आपसी एकता की मिसाल है बसोहली रामलीला
संवाद सहयोगी, बसोहली : बसोहली रामलीला को शायद इस लिए विश्व में अलग पहचान मिली है जिसका कारण है खुले
संवाद सहयोगी, बसोहली : बसोहली रामलीला को शायद इस लिए विश्व में अलग पहचान मिली है जिसका कारण है खुले आसमान तले एक मैदान में बिना किसी परदे के रामलीला का मंचन करना एवं हर जाति, धर्म के लोग इस रामलीला में अपनी और से तन मन धन से सहयोग देते हैं। हिन्दू समुदाय की भावनाओं की कदर करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग भी रामलीला देखने रोजाना आते हैं। तारिक अंसारी उर्फ सोनू म्यूजिक एवं साउंड सिस्टम को चलाते हैं और शिव कुमार गुरु जो 35 वर्ष से यही काम कर रहे हैं। इसके अलावा सुदेश अबरोल उर्फ कालू, देव सोनी इनका सहयोग करते हैं। जैसे ही किसी पात्र का रोल समाप्त होता है तो उससे माइक आदि लेकर वापस अपने सिस्टम के पास बैठ जाते हैं। रामलीला के मंचन के दौरान पूरे सिस्टम की देखभाल शिव कुमार पाधा एवं तारिक अंसारी के हाथ होता है। जो इस कार्य को निभाने के लिए पात्रों को उनके पात्र से पूर्व माइक आदि लगाते हैं और आवाज को चैक करने के बाद ही उन्हें बोलने के लिए कहते हैं। साउंड सिस्टम के अलावा तारिक अंसारी लक्ष्मण के मूर्छित हो जाने पर सुषेण वैद्य का अहम रोल निभाते हैं। जिसे निभाने के लिए वह कई दिन पूर्व से रिहर्सल करते हैं। इसके अलावा जानकी स्वयंवर के दौरान भी हास्य राजा का पात्र निभाते हैं। उनके रोल को देखने के लिए लोग अपनी जगह को पहले से ही आरक्षित कर लेते हैं ताकि उनके रोल के दौरान उन्हें देखने में कोई परेशानी न हो। उनका काम शाम को छह बजे के करीब शुरू होता है और मंचन के समापन होने के बाद ही लगभग 12 बजे के करीब समाप्त होता है। उनका कहना है कि तहसील के हिन्दू उनकी ईद एवं अन्य जश्नों पर सहयोग करते हैं एवं एक दूसरे के त्यौहारों में शरीक होते हैं तो हम भी एकता की मिसाल को कामयाब करने के लिए साउंड सिस्टम एवं म्यूजिक सिस्टम को कंट्रोल करने के लिए पूरा सहयोग करते हैं। प्रधान चंद्र शेखर का कहना है कि हिन्दू मुस्लिम की एकता देखनी हो तो बसोहली रामलीला में एक बार इनके किरदार को देखने के लिए आएं, यहां तारिक अंसारी जैसे कलाकार, तकनीशियन मुस्लिम समुदाय से हैं वहीं बिल्लू वालंटियर के अलावा एनसीसी के कैडिट रामलीला में सहयोग करते हैं।