श्री गुरु नानक देव जी के बताए मार्ग पर चलने का लिया संकल्प
जागरण संवाददाता कठुआ जिलेभर में प्रथम गुरु श्री नानकदेव जी का 551वां प्रकाशोत्सव श्रद्धा से मनाय
जागरण संवाददाता, कठुआ: जिलेभर में प्रथम गुरु श्री नानकदेव जी का 551वां प्रकाशोत्सव श्रद्धा से मनाया गया। जिला मुख्यालय पर सावनचक स्थित गुरुद्वारा श्री कलगीधर में आयोजित कार्यक्रम में जहां हजारों की संख्या में संगत ने गुरु के चरणों में शीश निभाकर अपनी आस्था जताई। गुरुपर्व के पवित्र दिवस पर सुबह से ही संगत गुरुद्वारा में परिवार सहित शीश झुकाने पहुंचनी शुरू हो गई जो कि दोपहर बाद तक क्रम चलता रहा। गुरुद्वारा में श्री गुरु ग्रंथ के समक्ष बच्चों से लेकर हर उम्र का शीश नतमस्तक हो रहा था। महिला संगत भी बड़ी संख्या में गुरुद्वारे में पहुंच कर गुरु के चरणों में अपना शीश झुका रही थी।
इस विशेष मौके पर जम्मू से पहुंचे धर्म प्रचारक भुपेंद्र सिंह ने श्री गुरु नानक देव जी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा मानवता के लिए किए कार्याें का उल्लेख कर संगत को निहाल किया। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव जी ने सिर्फ सिख धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि हर कौम को मानवता का संदेश दिया। यही कारण है कि मुंबई में इस उपलक्ष्य में निकली शोभायात्रा में 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालु जो सिर्फ सिख धर्म से ही नहीं, बल्कि उससे ज्यादा हिदू, मुस्लिम आदि धमरे से थे। उक्त शोभायात्रा में मात्र 4 हजार सिख थे, बाकी दूसरे धर्माे के थे। इससे साबित होता है कि गुरु नानक देव जी सभी धर्माे के लोगों में प्रिय थे। हमें भी उनके जैसे व्यवहार अपने अंदर पैदा करने हैं और समाज के लिए कुछ करके यहां से जाना है। यही गुरु नानक देव जी का संदेश है। हमें उनके संदेश पर अमल करना है और उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर इस समाज की भलाई के लिए काम करना है। इस मौके पर गुरुद्वारा में कोरोना महामारी से भी मुक्ति मिलने की अरदास की गई, ताकि सभी लोग स्वस्थ और खुशहाल रहे। इस बीच रागी जत्थे से हरप्रीत सिंह चोहाला ने गुरु की महिमा का अपनी वाणी से शबद कीर्तन कर संगत को निहाल किया। गुरुद्वारे को गुरुपर्व के उपलक्ष्य में आकर्षक ढंग से सजाया गया था। सिख युवक पूरी सेवाभाव से गुरुद्वारे में आने वाली संगत की सेवा करते दिखे। गुरुद्वारा में आने वाली संगत के लिए सुबह से लंगर में चायपान निरंतर जारी रखा गया। कार्यक्रम के समापन पर गुरुद्वारे में गुरु का अटूट लंगर भी आयोजित किया गया, जिसमें सभी लोगों ने मिलकर गुरु का प्रसाद चखा। रात को भी सभी गुरुद्वारों में रंगबिरंगी दीपमाला की गई और आतिशबाजी करके गुरुपर्व की खुशियां मनाई गई।