25 साल में भी अपडेट नहीं हुआ भूमि रिकॉर्ड
संवाद सहयोगी, हीरानगर : भूमि के रिकॉर्ड को अपडेट करने के लिए राजस्व विभाग ने हीरानगर तहसील में 1994
संवाद सहयोगी, हीरानगर : भूमि के रिकॉर्ड को अपडेट करने के लिए राजस्व विभाग ने हीरानगर तहसील में 1994 में बंदोबस्त का काम शुरू किया था जो 25 साल से अधर में लटका है। वर्तमान में हालात यह है कि रिकॉर्ड सही न होने के कारण खेती करने वाले किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकतर किसान खेती तो कर रहे है, लेकिन उन्हे यह नहीं पता कि गिरदावरी किस खसरा नंबर में है। गावों के नक्शे खराब हो चुके हैं। इस कारण भूमि की निशानदेही भी नहीं हो पाती। इस कारण भूमि को लेकर क्षेत्र के किसान आपसी झगड़ों उलझे रहते है।
किसान नानक चंद, तरसेम सिंह, बलकार चंद, बलबीर सिंह का कहना है कि भूमि के पुराने रिकॉर्ड अपडेट करने के लिए राजस्व विभाग ने 1994 में बंदोबस्त का काम शुरू किया था जो आज तक पूरा नहीं हो पाया। बंदोबस्त के बाद किसान जिस भूमि में खेती करते है उसकी किसान पासबुक में सभी खसरा नंबर दर्ज होने थे और नए नक्शे बनने से जब चाहे कोई निशानदेही करवा सकता था। चंद गावों का काम ही मुकम्मल हुआ है। रिकॉर्ड सही न होने के कारण जब कभी सरकारी कार्य के लिए जमीन अधिकृत की जाती है तो गिरदावरी सही नहीं होने से मुआवजा राशि को लेकर भी विवाद पैदा हो जाते हैं। उन्होंने मांग की कि जल्द से जल्द राजस्व विभाग भूमि के रिकॉर्ड के कार्य को पूरा करे, ताकि किसानों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। इन गावों में अभी तक पैमाइश ही नहीं हुई
पानसर, बोबिया, मन्यारी, चक चंगा, करोल, विददो, पाटी मेरू, सपालमा, टाडा, लोंडी, पंजग्राई, पेइया, मेला, खनक, गंजराल, छन्न टाडा, कूटा, शेरपुर के साथ अन्य कई गांव शामिल हैं।
तहसील के 108 गांवों के बंदोबस्त का काम 1994 से शुरू है, अभी तक 69 गांवों का काम पूरा हुआ है। कुछ गावों में किसानों को किसान पासबुक भी जारी की गई है। पाच गांवों की पैमाइश हुई है, जबकि 34 गावों का काम शुरू ही नहीं हुआ है, 2013 से काम रूका है।
-सुशील वर्मा, तहसीलदार, हीरानगर