को शब्द देना और उनहें कागज पर उतारना जरूरी है।