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मिंट्टी परीक्षण करवाने के बाद खेती करने की सलाह

स्वायल हेल्थ डे पर कृषि विभाग ने जिले के किसानों को किसी भी फसल को उगाने से पहले खेत की मिट्टी के नमूने की जांच आवश्य कराने की सलाह दी। विभाग के पास इसकी सुविधा है

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 10:42 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 06:16 AM (IST)
मिंट्टी परीक्षण करवाने के बाद खेती करने की सलाह
मिंट्टी परीक्षण करवाने के बाद खेती करने की सलाह

जागरण संवाददाता, कठुआ: स्वायल हेल्थ डे पर कृषि विभाग ने जिले के किसानों को किसी भी फसल को उगाने से पहले खेत की मिट्टी के नमूने की जांच आवश्य कराने की सलाह दी। विभाग के पास इसकी सुविधा है, किसान लैब में समय-समय पर अपने खेतों की मिट्टी की जांच कराते रहे, ताकि मिट्टी की उर्वरक का पता चल सके।

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पत्रकारों से बातचीत करते हुए जिले के मुख्य कृषि अधिकारी विजय उपाध्याय ने कहा कि मिंट्टी परीक्षण करवाने के बाद किसानों को अपने खेत की मिट्टी की फसल उगाने की क्षमता का पता चल सकेगा, उसमें कितना खाद, कितना बीज और किस तरह की सिचाई के अलावा उसमें किस समय कौन सी खुराक की एवं जोत की जरूरत है, इसलिए स्वायल टेस्ट प्रक्रिया को आवश्य अपनाएं। उन्होंने बताया कि किस समय कितनी खाद मिट्टी में डाली जानी है, मिट्टी में किस तरह के और कितना खाद उठाने की क्षमता है, ये भी टेस्ट से पता चलेगा, क्योंकि खाद का उपयोग और उसके लाभ का मिट्टी की उर्वरक और दक्षता से सीधा संबंध है, क्योंकि मिट्टी की उर्वरता इस आधार पर बदलती रहती है कि कितनी तीव्रता से भूमि का उपयोग किया जाता है। पोषक तत्वों को जोड़ा और हटाया जाता है। सामान्य उर्वरक सिफारिशें आमतौर पर बड़े क्षेत्र के किसानों के लिए उपलब्ध सिफारिशें हैं, खेतों पर कई प्रयोगों एवं प्रदर्शनों के परिणामों पर आधारित हैं।

असिस्टेंट स्वायल केमिस्ट सृष्टा देवी ने कहा कि स्वायल टेस्ट आधारित सिफारिशें प्रत्येक जोत की उर्वरता की स्थिति पर आधारित होती हैं, किसी दिए गए क्षेत्र की जरूरतों से मेल खाने के लिए बनाई जाती हैं। इसलिए ये सामान्य उर्वरक अनुशंसा की तुलना में बेहतर संतुलित और अधिक किफायती हैं। अब, हम साइट-विशिष्ट स्वायल टेस्ट आधारित उर्वरक अनुशंसा की ओर सामान्य उर्वरक अनुशंसा से बढ़ रहे हैं। स्वायल टेस्ट आधारित सिफारिशें प्रत्येक क्षेत्र, खेत जोत की उर्वरता स्थिति पर आधारित हैं।

मिट्टी द्वारा पोषक तत्वों की मात्रा की गणना पहले मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में की जाती है और फिर उर्वरकों के माध्यम से आवश्यक मात्रा पर काम किया जाता है। उन्होंने किसानों के क्षेत्र के अनुसार स्वायल हेल्थ कॉर्ड उर्वरक सिफारिशों और फसल पैटर्न को अपनाने के लिए भी जोर दिया।

इस मौके पर विभाग की जिला कृषि अधिकारी संजीव राय गुप्ता, क्षेत्रीय विकास अधिकारी (सब्जी) कठुआ सतीश शर्मा ने भी संबोधित किया।


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