डिग्री कॉलेज न खुलने पर लोगों में बढ़ा रोष
संवाद सहयोगी, रामकोट : कस्बा रामकोट में इसी सत्र में डिग्री कॉलेज की कक्षाएं न खोले जाने पर लोगों मे
संवाद सहयोगी, रामकोट : कस्बा रामकोट में इसी सत्र में डिग्री कॉलेज की कक्षाएं न खोले जाने पर लोगों में काफी रोष है। इसी साल अप्रैल 2018 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री व मौजूदा स्पीकर डॉक्टर निर्मल सिंह ने यहा पर डिग्री कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। जम्मू संभाग में कुल 6 नए डिग्री कॉलेज खोलने की भी घोषणा कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद हुई थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि साल 1992 से कस्बा रामकोट में डिग्री कॉलेज खोलने की माग शुरू हुई थी। जिसके 20 साल उपरात साल 2012 में लोगों ने इस माग को लेकर जोर पकड़ लिया और जनवरी 2013 में सरकार ने हायर एजुकेशन विभाग के डायरेक्टर को एक टीम के साथ यहा पर जगह का चयन करने भेजा। टीम ने स्थानीय हायर सेकेंडरी स्कूल में उपलब्ध इमारत को देखा और उसके साथ लगती जमीन का चयन कर उसी सत्र में से यहा पर स्नातक पार्ट फर्स्ट की कक्षाएं शुरू करने का आश्वासन दिया था, परंतु इंतजार की सीमा जब पार हुई तो लोगों ने 2014 के चुनाव में डॉक्टर निर्मल सिंह से यहा पर डिग्री कॉलेज खोलने की माग दोहराई। चुनाव जीतने के बाद डॉक्टर निर्मल सिंह ने उपमुख्यमंत्री का पद ग्रहण करने के उपरात लोगों को यहा पर डिग्री कॉलेज खोलने का आश्वासन भी दिया और 2018 अप्रैल में यहा पर डिग्री कॉलेज खोलने की घोषणा कर दी। उन्होंने तो अपना वादा पूरा कर दिया परंतु सरकार के गिर जाने से यह काम अधूरा ही रह गया।
लोगों का कहना है कि रामकोट के साथ हर बार पूर्ण रूप से भेदभाव किया जाता रहा है। जिसका उदाहरण यहा पर जम्मू-कश्मीर बैंक, ट्रेजरी और लगातार मांग करने पर भी लंगड़ी तहसील का मिलना है। क्योंकि करीब चार साल पहले बनी तहसील कार्यालय में तहसीलदार की नियुक्ति तो हुई परंतु उसके बाद आज तक यहा पर तहसील सतर का कोई भी कार्यालय नहीं खुला। रविवार को राज्य के अंग्रेजी दैनिक अखबार में छपी खबर को पढ़ने के बाद लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया है। स्पष्ट प्रतीत होता है कि प्लानिंग विभाग और फाइनेंस विभाग का इसके प्रति कोई तालमेल नहीं है। जबकि कस्बा रामकोट में साल 2012 में ही डिग्री कॉलेज खोलने जाने की मंजूरी मिल गई थी। स्थानीय लोगों ने राज्यपाल से इस मामले में वह स्वयं चिंतन कर हस्तक्षेप करने की मांग की हैं।