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जिले में बारिश होने पर जलभराव के समाधान के प्रबंध नाकाफी

जागरण संवाददाता कठुआ जिले में बरसात के दौरान बाढ़ की रोकथाम के साथ जगह-जगह होने वा

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 12:52 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 12:52 AM (IST)
जिले में बारिश होने पर जलभराव के समाधान के प्रबंध नाकाफी

जागरण संवाददाता, कठुआ: जिले में बरसात के दौरान बाढ़ की रोकथाम के साथ जगह-जगह होने वाले जलभराव के प्रबंध नाकाफी होने के कारण आए दिन लोगों को समस्याओं को सामना करना पड़ता है। हल्की सी बारिश होने पर जिले में कई ऐसे महत्वपूर्ण स्थान हैं, जहां से यातायात सहित आम लोगों की आवाजाही प्रभावित होती है।

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अगर जिला मुख्यालय की बात की जाए तो बरसात के मौसम के अलावा भी हाईवे पर हटली मोड़, कालीबड़ी, लोअर शिवानगर, वार्ड 21, कोर्ट रोड, महिला डिग्री कॉलेज, कॉलेज रोड से जाने वाले मार्ग पर जलभराव की समस्या बन जाती है। इसके अलावा हीरानगर के एसडीएम कार्यालय परिसर और मिनी स्टेडियम बारिश होते ही तालाब का रूप धारण कर लेता है। हालांकि, उक्त समस्या एक दो साल पुरानी नहीं, बल्कि विगत दस साल से व्याप्त हैं। इसके समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। हैरानी तब होती है, जब जिला प्रशासन प्रत्येक बरसात से पूर्व जून के पहले सप्ताह में ही बाढ़ की रोकथाम के लिए आवश्यक प्रबंधों को लेकर बैठक करता है, लेकिन रोकथाम के लिए कदम नहीं उठाए जाते हैं। रोकथाम के उपाए बैठक सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रहती है। और तो और नालियों एवं नालों के निकास जो साल भर गाद आदि से भरे होते हैं, उसकी भी सही तरीके से सफाई नहीं होती है, जिस दिन जलभराव हुआ, प्रभावित लोगों ने प्रदर्शन किया तो मौके पर संबधित विभाग जेसीबी की सहायता से बंद हुई निकासी को खोल देता है, लेकिन स्थायी समाधान नहीं किए जाते है। इसके चलते हर साल बरसात में नहीं, जब भी बारिश होती है तो प्रशासन के बाढ़ प्रबंधों की पोल खुल जाती है। बाक्स---

हर साल सैकड़ों भूमि समा रही नदी-नालों में

बरसात में बाढ़ की रोकथाम के लिए जिले में सरकार ने कई दशकों से बाढ़ नियंत्रण विभाग को गठित किया है, लेकिन हैरानी की बात है कि इस विभाग के पास न तो जिला प्लान के और न ही स्टेट प्लान से कोई फंड जारी किए जाते हैं, अब गत वर्ष से सरकार ने जिला फंड से बाढ़ नियंत्रण विभाग को राशि आवंटित किए जाने की प्रावधान बनाया है ,बनाया भी वो भी ऊंट के मुंह जीरा बराबर। गत वर्ष मात्र 4 लाख फंड जिले में बाढ़ की रोकथाम के लिए आवंटित हुए, जबकि दूसरी ओर भूमि कटाव से हर बरसात में करोड़ों का नुकसान होता है। अगर नगरी के पंडोरी, जगेई आदि की बात करें तो वहां अब तक 500 कनाल सोना उगलने वाली जमीन दरिया उज्ज में समा चुकी है, जिसमें इस साल भी 32 कनाल बह गई है, लेकिन बाढ़ की रोकथाम वाला विभाग खाली हाथ से बाढ़ रोकने का प्रयास करता है। बाढ़ की रोकथाम के लि विगत पांच साल से कहीं भी कंक्रीट से बांध नहीं बनाए गए हैं, सिर्फ ज्यादा कटाव वाले स्थान पर क्रेट डाल जाते हैं, जो एक ही बाढ़ में बह जाते हैं। कोट्स---

बाढ़ प्रबंधों को लेकर प्रशासन को जहां से भी जलभराव की समस्या आने की सूचना मिलती है, तुरंत वहां पर प्रयास शुरू किए जाते है। बरवाल लिक मार्ग पर स्थित रेलवे अंडरपास में जलभराव की समस्या आने पर तुरंत सामाधान कराया गया, हाईवे पर भी किया गया है,अगर अभी भी वहां समस्या होगी तो प्रयास किए जाएंगे।

-ओ पी भगत, डीसी, कठुआ।


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