Move to Jagran APP

निजी बसों की हड़ताल की तरफ नहीं है किसी का कोई ध्यान

जागरण संवाददाता कठुआ कोरोना महामारी के चलते जारी क‌र्फ्यू के बीच क्षेत्र में निजी बस मालिक

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 11:31 PM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 11:31 PM (IST)
निजी बसों की हड़ताल की तरफ नहीं है किसी का कोई ध्यान
निजी बसों की हड़ताल की तरफ नहीं है किसी का कोई ध्यान

जागरण संवाददाता, कठुआ: कोरोना महामारी के चलते जारी क‌र्फ्यू के बीच क्षेत्र में निजी बस मालिकों की एक माह पुरानी हड़ताल की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। हड़ताल से बने हालात के चलते इस समय न तो सरकार को जरूरत है और न ही आम लोगों को, जहां तक खुद यात्री ट्रांसपोर्टरों को भी। तीनों पक्ष खामोश हैं, क्योंकि इस समय आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सामान्य गतिविधियां लगभग ठप पड़ी हैं। इसमें यात्री बस सेवाएं भी शामिल हैं। हालांकि, यात्री बस सेवा भी आवश्यक सेवाओं का ही एक हिस्सा माना जाता है।

loksabha election banner

पड़ोसी राज्य पंजाब में भले ही अभी पूरी तरह से लाकडाउन नहीं है, लेकिन वीकेंड लॉकडाउन वहां भी है। इसके बावजूद निजी ट्रांसपोर्ट सुचारु रुप से चल रही है। दूसरी ओर, जम्मू कश्मीर में एक माह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद पड़ी है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को लॉकडाउन से पहले सरकार ने नहीं बल्कि ट्रांसपोर्टरों ने अपनी मांगों के चलते खुद बंद कर रखा है। ट्रांसपोर्टरों की मांग 50 फीसद किराये में बढ़ोतरी करना है, इसके साथ मौजूदा तेल व डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते सरकार द्वारा एसओपी के 50 फीसद यात्रियों के साथ यात्री वाहन दौड़ाने की शर्त से भी ट्रांसपोर्टरों ने घाटे का सौदा माना है।

उधर, सरकार ने 50 नहीं, बल्कि 19 फीसद ही किराया बढ़ाने की घोषणा की, जिसे भी ट्रांसपोर्टरों ने नहीं माना है। इसके चलते वे खुद भी हड़ताल पर थे, लेकिन अब तो पूरी तरह से लॉकडाउन के कारण उनके द्वारा हड़ताल पर रहने से सरकार को भीड़ की चेन तोड़ने में मददगार ही साबित हो रही है। ऐसी स्थिति में न तो सरकार के लिए और न ही लोगों के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल परेशानी का कारण बनी है। वैसे भी अगर हालात सामान्य होते तो इतनी लंबी करीब एक माह से यात्री बसों की हड़ताल से हाहाकार मच जाता और ट्रांसपोर्टरों द्वारा शुरू की गई हड़ताल से सरकार पर भी दवाब बनता, लेकिन मौजूदा समय ने किसी को इसकी जरूरत समझी जा रही है, जिससे आवश्यक सेवा के दायरे में आने वाली सेवा भी मौजूदा हालात के चलते गैर जरूरी सेवा बन कर रह गई है। इसके चलते ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल अब न तो सरकार, न ही लोगों और न ही बस मालिकों के लिए परेशानी बनी है, क्योंकि अगर हड़ताल खुलती भी है तो ऐसे माहौल में बसों में संक्रमण का खतरा देखकर कोई नहीं बैठेगा।

बता दें कि जिले में करीब एक हजार सामान्य व मिनी बसों की संख्या है। छह सौ से ज्यादा सवारी वाले आटों हैं, जिनके पहिए पूरी तरह से थमे हैं। मिनी बस यूनियन के प्रधान हरमोहेंद्र सिंह का कहना है कि अब जब तक लॉकडाउन है, तो सब कुछ बंद है,जब हालात सामान्य होंगे तो वे मांगों के लिए आवाज बुलंद करेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.