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हीरानगर सेक्टर में बंद पड़े शौचालय बनाने का काम शुरू

संवाद सहयोगी हीरानगर गोलीबारी से प्रभावित हीरानगर सेक्टर के सीमावर्ती गांव में अभी भी पांच

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 04:26 AM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 04:26 AM (IST)
हीरानगर सेक्टर में बंद पड़े शौचालय बनाने का काम शुरू
हीरानगर सेक्टर में बंद पड़े शौचालय बनाने का काम शुरू

संवाद सहयोगी, हीरानगर: गोलीबारी से प्रभावित हीरानगर सेक्टर के सीमावर्ती गांव में अभी भी पांच सौ घरों में शौचालय नहीं बने हैं, जिसे बनाने की लोग लंबे अरसे से मांग करते आ रहे हैं। हालांकि, शुरू में ग्रामीण विकास विभाग ने शौचालय बनाने का काम शुरू किया था।

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इसके बाद कुछ घरों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए भी गए थे, लेकिन बाद में केंद्रीय राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने सर्वे करवा कर 1150 शौचालय बनाने का काम सुलभ इंटरनेशनल संस्था को सौंपा था। जो चार सालों में 1150 में से 650 शौचालय ही बना पाई है। अब संस्था ने दो साल के बाद दौबारा काम शुरू तो किया है, लेकिन लोगों को उम्मीद नहीं है कि घरों में जल्द शौचालय बन पाएंगे। कोट्स--

सीमावर्ती गांवों में अभी अधिकांश घरों में शौचालय नहीं हैं, जिससे लोगों को परेशानी होती है। खास कर गोलीबारी के दौरान जब पाकिस्तान की तरफ से प्रतिदिन लगातार गोलीबारी होती थी। लोग खेतों में नहीं जा पाते थे। एक संस्था ने शौचालय बनाने का काम 2017 में शुरू किया था जो दो सालों से बंद है। लोग ग्रामीण विकास विभाग से भी नहीं बनवा पाए और ना ही संस्था बना रही है। प्रशासनिक अधिकारियों से भी कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ। इस समय सीमा पर माहौल शांत है। सरकार को बचे हुए घरों में शौचालयों का निर्माण जल्द करवाना चाहिए।

- मोहन लाल, सरपंच पानसर। कोट्स---

सीमावर्ती गांवों में सामुदायिक बंकरों में तो शौचालय बनाए गए हैं, लेकिन व्यक्तिगत बंकरों में नहीं। गोलीबारी के दौरान लोगों को काफी परेशानी होती थी। गरीब लोग आर्थिक तंगी की वजह से शौचालय बना नहीं पाते। जिस संस्था को शौचालय बनाने का काम सौंपा गया था वह काफी धीमा चल रहा है। ऐसे में सरकार को शौचालय बनाने के लिए बीएडीपी या किसी अन्य योजना के तहत फंड जारी करना चाहिए, ताकि सभी घरों में शौचालय निर्माण जल्द मुकम्मल हो सके।

-दीप कुमार

कोट्स--

सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने हीरानगर सेक्टर में 1150 शौचालय बनाने थे। 650 बन चुके हैं। कुछ कंपनियां शौचालय बनाने के लिए फंड डोनेट करती हैं। एक शौचालय पर 35 हजार रुपए खर्च आता है। लाकडाउन की वजह से दो सालों फंड नहीं मिला था, जिस कारण काम रोकना पड़ा। कोल इंडिया ने 200 शौचालय बनाने की मंजूरी दी थी। फंड की कमी से 70 शौचालय नहीं बन पाए थे। अब फंड आने पर दोबारा काम शुरू किया गया है। मनयारी चक चंगा, गुज्जर चक करोल आदि गांवों में अभी भी 450 शौचालय बनाने बाकी हैं। जैसे-जैसे फंड आता जाएगा निर्माण जारी रहेगा। - अनंतराम मिश्रा, सुपरवाइजर, सुलभ इंटरनेशनल।


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