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धरोहर बचाने के लिए लोग होने लगे एकजुट

संवाद सहयोगी बसोहली करीब 500 वर्ष पुरानी एतिहासिक धरोहर चंचलो माता मंदिर को बचाने के लिए अब लोग

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 11:50 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 11:50 PM (IST)
धरोहर बचाने के लिए लोग होने लगे एकजुट
धरोहर बचाने के लिए लोग होने लगे एकजुट

संवाद सहयोगी, बसोहली: करीब 500 वर्ष पुरानी एतिहासिक धरोहर चंचलो माता मंदिर को बचाने के लिए अब लोग एकजुट होने लगे हैं। दैनिक जागरण समाचार पत्र द्वारा उसे बचाने के लिए चलाई गई मुहिम में दिन प्रति दिन लोग उत्साहित होकर जुड़ते हैं जा रहे हैं। साथ ही मुहिम चलाने के लिए दैनिक जागरण समाचार पत्र का आभार भी व्यक्त कर रहे है।

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स्थानीय लोगों का कहना कि इस मुहिम को तब तक चलाया जाए, जब तक सरकार इस मंदिर के लिए ठोस कार्रवाई नहीं करती है। कई बार निर्माण के लिए गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन सरकार ने आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं की है। इसके लिए लोगों में रोष है। उनका कहना है कि यह मंदिर आस्था का प्रतीक है। इसकी अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोट्स---

मंदिर को बचाने के लिए सरकार को जल्द ही पहल करनी चाहिए। मंदिर का निर्माण लोगों के बस की बात नहीं है। लोगों की आस्था मंदिर से जुड़ी हुई है। बसोहली के इतिहास में इस मंदिर का नाम जुड़ा हुआ है। इस मंदिर को बचाने के लिए सार्थक प्रयास हो।

-चंद्रशेखर बसोत्रा, प्रधान, रामलीला क्लब। कोट्स--

500 वर्ष पुराने इस मंदिर को बचाने के लिए सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जाने से निराश हैं। प्रशासन को भी चाहिए कि लोगों की आस्था का पूरा घ्यान रखते हुए जल्द डीपीआर बनाए, ताकि इस पर काम हो सकें। लोगों की माग को अनदेखा करने का नतीजा कहीं आदोलन का रूप न ले।

- धीरज कौशल, स्थानीय निवासी। कोट्स---

मंदिर को बचाने के लिए सरकार को अपनी ओर से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। सरकार को जल्द ही मंदिर के इतिहास को समझ लेना चाहिए। मंदिर के 500 वर्ष पुराने इतिहास को ऐसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।

- डिंपल कपूर, स्थानीय निवासी। कोट्स---

मंदिर को बचाने के लिए सरकार क्यों नहीं आगे रही है, समझ से परे है। मंदिर को बचाने के लिए सरकार तत्परता दिखाए, जब से मंदिर को नुकसान हुआ है तभी से लोग सरकार के आगे मंदिर को बचाने के लिए अपनी माग रख रहे है, लेकिन सरकार ने कोई भी कार्रवाई नहीं की है। इसके कारण लोगों में रोष है।

- अनिल नैय्यर, स्थानीय निवासी।


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