बंदरों से परेशान किसान मक्की के बजाय कर रहे पशु चारे की बिजाई
संवाद सहयोगी पुंछ कालाकोट क्षेत्र के कई गांवों में किसान बंदरों के आतंक से काफी परे
संवाद सहयोगी, पुंछ : कालाकोट क्षेत्र के कई गांवों में किसान बंदरों के आतंक से काफी परेशान हैं। बंदरों के दिन प्रतिदिन बढ़ते आतंक से किसान खेतों से कुछ भी फसल हासिल नहीं कर पा रहे हैं।
किसानों का कहना है कि खेतों में अगर कोई फसल लगा भी देते हैं तो उसे बंदर नष्ट कर देते हैं। फसल का लाख पहरा देने के बावजूद फसल 15 से 20 प्रतिशत ही नसीब होती है।
गांव कोठियां के नंबरदार बशीर अहमद व अन्य ग्रामीण रामलाल, मुंशी खान आदि ने कहा कि गांव में पिछले आठ साल से बंदरों ने परेशान कर रखा है। हर फसल चाहे व गेहूं, मक्के की हो या फिर फल-सब्जियों की सभी फसल बंदर नष्ट कर देते हैं। उनको फसल का चौथा हिस्सा भी नसीब नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि गांव में ढाई-तीन सौ के करीब परिवार है सभी बंदरों से दुखी हैं।
वहीं, उन्होंने कहा कि इस बार गांव के सभी किसान इस सोच में हैं कि आने वाले दिनों में मक्की की बिजाई खेतों में नहीं करेंगे। मक्की की जगह पशुचारे की बिजाई ही चरी बाजरे के तौर पर करेंगे, क्योंकि बंदर मक्की की फसल पैदा होने नहीं देंगे। ऐसे में फसल पर क्यों मेहनत व रुपये खर्च करें।
वहीं, तत्तापानी के पूर्व सरपंच सोमराज खजूरिया ने भी कहा कि बंदरों के बढ़ते आतंक से किसान वर्ग खेती से तौबा करने लगा है। किसानों की काफी भूमि बिना खेती के बंजर होने लगी है, क्योंकि बंदर हर फसल को नष्ट कर देते हैं। किसानों को खेतों से कुछ हासिल नहीं हो पाता है।
वहीं, उन्होंने कहा कि प्रशासन को जल्द इस ओर कदम उठाने चाहिए। अन्यथा परेशान किसान दाने-दाने को मोहताज हो जाएंगे।