एडीसी की मौजूदगी न होने से टल गई हड़ताल
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संवाद सहयोगी, बसोहली : अतिक्रमण के विरोध में बस अड्डे पर 30 साल पुरानी बनी दुकानों को जिला उपायुक्त रोहित खजूरिया के दिशा-निर्देश पर उपमंडल प्रशासन बसोहली द्वारा 31 अगस्त को तोड़ा गया था। इसके विरोध में दूसरे दिन भी पूरे व्यापार मंडल, बार एसोसिएशन, स्थानीय लोगों ने दुकानों को बंद करने के लिए कॉल दी थी। बंद कॉल का समर्थन करते हुए स्थानीय दुकानदारों ने दूसरे दिन भी अपनी दुकानें चार घंटे बंद रखी। 10 बजे के करीब पुलिस स्टेशन के समीप सब इकट्ठा होकर एडीसी कार्यालय में जाने ही वाले थे। कार्यालय के बाहर से पता चला की एडीसी संजय गुप्ता कार्यालय में नहीं है। वापस बस अड्डे पर पहुंच गए और हड़ताल को स्थगित करते हुए कहा अपनी दुकानें खोल दो। हड़ताल को बंद करवाने का मकसद यह था कि उनकी आवाज को सुनने वाला कोई नहीं। फैसला लेते हुए उन्होंने कहा कि जब भी एडीसी बसोहली कार्यालय में पहुंचते है फिर कार्रवाई होगी।
ज्ञात रहे कि 31 अगस्त को 30 सालों से चल रही दुकानों को तोड़ने के लिए एडीसी संजय गुप्ता, एसडीपीओ सुनील सिंह, इओ प्रीतम चंद, एसएचओ अनिल शर्मा पुलिस बल एवं म्यूनिसिपल कमेटी कार्यालय की टीम द्वारा दुकानों को तुड़वाया गया था। वहां के दुकानदारों ने खूब बहस की थी मगर प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी थी। देखते ही देखते एक दुकानों को तोड़ने की कार्रवाई चलती रही जब ओम प्रकाश चौधरी की दुकान को तोड़ने के लिए आगे आए तो उन्होंने खूब मिन्नतें की और कहा कि पिछले 30 सालों से लगातार दुकान कर रहे हैं तब किसी ने ऐसी जहमत नहीं की अब क्या हो गया। इसी बीच देखते ही देखते तीन दुकानों को तोड़ने की कार्रवाई चली तो सब दुकानदार अपना सामान समेटने में लग गए थे। उस समय कस्बे के पूर्व व्यापार मंडल प्रधान वेद फंदा, कान्ति शर्मा, पूर्व म्यूनिसिपल प्रधान सुनील सोनी आदि ने एसडीपीओ एवं एडीसी से दुकानों को न तोड़ने की गुहार लगाई मगर उच्चाधिकारियों के निर्देशों का पालन करने का हवाला देते हुए कार्रवाई को अंजाम दे दिया गया था।
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दुकानदारों ने जताया रोष
30 साल तक कहां सोया था प्रशासन
रोजगार से बेरोजगार हुए दुकानदारों और रेहड़ी फड़ी वालों ने दैनिक जागरण को विशेष भेंट वार्ता में बताया कि 30 साल से दुकान करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। जिसको प्रशासन ने घंटों में तहस नहस कर डाला। पिछले 30 सालों में सैकड़ों के करीब अधिकारी यहां पर आए होंगे। 30 सालों में एक भी बार किसी भी अधिकारी द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की। तब कहां सोया हुआ था प्रशासन। पिछले 30 सालों में किसी ने भी उनको नोटिस जारी नहीं किया। 30 साल से आंखें बंद करके गहरी नींद में सोया हुए था प्रशासन। इसकी नींद आज खुली है। आंख खुलते हुए गरीबों की कमर तोड़ डाली।