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11.11 लाख शौचालयों का किया गया निर्माण

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य में बीते चार वर्षो के दौरान विभिन्न घरों में 11.11 लाख शौचालयों के निर

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 01:17 AM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2018 01:17 AM (IST)
11.11 लाख शौचालयों का किया गया निर्माण
11.11 लाख शौचालयों का किया गया निर्माण

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य में बीते चार वर्षो के दौरान विभिन्न घरों में 11.11 लाख शौचालयों के निर्माण के साथ ही स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएमजी) का लक्ष्य शत प्रतिशत हासिल कर लिया गया है। यह जानकारी शनिवार को ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग की सचिव शीतल नंदा की अध्यक्षता में आयोजित एसबीएमजी के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए राज्य तकनीकी सलाहकार समिति (एसटीएसी) की बैठक में दी गई।

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बैठक में सचिव ने कहा कि व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों के निर्माण में पर्याप्त प्रगति हासिल करने के बाद विभाग ओपन डेफेकेशन फ्री (ओडीएफ) व ठोस और द्रव्य अपशिष्ट प्रबंधन के तहत लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। राज्य में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं और गोबर-डीएचएएन योजना के कार्यान्वयन के लिए समिति के सदस्यों और ग्रामीण विभाग के अधिकारियों के बीच चर्चाएं की गईं।

सचिव ने सदस्यों से राज्य के ग्रामीण स्वच्छता में सफल प्रयास करने के लिए अपने सुझाव देने के लिए कहा।

उन्होंने कहा कि राज्य की 80 फीसद आबादी ग्रामीण इलाकों में रह रही है और उनका जीवन कृषि पर निर्भर है। वे अपने खेतों के लिए कार्बनिक उर्वरकों का उत्पादन कर सकते हैं। इससे उनके खेत पूरी तरह रसायन मुक्त बनेंगे।

एसटीएसी का लक्ष्य ठोस और तरल संसाधन प्रबंधन परियोजनाओं की प्रभावी योजना और निष्पादन सुनिश्चित करना है जो राज्य के चयनित गांवों में किया जाएगा। इसके अलावा जैविक अपशिष्ट के जैव-खाद से संबंधित मामलों और अकार्बनिक अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान से संबंधित मामलों पर तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करना होगा।

बैठक में निदेशक ग्रामीण स्वच्छता, जम्मू-कश्मीर, इंदु कंवल चिब और एसटीएसी के नामित सदस्यों ने कृषि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे अन्य संस्थानों के साथ कृषि, पशुपालन, भेड़ पालन, और नवीकरणीय ऊर्जा विभागों के प्रतिनिधियों, नगर निगम, कश्मीर विश्वविद्यालय, जम्मू विश्वविद्यालय और शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसकेयूएएसटी) ने भाग लिया।


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