मीरा की भक्ति का प्रसंग सुन संगत निहाल
संवाद सहयोगी कालाकोट दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा समस्त क्षेत्रवासियों के सहयोग से मैथयानी
संवाद सहयोगी, कालाकोट : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा समस्त क्षेत्रवासियों के सहयोग से मैथयानी में जारी श्री हरि कथा के तीसरे दिन की सभा में उपस्थित विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुमेधा भारती जी ने भक्ति मति मीरा के जीवन प्रसंग को बड़े ही सुंदर एवं रोचक ढंग से प्रस्तुत किया।
साध्वी जी ने बताया कि भक्ति मति मीरा का प्रभु चरणों में प्रगाढ़ प्रेम था, जिसके कारण प्रभु श्रीकृष्ण ने उन्हें अनेक बार अपने दर्शन प्रदान किए और अंतत: मीरा को एक पूर्ण संत रविदास जी की शरण में भेजा। जहां जाकर मीरा ने ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की और अपने भीतर भी प्रभु के दिव्य अलौकिक ज्योति स्वरूप दर्शन को प्राप्त किया और गुरु आज्ञा में चलते हुए आत्मिक मंजिल की प्राप्ति की। मीरा ने न केवल जीवन के लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति की, बल्कि साथ में समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों व कुरीतियों को भी समाप्त करने के लिए कार्य किया। गली-गली जाकर जनमानस को ब्रह्म ज्ञान का संदेश प्रदान करना मीरा का मुख्य कार्य बना रहा। कार्यक्रम के दौरान स्वामी सुचेता नंद, स्वामी सुकर्मानंद, बीडीसी चेयरमैन महोगला सुरेखा कोतवाल, रिटायर्ड लेक्चरर महोगला ठाकुर पूर्ण सिंह, रिटायर्ड जेडईओ मोगला लाजो देवी, सरपंच मथयानी सुरिष्ठा देवी आदि विशेष तौर पर मौजूद रहे।
वहीं, नौशहरा कस्बे के शिव मंदिर हंजाना में साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया है। इसमें आचार्य राजीव लोचन दास महाराज अयोध्या वाले कथा कर संगत को निहाल कर रहे हैं। यह श्रीमद् भागवत कथा श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर संतोष दास मौनी जी महाराज की देखरेख में चल रही है, जिसमें हर दिन काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं और कथा का आनंद लेते हैं। गांव के लोगों ने बताया कि शिव मंदिर हंजाना में हर वर्ष पांच मार्च को स्थापना दिवस होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद लेते हैं। उस दिन विशाल भंडार किया जाता है। उसी उपलक्ष्य में पिछले कई वर्षो से यहां पर साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा आयोजित की जाती है, जो मौनी जी महाराज की देखरेख में होती है। इसी के चलते बुधवार को पांचवें दिन आचार्य राजीव लोचन दास जी द्वारा कथा की जा रही है। जितने भी दिन कथा चलती है, उतने दिन नौशहरा के आसपास के सैकड़ों लोग आते हैं।