Move to Jagran APP

नाम बाढ़ नियंत्रण विभाग, काम फंड के अभाव में सिर्फ जागरूक करना

राकेश शर्मा कठुआ बरसात के मौसम शुरू होते ही जिले में कई स्थानों पर बाढ़ का खतरा मंड

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jul 2022 04:21 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jul 2022 04:21 AM (IST)
नाम बाढ़ नियंत्रण विभाग, काम फंड के अभाव में सिर्फ जागरूक करना
नाम बाढ़ नियंत्रण विभाग, काम फंड के अभाव में सिर्फ जागरूक करना

राकेश शर्मा, कठुआ: बरसात के मौसम शुरू होते ही जिले में कई स्थानों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। ऐसा शायद इसलिए भी है कि सरकार के बाढ़ नियंत्रण विभाग के पास पिछले तीन सालों से बाढ़ के खतरे से निपटने के लिए पर्याप्त फंड तक उपलब्ध नहीं है। इसके चलते विभाग के अधिकारियों के पास खाली हाथ ही बाढ़ रोकने के प्रयास इस बार भी करना होगा या फिर प्रभावित क्षेत्र के लोगों को ऐसी स्थिति बनने पर खुद ही अपने बचाव करने को लेकर सतर्क रहना होगा।

loksabha election banner

यही कारण है कि जिले में बाढ़ की आशंका वाले सबसे ज्यादा प्रभावित उज्ज दरिया के किनारे बसे लोगों की चिताएं अभी से सताने लगी है। जब भी बारिश होती है तो दरिया किनारे रहने वाले लोगों की सांसे अटक जाती हैं। लोगों की जानमाल की सुरक्षा के लिए बनाए गए विभाग को सरकार ने पिछले कुछ सालों से फंड जारी न कर निष्क्रिय कर रखा है। अधिकारियों के पास कार्यालय में कोई काम तक नहीं होता है।

जिले में इस समय बाढ़ नियंत्रण विभाग के पांच सब डिवीजन हैं, जिसमें कठुआ, हीरानगर, बिलावर, बसोहली और बनी शामिल है, लेकिन इन पांचों डिवीजन में सरकार द्वारा बाढ़ की रोकथाम के लिए मात्र 10 लाख रुपये के फंड यूटी कैपेक्स बजट के तहत जारी किए जाते हैं, जो ऊंट के मुहं जीरा के समान है। विभाग 10 लाख फंडों से जहां ज्यादा खतरा रहता है या फिर आपात स्थिति बन जाती है वहां पक्का यानि सीमेंट वर्क से सुरक्षा बांध बनाने की बजाय पत्थर के क्रेट से बाढ़ रोकने का प्रयास करता है, ऐसे प्रयास से सिर्फ अस्थायी प्रबंध होते हैं। हालांकि, हर साल लोगों की मांग पर विभाग की ओर से सरकार को पर्याप्त फंड उपलब्ध कराने के लिए योजना बनाई जाती है, लेकिन उस पर सरकार की ओर से कोई अमल नहीं किया जाता है। इससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। बाक्स---

जिले में उज्ज दरिया किनारे बसे दर्जनों गांव हैं बाढ़ प्रभावित क्षेत्र

हर साल की तरह जिले में इस बरसात में भी उज्ज दरिया के किनारे घाटी के चंग, सकता चक, सुममा, नंगल, पंडोरी, छब्बे चक, तंगदेय पुरा आदि ज्यादा बारिश होने पर बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। अभी कुछ दिन पहले हुई बारिश के दौरान उज्ज दरिया में आई बाढ़ से चंग व छब्बे चक में सैकड़ों कनाल भूमि में लगी धान की फसल बर्बाद हो गई थी। उज्ज दरिया में ऐसी स्थिति सिर्फ इस बार ही नहीं, बल्कि हर साल आने वाली बाढ़ में बनती है। इससे हर साल सैकड़ों कनाल कृषि योग्य भूमि का बाढ़ से कटाव होता है। इसके अलावा तरनाह नाले के किनारे मथरा चक, गदयाल, छपाकी, चड़वाल, हीरानगर कस्बे के निचले क्षेत्र में बाढ़ का खतरा बना रहता है। रावी में जराई क्षेत्र और सहार खड्ड में बड़ाला, शेरपुर आदि बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र है। बिलावर के बेरल, नाज आदि में भी बाढ़ से लोगों की मुश्किलें हर साल बढ़ जाती है। बाक्स--- भारी वर्षा के बाद हर बार कहर बरपाता है उज्ज दरिया

घाटी के सरपंच पृथ्वीपाल सिंह निक्कू के अनुसार जिले में भारी वर्षा के बाद उज्ज दरिया हर बार कहर बरपाता है। इसमें कई बार पशु और इंसानी जानों को भी खतरा बन जाता है। इसके अलावा हर साल सैकड़ों कनाल भूमि बाढ़ में समा जाती है। इसमें फसल भी प्रभावित होती है। चंग व छब्बेचक क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, लेकिन सरकार बार-बार मांग करने पर भी उनकी सुरक्षा के लिए कोई कदम तक नहीं उठाती है। सिर्फ पत्थर के क्रेट डालकर आसूं पोछने के प्रयास होते है। विगत तीन साल से खतरे वाले उज्ज दरिया में बाढ़ की रोकथाम के लिए कोई काम नहीं किया गया है।

बाक्स---

शिविर लगा लोगों को दरिया से दूर रहने को किया जागरूक

बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने वीरवार को बाढ़ प्रभावित उज्ज दरिया के छब्बेचक क्षेत्र में एसडीआएफ एवं सिविल डिफेंस की टीम के सहयोग से एक जागरूकता शिविर लगाया। डीसी के निर्देश पर आयोजित शिविर में स्थानीय सरपंच की उपस्थिति में लोगों को वर्षा के दौरान दरिया के पास जाने की बजाय दूर रहने को कहा गया। इसके अलावा अपने माल मवेशियों को भी ऐसे मौसम में दरिया के किनारे या आसपास न जाने की सलाह दी गई। इसके अलावा शिविर में एसडीआरएफ व सिविल डिफेंस की टीम ने ग्रामीणों को बाढ़ की स्थिति बनने पर कैसे अपना और दूसरों का बचाव करना है, उसके बारे में जागरूक किया। आपात स्थिति बनने पर एसडीआरफ व सिविल डिफेंस की टीम को राहत व बचाव के लिए तुरंत सूचना देने को कहा गया। बाक्स---

10 करोड़ का प्लान भेजा, नहीं मिली अभी तक मंजूरी बाढ़ नियंत्रण विभाग के कार्यकारी अभियंता एफ आर भगत के अनुसार कठुआ जिले में कुछ ऐसे दरिया हैं, जहां बाढ़ का खतरा हर बरसात में बरकरार रहता है, लेकिन रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने के लिए विभाग के पास फंड तक नहीं रहते है। विगत तीन साल से लगातार जिले में विभाग के पास कोई भी फंड योजना के तहत रोकने के लिए नहीं मिले हैं। ऐसे में उनके पास खाली हाथ और लोगों को जागरूक करने के सिवाए कोई उपाए नहीं हैं। कुछ वर्ष पूर्व दस प्रोटेक्शन वर्क एवं फ्लड मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत समय-समय पर अतिरिक्त करोड़ों रुपये के फंड जारी होते थे, लेकिन यूटी बनने के बाद वह भी बंद हैं। जिला वार्षिक योजना में उनके विभाग को कोई फंड उपलब्ध नहीं कराये जाते है। अब भी तीन माह पहले उन्होंने बाढ़ की पर्याप्त रोकथाम के लिए 10 करोड़ का प्लान बनाकर भेजा गया है, जिसे अब तक मंजूरी नहीं दी गई है,बरसात शुरू है और खतरा बना है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.