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स्वादिष्ट फलों की खुशबू से महकाने को मिलेगा बागवानों को सब्सिडी

करने के लिए सरकार द्वारा कई तरह के प्रोत्साहन बागवानों को दिए जा रहे हैं ताकि कैश क्रॉप्स से जुड़ी खेती के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग आगे आएं और अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ उसे सुनिश्चित बनाकर रोजगार के रूप में अपनाएं। इसी के चलते जिला में विभाग सरकार द्वारा बागवानों को प्रोत्साहित करने के लिए दी जाने

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 May 2020 01:15 AM (IST)Updated: Mon, 04 May 2020 06:16 AM (IST)
स्वादिष्ट फलों की खुशबू से महकाने को मिलेगा बागवानों को सब्सिडी

जिले में बागवानी के क्षेत्र में हर साल वृद्धि करने के लिए सरकार द्वारा कई तरह के प्रोत्साहन बागवानों को दिए जा रहे हैं, ताकि कैश क्रॉप्स से जुड़ी खेती के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग आगे आए और अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ उसे सुनिश्चित बनाकर रोजगार के रूप में अपनाए। इसी के चलते जिले में बागवानों को प्रोत्साहित करने की कोशिश की जा रही है। गत वर्ष जहां रुरल बैकयार्ड योजना के तहत सब्सिडी पर करीब 50 हजार परिवारों को तीन-तीन पौधे दिए गए, उसके बाद आगामी नई योजना के तहत सरकार द्वारा बागवानों को और प्रोत्साहित करने के लिए पहले दी जाने वाली 30 हजार की प्रति एकड़ सब्सिडी को बढ़ाकर एरिया एक्स्टेंशन अंडर स्टेट कैंपाक्स प्रोग्राम के तहत 50 हजार कर दी गई है, ताकि जिले में बागवानी का क्षेत्र भी बढ़े और बेरोजगार युवा भी इसे रोजगार की तरह अपनाकर अपनी आमदनी को सुनिश्चित बना लें। विभाग की ऐसी योजनाओं का अब कितने परिवार लाभ ले रहे हैं, जिले के कितने क्षेत्र में बागवानी हो रही है, कुल उत्पादन कितना है, कब किस मौसम में कौन से फल और किस क्षेत्र में लगाए जाते हैं, इन सब मुददों पर दैनिक जागरण के उप मुख्य संवाददाता राकेश शर्मा ने जिला बागवानी अधिकारी सुशील कुमार अंगुराना से विशेष बातचीत की, उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:- -जिले में कुल कितने क्षेत्र में फलों की खेती हो रही है।

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जिले में इस समय कुल 15972 हेक्टेयर क्षेत्र में फलों की खेती होती है। इसमें से कुल 32483 मीट्रिक टन फल का उत्पादन होता है, इसमें 12578 हेक्टेयर में ताजा फल और 3393 हेक्टेयर क्षेत्र में सूखे फल का उत्पादन होता है। सूखे फलों एवं कुछ ताजा फल जैसे सेब, अखरोट आदि जिला के बनी, लोहाई मल्हार, डुग्गन में ही होते हैं। ताजा फलों का कुल उत्पादन 26314 मीट्रिक टन होता है, जिसमें मुख्य रूप से आम, सेब, आड़ू लीची आदि हैं। जिले में सिर्फ आमों की पैदावार 6 हजार मीट्रिक टन होती है, सेब की कुल 800 मीट्रिक टन, अखरोट की 3300 मीट्रिक टन पैदावार होती है, जो बनी, डुग्गन, लोहाई मल्हार के अलावा कुछ क्षेत्र बनी और बिलावर का भी इसमें आता है। - किस क्षेत्र में कौन से ज्यादा फल के पौधे लगाए जाते हैं।

आम, लीची, आड़ू आदि पौधे बरसात के मौसम में लगाए जाते हैं, जिसमें हीरानगर, बरनोटी, कुछ बिलावर और बसोहली का क्षेत्र शामिल है जो सभी ट्रापीकल क्षेत्र में आते हैं, जबकि टेंपरेंट क्षेत्र जैसे बनी, डुग्गन, लोहाई मल्हार, मशेडी आते हैं, जहां पर सेब, आड़ आदि होते हैं, जबकि इसी क्षेत्र में सूखे फलों के पौधे फरवरी में लगाए जाते हैं। - लॉकडाउन में क्या फलों की खेती प्रभावित हुई है।

नहीं, सौभाग्यवश जब कोरोना संकट शुरू होने लगा तो उससे पहले ही सर्दी के सीजन में फलों का पौधारोपण पूरा हो चुका था। - क्या, सरकार द्वारा कोई लक्ष्य दिए गए हैं।

जिले में पिछले साल मिले लक्ष्य के तहत कुल 48300 पौधे बैकयार्ड योजना के तहत सब्सिडी पर बांटने थे, जो बांट दिए गए। इस पर कुल पौधे की कीमत पर 90 फीसद सब्सिडी लाभार्थी को दी गई, ये घरों के आंगन में लगाने के लिए तीन-तीन पौधे दिए गए, जिसमें आम, निबू, अमरूद, लीची आदि फलों के पौधे शामिल थे। -बागवानी के प्रति और लोगों को आकर्षित करने के लिए क्या कोई योजना है।

जिले में बागवानी से अब तक कुल 16 हजार लोग जुड़े हैं, लोगों को इसके लिए आकर्षित करने पर अब सरकार 30 हजार की बजाय 50 हजार सब्सिडी देने जा रही है। ये सब्सिडी एक हेक्टेयर यानि 20 कनाल क्षेत्र के लिए दी जाएगी। इसमें सब्सिडी के रूप में 400 पौधे, पैकिग के लिए गत्ते, खाद, बागवानी के लिए जरूरी उपकरण व मशीन, लेबर आदि शामिल होगी।

- जलवायु परिवर्तन के चलते हो रहे नुकसान के कारण किसानों का क्या कृषि या बागवानी के प्रति रूझान कम हो रहा है।

प्राकृतिक आपदा को देखते हुए अब बागवानी के लिए भी अन्य फसलों की तरह बीमा कराने के लिए योजना बनाई जा रही है, ताकि नुकसान की भरपाई हो, अभी योजना पर विचार चल रहा है, बाकी मॉर्केटिग का अभाव है, लेकिन इसका हल भी है, अगर किसी का फल उसकी अपेक्षा के अनुसार कीमत नहीं दे रहा है तो वह जूस, जैम आदि निकाल सकता है, इसके लिए कार्यालय में एक विशेष केमिस्ट मैनेजर का पद है, उससे सलाह लेकर जूस आदि बनाकर अच्छे दाम पर बेचे जा सकते हैं। इसके अलावा विभाग ग्राफ्टिग की ट्रेनिग स्किल्ड डेवलपमेंट प्रोगाम के तहत देता है, युवा उसका लाभ लें, अन्य निजी संस्थानों में काम करने के अवसर मिल सकते हैं, इसके अलावा विभाग भी उनकी सेवाएं लेकर उन्हें पेमेंट भी देता है। साथ ही महिलाओं को भी अब फलों से तैयार होने वाले जैम, जूस, आचार आम पापड़ आदि बनाने के लिए ट्रेनिग विभाग देगा, ताकि फलों की अच्छी कीमत मिले और ये भी रोजगार का मुख्य साधन बने।


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