मुगल रोड पर न मोबाइल सिग्नल न ही स्वास्थ्य सुविधा
जागरण संवाददाता राजौरी कश्मीर घाटी से पुंछ व राजौरी दोनों जिलों को जोड़ने व
जागरण संवाददाता, राजौरी : कश्मीर घाटी से पुंछ व राजौरी दोनों जिलों को
जोड़ने वाले ऐतिहासिक मुगल रोड पर न तो कोई मोबाइल चलता है और न ही किसी प्रकार की कोई स्वास्थ्य सुविधा मौजूद है, जबकि इस मार्ग पर ट्रामा अस्पताल की मांग पिछले काफी समय से होती आ रही है। इसके बावजूद अभी तक इस ओर कोई भी ध्यान नहीं जा रहा है। इस मार्ग से राज्य के मुख्य सचिव भी गुजरे और राज्यपाल के सलाहकार भी आए। कई दिशा निर्देश जारी किए, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। जिला आयुक्त पुंछ ने भी कुछ समय पहले सभी मोबाइल कंपनियों के अधिकारियों से मोबाइल टावर लगाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे, लेकिन अभी तक किसी भी कंपनी ने मोबाइल टावर स्थापित नहीं किया। यही वजह है कि इस मार्ग पर सफर करने वाले वाहन चालकों और यात्रियों का सफर के दौरान देश दुनिया से संपर्क नहीं हो पाता है। ऐसे हालात में कोई घटना घटती है तो इसकी सूचना भी संबंधित विभागों तक पहुंचने में काफी देर हो जाती है। सड़क हादसे होने पर घायलों को भर्ती कराने के लिए नजदीक में कोई स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है। ऐसे में हादसे के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। राज्यपाल प्रशासन को इस ऐतिहासिक मुगल रोड पर दूरसंचार और स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि घाटी जाने वाले पर्यटकों को किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े।
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मुगल रोड का इतिहास
गर्मी के मौसम में मुगल बादशाह इस मार्ग का उपयोग करके कश्मीर घाटी की जाया करते थे। उसके बाद इस मार्ग को व्यापार के लिए उपयोग किया जाने लगा, घोड़ों से ही व्यापारी अपना सामान लेकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते थे। जम्मू कश्मीर में वर्ष 2002 में पीडीपी व कांग्रेस की गठबंधन सरकार का गठन हुआ तो मुगल रोड को तैयार करने के लिए योजना शुरू हो गई। वर्ष 2005 में उस समय के मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद व उस समय के केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने बफलैयाज क्षेत्र में मुगल रोड का नींव पत्थर रखा। उसके बाद इस मार्ग का कार्य शुरू हो गया। पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार के बाद राज्य में उमर अब्दुल्ला की सरकार आई तो इस मार्ग के निर्माण कार्य में तेजी आई। उमर अब्दुल्ला खुद अपनी कार चलाकर इस मार्ग से गुजरे। उसके बाद इस मार्ग को वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया।
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मार्ग पर मोबाइल सिग्नल नहीं
मुगल रोड पर छत्ता पानी से लेकर पीर की गली से आगे तक लगभग साठ किलोमीटर लंबे मार्ग पर किसी भी कंपनी का मोबाइल सिग्नल नहीं मिलता है। इस मार्ग पर जो लोग सफर करते हैं उनका मोबाइल छत्ता पानी तक चलता है या फिर पीर की गली को पार करने के बाद ही मोबाइल काम करना शुरू करते हैं।
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सड़क हादसे की नहीं मिलती है सूचना
छत्ता पानी से लेकर पीर की गली के बीच रास्ते में अगर कोई हादसा हो जाए तो मोबाइल सिग्नल न होने के कारण समय पर जानकारी संबंधित विभागों और आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती। अगर मार्ग पर मोबाइल सिग्नल हो तो पल भर में ही हादसे की जानकारी लोगों तक पहुंच सकती है। उसी समय राहत कार्य शुरू करके लोगों की जानों को बचाया जा सकता है।
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72 किमी मार्ग पर स्वास्थ्य केंद्र नहीं
72 किलोमीटर मार्ग पर किसी भी प्रकार का कोई भी स्वास्थ्य केंद्र मौजूद नहीं है। आए दिन मुगल रोड पर कोई न कोई बड़ा सड़क हादसा होता रहता है। जिसमें घायल हुए लोगों को उपचार के लिए या तो श्रीनगर के शोपियां अस्पताल में पहुंचाया जाता है या फिर उपजिला अस्पताल सुरनकोट में लाया जाता है। इस दौरान कई घायल बीच रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
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ट्रामा अस्पताल होने से बच सकती हैं लोगों की जानें
मुगल रोड पर ट्रामा अस्पताल की सख्त जरूरत है। ट्रामा अस्पताल होने से इस मार्ग पर किसी भी सड़क हादसे के बाद घायलों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सकती है और घायलों की जान बचाई जा सकती है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा है। जबकि मार्ग के आसपास बसे लोगों की वर्षो पुरानी ट्रामा अस्पताल खोलने की मांग है।
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अधिकारी सिर्फ निर्देश देकर चले गए
मुगल रोड पर यात्रियों के लिए शौचालय, स्वास्थ्य केंद्र, मोबाइल सिग्नल, विश्राम स्थल बनाने के लिए राज्य के मुख्य सचिव से लेकर राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार व केके शर्मा मुगल रोड का दौरा कर निर्देश दे चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद इस और कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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किसी भी कंपनी ने नहीं लगाया मोबाइल टावर
कुछ समय पहले जिला आयुक्त पुंछ राहुल यादव ने मोबाइल कंपनियों के अधिकारियों के साथ बातचीत करके अस्थायी तौर पर टावर लगाने को कहा था, ताकि मार्ग पर यात्रियों को मोबाइल नेटवर्क मिल सके, लेकिन ऐसा अभी तक संभव नहीं हो पाया है।
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मुगल रोड पर मोबाइल नेटवर्क को जल्द से जल्द शुरू कर लिया जाएगा। इसके लिए कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा हमने कुछ क्षेत्र का चयन किया है। यहां पर स्वास्थ्य कर्मचारियों की टीम हर समय मौजूद रहेगी। अगर कोई हादसा होता है तो घायलों का इलाज किया जाएगा। हर टीम के साथ एंबुलेंस की सुविधा भी रहेगी, ताकि गंभीर रूप से घायल हो जल्द से जल्द बड़े अस्पताल तक पहुंचाया जा सके।
-राहुल यादव, जिला आयुक्त, पुंछ