तीमारदार नहीं होने पर मरीज की जान आफत में
जागरण संवाददाता कठुआ मेडिकल कॉलेज में कई गंभीर मरीजों के साथ कई बार कोई भी ती
जागरण संवाददाता, कठुआ: मेडिकल कॉलेज में कई गंभीर मरीजों के साथ कई बार कोई भी तीमारदार न होने पर उनकी जान आफत में पड़ जाती है, अस्पताल में मौके पर कई बार तैनात स्टाफ के कुछ सदस्य उसके तुरंत इलाज को प्राथमिकता न देकर आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने की मांग करते हैं,जब कि उस समय सच्चाई ये होती है कि मरीज के साथ तुरंत कोई नहीं होता है,उसे राहगीर घायल अवस्था में मानवता के आधार पर उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराने का अपना दायित्व निभाता है,हालांकि बाद में वहां जब मौजूद अन्य लोगों और अस्पताल के स्टाफ को उसकी स्थिति का पता चलता है तो सब उसके तुरंत इलाज के लिए सामने आ जाते हैं। जिससे मरीज की जान बच जाती है। उसके बाद उसके परिजन, परिचित या अन्य रिश्तेदार भी पहुंच जाते हैं। कुछ ऐसा ही उदाहरण बुधवार जीएमसी कठुआ में देखने को मिला,जब कर्ण सिंह पुत्र गंगा राम निवासी ऊधमपुर को मेडिकल कॉलेज में कोई राहगीर कालीबड़ी में दुर्घटना से गंभीर रूप से घायल होने पर भर्ती कराने पहुंचा। अस्पताल में पहुचने पर तुरंत उसके साथ कोई अपना नहीं होने पर मौके पर मौजूद स्टाफ के कुछ सदस्य उसकी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए समय लगाते रहे,जब कि उसे तुरंत इलाज की जरूरत थी और वो वहां पड़ा-पड़ा तड़प रहा था। बाद में जब वहां मौजूद अन्य लोगों एवं अस्पताल स्टाफ को पता चला तो वो उसके इलाज के लिए आगे आए। जिससे उसका तुरंत उपचार शुरू हो गया। जिससे उसकी अब सिथति स्थिर है।
वहीं अस्पताल की सुपरिटेंडेंट डॉ. चित्रा वैष्णवी ने बताया कि ऐसे मरीजों, जिनके साथ कोई न हो,उसका भी अस्पताल में उसी तरीके से उपचार किया जाता है,जिस तरीके से अन्य मरीजों का, जिनके साथ उनके परिजन होते हैं। अस्पताल में अगर उसकी बीमारी का ईलाज संभव नहीं है तो उसे रेफर करना पड़ता है। ऐसे मरीजों के लिए औपचारिकताओं से ज्यादा उसका इलाज पहली प्राथमिकता होती है।