मिडिल स्कूल नगरोटा की हालत बदहाल
सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को लेकर देश में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है। शिक्षा पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो इस के बावजूद ब
संवाद सहयोगी, बसोहली: भले ही सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को लेकर देश में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है। शिक्षा पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो इस के बावजूद बच्चों के शैक्षिक स्तर में ना तो सुधार हुआ है और ना ही बच्चियों के लिये सुरक्षित छत मुहैया हो पा रही है। ऐसे में मौत के साये में मासूम बच्चे जर्जर भवन या कमीशनरखोरी की भेंट चढ़ी ऐसे स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं यहां पर टूटी हुई छत, टपक रहा बारिश में पानी और गिरने का भय हर समय सताता रहता है। यह कहानी है नगरोटा में 1986 के दशक में बनाये गये लड़कियों के मिडिल स्कूल की। जिस की हालत इतनी दयनीय है कि बारिश में पानी टपकता है बाहर चलने फिरने में मुश्किल होती है मैदान में पानी भरा रहने के कारण यहां पर फिसलन हर रोज लड़कियों के कपड़े गंदे करती है।
लोगों की मांग पर भी नहीं हुआ सुधार
नायब सरपंच प्रेहता अजीत सिंह, नरेश वमर, राज कुमार गुप्ता, केशव वमर आदि ने बताया कि इस बालिका विद्यालय की बिल्डिंग में सुधार को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों, संबंधित विभाग के अधिकारियों से बात की मगर किसी ने भी इस जर्जर हो रही बिल्डिंग की स्थिति को ठीक करने के लिये कोई कार्रवाई नहीं की। जिस कारण जान जोखिम में डालकर आज भी बच्चियां अपना भविष्य संवारने में लगी हुई हैं। बच्चियों के सिर पर सदा काल मंडराता रहता है मगर अधिकारी चिर निद्रा में सोकर किसी बड़े हादसे के इंतजार में लगे हैं।
तभी तो सरकारी स्कूलों की हो रही उपेक्षा
गर्ल्स मिडिल स्कूल नगरोटा में दो कमरे और 90 बालिकाएं। सरकारी स्कूलों में लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद सरकारी बिल्डिंगों की हालत सुधार ना होने के कारण निजी स्कूल चांदी काट रहे हैं। उप मंडल में सरकारी स्कूलों में ना तो अच्छी बिल्डिंग हैं और ना ही उन में वह सब सुविधाएं जो बालिकाओं को सुरक्षित रहने का अहसास करवाती हैं। जिस कारण निजी स्कूलों का उप मंडल में बोलबाला हो रहा है और हर वर्ष नये स्कूल तैयार हो रहे हैं।
कट्स--
नगरोटा स्कूल की बिल्डिंग जर्जर है इस को बनाने को लेकर उच्च अधिकारियों को कई बार पत्राचार किया जा चुका है। फंड उपलब्ध होने पर ही कार्य हो सकता है।
अयूब बट्ट, जेडईओ, बसोहली जोन।