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1947 का रिफ्यूजी होने पर भूमि अलॉट, अब किया जा रहा बेदखल

जागरण संवाददाता कठुआ सरकार ने 47 साल पहले जिस व्यक्ति को 1947 का रिफ्यूजी होने पर पुनव

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 06:56 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 06:56 AM (IST)
1947 का रिफ्यूजी होने पर भूमि अलॉट,  अब किया जा रहा बेदखल
1947 का रिफ्यूजी होने पर भूमि अलॉट, अब किया जा रहा बेदखल

जागरण संवाददाता, कठुआ : सरकार ने 47 साल पहले जिस व्यक्ति को 1947 का रिफ्यूजी होने पर पुनर्वास करके 41 कनाल सरकारी भूमि अलॉट की, 30 साल बाद उसे खुद बेदखल करने के लिए वहां हाउसिग कॉलोनी निर्माण के लिए नोटिफिकेशन कर दी, हालांकि चिन्हित कॉलोनी में अन्य और भी कुछ ऐसे लोग हैं, उनकी कहानी भी ऐसी ही है। हम बात कर रहे हैं कठुआ शहर के वार्ड 16 स्थित सरकार द्वारा पिछले 30 साल से स्थापित की जा रही सरकारी हाउसिग कॉलोनी की। यहां पर तीन चरण में अब तक 900 कनाल भूमि को जै के हाउसिग बोर्ड द्वारा अधिग्रहित की जा चुकी है। इसमें एक हजार से ज्यादा प्लाट बनाकर अलॉट किए गए हैं। इनमें बड़ी संख्या में हाउसिग बोर्ड से प्लॉट खरीदने वाले लोगों ने मकान भी बना लिए हैं और वहां पर बोर्ड सड़क, बिजली, पानी आदि की सुविधाएं पहुंचा चुका है और अभी भी खाली प्लाटों में पहुंचाने का लगातार प्रयास कर रहा है। इसी क्षेत्र में शहर के वार्ड 16 के निवासी ओम प्रकाश शर्मा की 62 कनाल भूमि है,जो हाउसिग बोर्ड द्वारा चिन्हित कॉलोनी के बीच ही हैं। उक्त भूमि में से 41 कनाल उसे सरकार ने वर्ष 1973 में 1947 का रिफ्यूजी होने पर पुनर्वास करने के भूमि अलॉट की। इसके बाद वर्ष 1992 में वहां पर जेके हाउसिग बोर्ड ने कॉलोनी की योजना बनाई, लेकिन उसे न तो कोई सूचना दी गई और न ही उसे मुआवजा दिया गया, हालांकि कुछ ऐसे लोगों ने सरकार से मुआवजे भी लिए,लेकिन ओम प्रकाश को मुआवजा भी नहीं दिया। ओम प्रकाश ने अपनी भूमि को हाउसिग बोर्ड को अधिग्रहण नहीं करने दिया। इसके लिए उसे कोर्ट में भी गुहार लगाई। कोर्ट ने ओम प्रकाश की गुहार को माना और प्रशासन व हाउसिग बोर्ड को नोटिस भेज कर उसकी भूमि के लिए जवाब मांगा, अभी मामला कोर्ट में है, लेकिन उसके बावजूद हाउसिग बोर्ड ने ओम प्रकाश के प्लॉट को बेचने की प्रक्रिया बंद नहीं की। हालांकि कठुआ के पूर्व डीसी रमेश कुमार ने ओम प्रकाश को उसकी भूमि पर बोर्ड द्वारा किसी भी तरह का निर्माण करने पर रोक भी लगाई,लेकिन उसके बाद भी बोर्ड के अभी तक उसकी भूमि को जबरन बेचने के प्रयास जारी है। दो बार वहां निर्माण शुरू किया गया, जहां तक कि भूमि में ओमप्रकाश द्वारा बनाए गए पक्के निर्माण को भी बोर्ड ने पुलिस भेजकर गिरा दिया। उसकी भी उसे कोर्ट में गुहार लगाई। पुलिस के पास भी दो बार मामला निर्माण करने पर होने पर बोर्ड के कर्मियों के साथ बहसबाजी के चलते पहुंच चुका है,लेकिन पुलिस ओम प्रकाश पर भी उसके पास भूमि के मालिकाना दस्तावेज होने पर कार्रवाई नहीं कर सकी। हैरानी की बात है कि रेवेन्यू विभाग ने वर्ष 2015 में ओम प्रकाश की भूमि का इंतकाल बोर्ड के नाम कर दिया। जिसका तत्कालीन डीसी ने ऐसा होने पर स्टे भी दिया। अब स्टे के बावजूद और मामला कोर्ट में लंबित होने पर भी बोर्ड ओम प्रकाश की भूमि पर कब्जा करने के प्रयास कर रहा है। उनके हर प्रयास को ओम प्रकाश अभी तक विफल बना रहा है,लेकिन इसका फैसला सरकार और मौजूदा प्रशासन नहीं कर रहा है। जिससे वो परेशान है। डीसी ओपी भगत का कहना है कि इस भूमि का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इसके चलते जिला प्रशासन उसमें कुछ भी नहीं कर सकता है।

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