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बेसहारा पशुओं की आरामगाह बनी शहर की सड़कें

जागरण संवाददाता कठुआ शहर की अतिव्यस्त माने जाने वाली सड़कें एक बार फिर बेसहारा पशुओं के

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 07:59 PM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 12:42 AM (IST)
बेसहारा पशुओं की आरामगाह बनी शहर की सड़कें
बेसहारा पशुओं की आरामगाह बनी शहर की सड़कें

जागरण संवाददाता, कठुआ: शहर की अतिव्यस्त माने जाने वाली सड़कें एक बार फिर बेसहारा पशुओं के लिए आरामगाह बन गई है। इससे दोपहिया वाहन चालक खासे परेशान है। कई बार वाहन चालक ऐसे मवेशियों के कारण दुर्घटना का शिकार भी हो रहे हैं।

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शहर में विगत दो सप्ताह से सड़कों पर अचानक बेसहारा मवेशियों की भरमार हो गई है, क्योंकि दो माह पहले नगर पालिका के पूर्व प्रधान नरेश शर्मा ने शहर की सबसे ज्वलंत समस्या को एक विशेष योजना के तहत समाधान किया था, लेकिन उनके नप प्रधान की कुर्सी से हटते ही मवेशी फिर सड़कों पर आ गए हैं। हैरानी इस बात की है कि शहर में अब फिर उतने ही मवेशी सड़कों पर दिख रहे हैं, जितने पहले थे। जबकि प्रशासन ने पूर्व प्रधान द्वारा पकड़े गए 300 से ज्यादा मवेशियों को गत माह शहर से दूर बसंतपुर क्षेत्र में छोड़ दिया था, ऐसे में अब उतनी ही संख्या में मवेशी कहां से आ गए, ये भी चर्चा का विषय है। बीच सड़क पर आराम फरमाते बेसहारा मवेशी कई बार यातायात को भी प्रभावित करते हैं, तो कई बार जाम की स्थिति बना देते हैं। रात को विशेषकर काले रंग के मवेशी दोपहिया वाहन चालकों के लिए यमदूत साबित होते है, जिन पर दूर से लाइट पड़ने पर वो दिखाई तक नहीं देते हैं।

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प्रशासन और चुने गए जनप्रतिनिधि द्वारा हल की गई समस्या का यही अंतर होता है। प्रशासन ऐसी समस्या का समाधान विगत दो दशकों से नहीं कर पाया, लेकिन जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि जवाबदेह होते हैं, इसी के चलते वे समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत रहते हैं, लेकिन प्रशासन को इससे कुछ लेना देना नहीं होता है।

-संजीव वैद्य, पार्षद, कठुआ।

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बेसहारा मवेशी शहरवासियों की जान पर फिर भारी पड़ सकते हैं। इससे पहले दो नगरवासी इन मवेशियों के कारण मौत के मुंह में जा चुके हैं, लगता है प्रशासन ने उससे भी कोई सबक नहीं सीखा है। जब एक जनप्रतिनिधि इस समस्या का अपने स्तर पर ही समाधान कर सकता है तो प्रशासन क्यों नही? जबकि प्रशासन के पास समस्या के समाधान के लिए कई साधन होते हैं, लेकिन सिर्फ समस्या के समाधान के दावे किए गए, हो नहीं पाई।

-गणेश भल्लड़। कोट्स---

शहर में बेसहारा मवेशियों की संख्या फिर बढ़ने लगी है,जो कि सबसे गंभीर समस्या है। सुबह और दोपहर को स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए मवेशी दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। बीच सड़क पर बिछौना डाल कर बैठने वाले बेसहारा मवेशी को हटाने के लिए प्रशासन ने अभी तक कोई प्रयास नहीं किया है। काली बड़ी से लेकर मुखर्जी चौक तक प्रतिदिन दिन रात सौ के करीब मवेशी सड़क के आसपास मंडराते देखे जाते है।

-सुरेश शर्मा, वार्ड छह। कोट्स---

नगर परिषद ने गत माह सभी मवेशियों को पकड़ कर वर्क सेंटर की इमारत में रखा था। उसके लिए पानी व चारे का प्रबंध न होने पर सभी को बसंतपुर में ट्रकों में भर कर शहर से 15 किलोमीटर दूर छोड़ दिया गया था, वहां से मवेशियों का अब शहर में वापस आना संभव नहीं है, अब उतनी ही संख्या में फिर मवेशी सड़कों पर आने से सभी हैरान है। लगता है कि कोई जानबूझ कर रोज शहर में ऐसे मवेशियों को छोड़ रहा है।

-संजीव गंडोत्रा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नगर पालिका, कठुआ।

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