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बर्ड फ्लू के खतरे के बीच पोल्ट्री की बिक्री में तीस फीसद की गिरावट

जिले में बर्ड फ्लू के जारी खतरे के बीच पोल्ट्री (मुर्गी पालन) की अन्य राज्यों से आयात बिक्री रख

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 06:07 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 06:07 AM (IST)
बर्ड फ्लू के खतरे के बीच पोल्ट्री की बिक्री में तीस फीसद की गिरावट

जिले में बर्ड फ्लू के जारी खतरे के बीच पोल्ट्री (मुर्गी पालन) की अन्य राज्यों से आयात, बिक्री, रखरखाव एवं खाने में सतर्कता बरती जा रही है। दरअसल बर्ड फ्लू का पोल्ट्री से सीधा संबंध है, इसमें उड़ने वाले और माइग्रेट पक्षी पोल्ट्री को भी संक्रमण दे सकते हैं। इसी के चलते पक्षियों के बाद बर्ड फ्लू का खतरा पोल्ट्री को सीधे तौर पर होने के कारण जिले में पोल्ट्री डेवलपमेंट विभाग पूरी तरह से अलर्ट पर है। जारी खतरे के बीच बिलावर व रामकोट क्षेत्र में तीन दर्जन से ज्यादा कौवे सहित अन्य पक्षी मारे गए, जिन्हें वन्य जीव विभाग ने मौके पर खेतों में दबा दिया, लेकिन पोल्ट्री विकास विभाग की टीम ने नष्ट करने से पहले उसके सेंपल जांच के लिए लैब में भेजे। मौजूदा समय में जिला में बर्ड फ्लू का कितना खतरा है, और क्या एहतियात बरती जा रही है, इससे बचने के लिए आम लोगों को क्या हिदायतें बरतनी हैं, इन सब मुद्दों पर 'दैनिक जागरण' के उप मुख्य संवाददाता राकेश शर्मा ने कठुआ जिला पोल्ट्री डेवलपमेंट अधिकारी से विशेष बातचीत की, उनसे हुई बातचीत के अंश:- . जिले में बर्ड फ्लू के बने खतरे के बीच क्या अभी कोई मामला आया है।

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- नहीं, जिला बर्ड फ्लू के खतरे से अभी तक पूरी तरह से सुरिक्षत है। यहां एक भी बर्ड फ्लू का मामला नहीं आया है। समय रहते सतर्कता बरतने से सब सुरक्षित हैं और अभी भी सुरक्षा के साथ सतर्कता बरती जा रही है। लोगों को भी सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है। यही कारण है कि जिला बर्ड फ्लू मामले में अभी सुरक्षित है। . किस तरह की सतर्कता और लोगों को हिदायतें दी जा रही हैं।

- विभाग के उच्चाधिकारियों ने सबसे पहले अन्य राज्यों से पोल्ट्री की लखनपुर से होने वाली आपूर्ति गत 7 जनवरी से प्रतिबंधित कर दी थी। हालांकि, अब 18 जनवरी के बाद से आपूर्ति पर लगाई गई पाबंदी हटा दी है, लेकिन जो वाहन अब आपूर्ति लेकर आ रहे हैं, उन्हें जहां से आपूर्ति लाई जा रही है, वहां से संबंधित अधिकारी से जांच रिपोर्ट लाने के बाद ही इंट्री दी जा रही है और फिर यहां से भी प्रमाणपत्र देकर प्रदेश के अन्य जिलों में भेजा जा रहा है। इसके अलावा लोगों को भी बिना चेक और साफ किए पोल्ट्री का सेवन न करने की सलाह दी गई है। सेवन करने से पहले अंडा या चिकन को 70 डिग्री तापमान में उबाल कर खाया जा सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा खत्म हो जाता है। . जिले में बर्ड फ्लू के खतरे के बीच अब तक 40 के करीब पक्षी जगह- जगह मरे पड़े मिले हैं, जिसमें सबसे ज्यादा 26 के करीब तो रामकोट में मिले हैं, क्या कारण हैं। स्थानीय लोगों में डर का माहौल है।

- बर्ड फ्लू के खतरे के बीच जगह-जगह पक्षियों, जिसमें कौए ज्यादा मिले हैं, जरूरी नहीं है कि वे बर्ड फ्लू के कारण ही मरे हों, सर्दी भी कारण हो सकता है, लेकिन जब खतरा बना है तो विभाग मरे हुए पक्षियों का सेंपल लेकर जम्मू जांच के लिए भेज रहा है। इससे पहले वन्य जीव विभाग मौके पर जाकर मरे पक्षी को जलाकर नष्ट भी कर रहा है, ताकि उनसे संक्रमण न फैले। खतरे के चलते जिले में पोल्ट्री की बिक्री में 30 फीसद कमी भी आई है। . अभी तक कितने सैंपल जांच के लिए एकत्रित किए गए और इसके लिए टीमें कैसे काम करती है।

- जिले में अभी तक 50 के करीब मरे पक्षियों और मुर्गो के सैंपल 19 ब्लॉकों में तैनात टीमें एकत्रित की है। सूचना मिलने के बाद टीम के सदस्य सेंपल एकत्रित करती हैं और उसके बाद जांच के लिए जम्मू भेज दिया जाता है, अभी वहां से कोई भी ऐसी रिपोर्ट नहीं आई है, जिससे पक्षियों में फ्लू होने की बात सामने आ रही हो। उनके विभाग की टीमें इसके अलावा भी शक पड़ता है, वहां जाकर चाहे वे पोल्ट्री फार्म हो या फिर सेल सेंटर, वहां से सेंपल लेकर जांच के लिए भेज रहे हैं। यह विशेष अभियान पिछले करीब एक माह से जारी है और अभी भी विभाग अलर्ट पर है . ऐसी स्थिति में लोगों को क्या हिदायतें देंगे, संक्रमण के लक्षण क्या है।

- संक्रमण के मुख्य लक्षण बर्ड के मुंह के आसपास अचानक सूजन व लाली होना है, आंखों से पानी चलना और इससे बर्ड एकदम मरना शुरू हो जाते हैं। व्यक्ति में इसके लक्षण एच5एन8 संक्रमण में पाए जाते हैं,जो अभी कठुआ जिले में किसी को भी नहीं पाए गए हैं। पोल्ट्री पालकों को अपने शेड में फालतू किसी को प्रवेश नहीं करने देना चाहिए, देसी मुर्गो को भी पालक खुले में न रखे, ताकि वे उड़ने वाले पक्षियों में संपर्क में आकर संक्रमित न हों, जहां कहीं एकदम ज्यादा पक्षी मरे या मिले, उसके पास न जाएं, तुरंत स्थानीय वन्य जीव एवं पोल्ट्री विकास विभाग की टीम को समय पर सूचित करें।


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