तीन माह पहले डाली गई तारकोल वर्षा में बही, जांच शुरू
जागरण संवाददाता कठुआ सरकारी निर्माण एजेंसियों द्वारा सड़कों के निर्माण में घटिया सामग्र
जागरण संवाददाता, कठुआ: सरकारी निर्माण एजेंसियों द्वारा सड़कों के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किए जाने के कारण वर्षा होते ही बह गया। कुछ माह पहले जिस सड़क पर लंबे समय की मांग के बाद तारकोल डालने की शहरवासी खुशियां मना रहे थे अब वहां उन्हें घटिया निर्माण होने पर निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण शहर के वार्ड 19 स्थित शिवानगर के टावर वाली मुख्य गली में तीन माह पहले लाखों रुपये की लागत से डाला गया तारकोल है, जोकि उखड़ गया। तारकोल के नीचे बिछाया गया कंकड़ और रोड़ी तक बाहर निकाल आया है। स्थानीय लोग ऐसे विकास को लेकर ठगा सा महसूस कर रहे हैं। हालांकि, घटिया निर्माण का मामला निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी के कार्यालय में पहुंचा, जिसके बाद संबंधित ठेकेदार को विभाग ने जवाबदेह बनाया है।
बताया जा रहा है कि निर्माण एजेंसी के नियम के अनुसार जिस ठेकेदार ने तारकोल डाला है, वही उसे एक साल के भीतर उखड़ने पर जिम्मेदार होता है। विभाग ने शिकायत के बाद जांच शुरू कर दी है। साथ ही ठेकेदार को दोबारा तारकोल डालने के लिए कहा जा रहा है। अब सवाल यह है कि क्या ऐसा घटिया निर्माण अगर शहर के सार्वजनिक शिवानगर की मुख्य गली में किया गया है तो अन्य स्थानों पर भी होगा, जिसका एक और उदाहरण शहर के वार्ड 4 स्थित एसएसपी के कार्यालय के पास मुख्य गली में भी कुछ माह पहले डाला गया तारकोल उखड़ गया है। जब तारकोल डाली जाती है तब स्थानीय लोगों में से कोई भी घटिया निर्माण होने की जानकारी नहीं रखता है। बाद में सब सवाल उठाते हैं,जबकि सरकार बार-बार लोगों को अपने क्षेत्र में होने वाले निर्माण कार्य की गुणवत्ता को जांच करने और निगरानी करने के लिए कहती है, लेकिन उस समय सब चुप रहते हैं। कोई किसी को नाराज नहीं करता है। अगर समय पर सवाल उठाते तो दोबारा लोगों को असुविधा नहीं झेलनी पड़ती। कोट्स---
मुख्य गली में डाला गया तारकोल पूरी तरह से उखड़ कर बाहर आ गया है, जिससे अब फिर मार्ग पर पहले जैसे असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। घटिया निर्माण का खामियाजा फिर लोग असुविधा झेल कर भुगतेंगे।
-राकेश कुमार पंगोत्रा, स्थानीय शिवानगर निवासी, वार्ड 19 कोट्स--
तारकोल डालते समय गलियों व नालों के पानी की निकासी को सुनिश्चित नहीं बनाया गया। इसके चलते तारकोल उखड़ने के ज्यादा कारण बनते हैं, लेकिन यहां तारकोल ही घटिया डाली गई थी।
-महेश गुप्ता, स्थानीय शिवानगर निवासी वार्ड 19 कोट्स---
सड़क पर तारकोल डालते समय अगर कोई उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाने का प्रयास करता है तो उसे विकास में रोड़ा अटकाने वाला कहा जाता है या उसे बोलने नहीं दिया जाता। इसलिए लोग चुप रहते हैं।
-सुरेंद्र शर्मा, शिवानगर। कोट्स---
शिवानगर की मुख्य टावर वाली गली में डाली गई तारकोल उखड़ने का मामला संज्ञान में आने के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग में लिखित शिकायत दर्ज की गई है, जिसकी जांच के बाद संबंधित ठेकेदार को जवाबदेह बनाकर उसे दोबारा अपने खर्चे पर तारकोल डालने के निर्देश दिए गए हैं।
-राहुलदेव शर्मा, पार्षद, वार्ड-19