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गोलाबारी से डर के साथ आर्थिक तंगी में जी रहे सीमावर्ती बाशिंदे

संवाद सहयोगी हीरानगर भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान दो साल से गोलीबारी करता आ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 06:18 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 06:18 AM (IST)
गोलाबारी से डर के साथ आर्थिक तंगी में जी रहे सीमावर्ती बाशिंदे
गोलाबारी से डर के साथ आर्थिक तंगी में जी रहे सीमावर्ती बाशिंदे

संवाद सहयोगी, हीरानगर : भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान दो साल से गोलीबारी करता आ रहा है। इस दौरान सीमावर्ती गावों के लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। तारबंदी के आगे भी हजारों कनाल जमीन पर गोलीबारी की वजह से 15 साल से खेती नहीं हो पा रही है। इससे किसानों को आíथक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इससे विकास के लिए भी गाव पिछड़े हुए हैं। सड़कों की हालत खस्ता है। ट्यूबवेल वीरान हैं। कुछ गावों में पानी की सप्लाई नहीं हो रही। सीमावर्ती गावों को सरकार ने चार फीसद आरक्षण देने की घोषणा की है, जिसमें सात किलोमीटर तक के गाव शामिल किए गए हैं। सीमावर्ती लोगों का कहना है कि गोलीबारी एक किलोमीटर में हो रही है। सरकार को प्रभावित गावों के युवाओं के लिए नौकरी में अलग से कोटा निर्धारित करना चाहिए। वहीं, पिछले कुछ साल में किसी मंत्री, जनप्रतिनिधि द्वारा सुध नहीं लेने से लोगों में रोष व्याप्त है। अब जिला विकास परिषद के चुनाव के बाद लोगों में थोड़ी उम्मीद जगी है कि अब सरकार सीमांत लोगों की समस्याओं का समाधान करवाएगी।

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हीरानगर सेक्टर में पहाड़पुर से लोंडी तक 17 गांव गोलीबारी से प्रभावित हैं। दस हजार कनाल जमीन तारबंदी के आगे गोलीबारी के कारण 15 साल से खाली पड़ी है। किसानों ने मुआवजे की माग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। इस समय प्रशासन और बीएसएफ ने तारबंदी के आगे खाली पड़ी 13 सौ कनाल पर गेहूं की बिजाई की है। सीमांत गावों को जोड़ने वाली दस किलोमीटर सड़क की हालत खराब है। करोल कृष्णा का ट्यूबवेल बंद रहने से पाच गावों में 15 साल से पानी की सप्लाई नहीं हो रही। हीरानगर सेक्टर में पाकिस्तान दो साल से गोलीबारी करता आ रहा है। मोर्टार से गोलियां लगने से रिहायशी मकानों को नुकसान पहुंचा है। राजस्व विभाग ने रिपोर्ट भी तैयार की थी, लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं मिला। आíथक तंगी से मकानों की मरम्मत नहीं कर पाए हैं। प्रभावित लोगों को जल्द सहायता राशि मिलनी चाहिए।

अनिल कुमार, मनयारी गोलीबारी से प्रभावित गावों में खेती चौपट हो चुकी है। रोजगार का कोई अन्य जरिया नहीं है। पढ़े-लिखे युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। आरक्षण में ज्यादा गावों को शामिल किया गया है। सरकार को प्रभावित गावों में सुरक्षाबलों के लिए अलग से विशेष भर्ती करवानी चाहिए।

अजय कुमार, निवासी छंनटाडा सीमांत गावों के विकास के लिए सरकार ने अलग से योजना लागू कर रखी है। इसमें करोड़ों रुपये भी हर साल आते हैं, फिर भी सड़कों की हालत खस्ता है। सभी गावों में पानी की सप्लाई भी नहीं हो रही। सरकार को गोलीबारी से प्रभावित गावों के विकास के लिए विशेष फंड मंजूर करना चाहिए।

किशोरी लाल, निवासी पाटी मेरू। बोबिया में तारबंदी के बाध के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा नहीं दिया गया है। डीसी तथा बीएसएफ के अधिकारियों ने मुआवजा राशि वितरित करने के लिए दो माह का समय मागा था, जो किसानों ने दे दिया। इस समय बाध का काम चल रहा है। प्रशासन को दो माह तक मुआवजा राशि वितरित करनी चाहिए। सुभाष सिंह, निवासी बोबिया सीमावर्ती गावों के विकास को प्राथमिकता दी जाएगी। तारबंदी के आगे खाली पड़ी जमीन के मुआवजे तथा अन्य समस्याओं का समाधान करवाने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से माग करूंगा।

-करण कुमार, बीडीसी सदस्य, मढ़ीन ब्लॉक


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