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अब सड़कों पर घोड़ों का झुंड मंडराने से बढ़ा हादसे का खतरा

जागरण संवाददाता कठुआ शहर में एक बार फिर बेसहारा पशुओं का झुंड सड़कों पर मंडर

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 12:54 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 12:54 AM (IST)
अब सड़कों पर घोड़ों का झुंड मंडराने से बढ़ा हादसे का खतरा
अब सड़कों पर घोड़ों का झुंड मंडराने से बढ़ा हादसे का खतरा

जागरण संवाददाता, कठुआ: शहर में एक बार फिर बेसहारा पशुओं का झुंड सड़कों पर मंडराने लगा है। अब तो बेसहारा गोवंश के साथ घोड़ों के झुंड भी सड़कों पर देखे जा रहे हैं, जो बीच सड़क पर उछल- कूद करते कभी भी बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बन सकते है। इसके अलावा शहर में सैकड़ों की संख्या में अन्य बेसहारा मवेशी भी अब बीच सड़कों पर डेरा डाले हमेशा देखे जाते हैं। खासकर रात के समय में तो सड़कों पर बेसहारा मवेशियों का कब्जा हो जाता है। इनसे बचने के लिए, खासकर दोपहिया वाहन चालकों को काफी सावधानी बरतनी पड़ती है।

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कई बार तो अचानक बीच सड़क पर आपस में भिड़ते हुए मवेशियों का झुंड आ जाता है। उस समय वाहन चालक असमंजस में पड़ जाते हैं। अगर जरा भी सावधानी हटी तो दुर्घटना घटने की संभावना बन गई। हालांकि, नगर परिषद ने एक साल पहले शहर से सड़कों पर मंडराने वाले बेसहारा मवेशियों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया था, जिसमें 400 के करीब मवेशियों को शहर से बाहर जंगल में छोड़ा गया लेकिन वह फिर वापस लौट आए हैं। इसके कारण शहर की सड़कों पर फिर बेसहारा पशुओं ने कब्जा कर लिया है जो बीच सड़क में बैठे रहते हैं। मौजूदा समय में 500 से ज्यादा बेसहारा मवेशी शहर के कालीबड़ी से लेकर शहीदी चौक, मुखर्जी चौक, हटली मोड़ और हाईवे पर कालीबड़ी, लगेट मोड़ और बरवाल तक डेरा जमाए रहते हैं। रात को तो और भी दुर्घटना का मुख्य कारण बन रहे हैं, लेकिन इस गंभीर समस्या से निजात दिलाने के लिए नगर परिषद पिछले छह महीने से कोई प्रयास नहीं कर रही है। इसके चलते एक बार फिर से बेसहारा पशु लोगों की जान पर खतरा बने हैं।

बता दें कि पिछले 5 साल में बेसहारा पशुओं से टकराने के बाद दो लोगों की मौत हो चुकी है और एक दर्जन के करीब लोग घायल हो चुके हैं। हालांकि, जब भी कोई ऐसा मामला शहर में आता है तो प्रशासन और नगर परिषद कुछ दिन सक्रिय दिखती है, उसके बाद फिर सुस्त। इससे शहर में फिर वही स्थिति बनी है। कोट्स-बाक्स----

बेसहारा पशुओं को सड़कों से उठाकर रखने के लिए कैटल पांड नहीं है, हालांकि कई सालों से परिषद प्रशासन से भूमि उपलब्ध कराने की मांग कर रही है, लेकिन अभी तक कोई प्रयास नहीं हुए हैं। शहर में बड़ी संख्या में गोशालाएं हैं, जहां पर इन पशुओं को रखा जा सकता है लेकिन वे भी इन पशुओं को नहीं संभालते हैं। मवेशियों की संख्या बढ़ने का कारण पुलिस द्वारा पकड़े जाने वाले मवेशी भी खुले छोड़ दिए जाते हैं। हालांकि नगर परिषद दो साल पहले शहर में बेसहारा मवेशियों को ट्रैप करने का अभियान चलाया था, जिसमें चार सौ के करीब मवेशियों को शहर से बाहर में छोड़ा गया, जो फिर वापस शहर में लौट आए हैं। प्रशासन अगर भूमि उपलब्ध कराएं तो कैटल पांड बनाकर ऐसे मवेशी वहां रखे जा सकते हैं।

- नरेश शर्मा, प्रधान, नगर परिषद, कठुआ।


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