दो मेटाडोरों के बीच में पिसा फेरी वाला
फेरी लगा कर कंबल बेचता था गुरदासपुर का युवक ओवरटेक करने वाली मेटाडोर की सीज चालक अभी फ
फेरी लगा कर कंबल बेचता था गुरदासपुर का युवक
ओवरटेक करने वाली मेटाडोर की सीज चालक अभी फरार
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कैप्शन: उपजिला अस्पताल में गुरदासपुर से परनाला हादसे में मरे गगनदीप का शव लेने पहुचे परिजन
संवाद सहयोगी, बिलावर : परनाला में पहले सवारी उठाने के चक्कर में रफ ड्राइविंग करते हुए एक मेटाडोर ने दूसरी मेटाडोर को ओवरटेक करने के चक्कर में फेरी वाला कुचल डाला। यह मेटाडोर के दरवाजे में खड़ा था। जब मेटाडोर ने दूसरी मेटाडोर को ओवरटेक किया तो यह दोनों मेटाडोरों के बीच में फंस गया और युवक की जान चली गई। बिलावर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए शव का पोस्टमार्टम कर उसे अंतिम संस्कार के लिए वारिसों के हवाले किया।
महानपुर से बिलावर की ओर आने वाली मेटाडोर (जेके08ए 2751) ने परनाला चौक पर खड़ी दूसरी मेटाडोर को ओवरटेक करने का प्रयास किया। परन्तु इस चक्कर में मेटाडोर के दरवाजे में खड़े कंबल की फेरी लगाने वाले 34 वर्षीय गगनदीप पुत्र जवाहर लाल की बीच में फंस कर जान चली गई। मृतक तहसील और जिला गुरदासपुर (पंजाब) का रहने वाला था। मेटाडोर की ओवरटेक की चपेट में वह काफी गंभीर घायल हो गया था और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। मामले की सूचना मिलते ही बिलावर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को उपजिला अस्पताल बिलावर लाया गया। यहा शव का उपजिला अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाकर उसे वारिसों के हवाले कर दिया। पुलिस ने मेटाडोर को सीज कर दिया है। जबकि चालक अभी फरार है।
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बहन की शादी करने के लिए जुटा रहा था पैसे
खुशियां बदली मातम में, 12 जनवरी को है बहन की शादी
भाई की भी पेड़ के नीचे सोते हुई थी मौत करूण शर्मा, बिलावर : पंजाब के गुरदासपुर निवासी गगनदीप के शव को लेने के लिए उपजिला अस्पताल पहुंचे सन्नी, महेश आदि ने बताया कि गगनदीप ही अपनी विधवा मा और दो बहनों का एक मात्र सहारा बचा था। परिवार को गमों ने चारों ओर से घेरा हुआ था। 12 जनवरी को गगनदीप की बहन का शादी थी और बहन की शादी के लिए पैसे जुटाने और परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए गगन कंबलों की फेरी लगाने गुरदासपुर से बिलावर की ओर आ रहा था। उन्होंने बताया कि चार साल पहले गगन के बडे़ भाई की मौत भी एक अनहोनी में दुर्घटना में हुई थी। वह भी फेरी लगाने दक्षिण मडवा गया हुआ था। आराम करने एक पेड़ के नीचे बैठा वहीं पेड उस पर गिर पड़ा। जिसके नीचे दबने से उसकी मौत हो गई थी। एक साल पहले पिता जवाहर लाल की भी मौत हो गई। अब गगनदीप ही अपनी बहनों और मा का एकमात्र सहारा था। जिसे भगवान ने आज उनसे छीन लिया। अब शादी की तैयारिया भी मातम में बदल गई है।