जमीन की गिरदावरी खारिज करने से किसानों में रोष
संवाद सहयोगी, हीरानगर : राजस्व विभाग द्वारा सीमा क्षेत्र की सरकारी जमीन पर खेती करने वालों की
संवाद सहयोगी, हीरानगर : राजस्व विभाग द्वारा सीमा क्षेत्र की सरकारी जमीन पर खेती करने वालों की गिरदावरी को खारिज कर देने से किसानों में रोष व्याप्त है। शनिवार को पूर्व सरपंच भारत भूषण के नेतृत्व में करोल माथरियां में लोगों ने प्रदर्शन कर सरकार से इस पर रोक लगाने की माग करते हुए चेतावनी दी कि अगर विभाग ने इस पर रोक नहीं लगाई तो वे आदोलन शुरू कर देंगे।
प्रदर्शन में शामिल भारत भूषण, तरसेम लाल, रतन चंद, मनोहर लाल आदि का कहना है कि एक तो भारत-पाक अंतराष्ट्रीय सीमा पर तनाव की वजह से लोग परेशान हैं। तारबंदी के आगे पड़ती हजारों कनाल उनकी जमीन पर बरसों से खेती बंद है, जिसके मुआवजे के लिए वे संघर्ष संघर्ष करते आ रहे हैं। अब राजस्व विभाग ने पीछे पड़ने वाली सरकारी जमीन की गिरदावरी अभी खारिज करनी शुरू कर दी है, जिससे किसानों की चिंता और भी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र में जो सरकारी जमीन है वह पहले किसानों की ही थी और अलग-अलग कानून के तहत उनसे निकाली गई थी। लोग वर्षो से उसे आबाद कर अपनी गुजर-बसर करते आ रहे थे। राजस्व विभाग ने भी वर्ष 2008 में रोशनी एक्ट के तहत मालिकाना हक पाने के लिए किसानों को आवेदन पत्र जमा करने के लिए कहा था। हीरानगर उपमंडल में तब 6000 किसानों ने रोशनी एक्ट के तहत आवेदन किया था, जिनकी फाइलें आज भी कार्यालयों में धूल चाट रही है। राजस्व विभाग में शहरों व कस्बों में तो रोशनी के तहत इंतकाल कर दिए गए थे। हीरानगर में अगर इंतकाल नहीं हुए तो इसमें किसानों का क्या कसूर है। किसानों का कहना है कि तारबंदी के आगे पाकिस्तान खेती नहीं करने दे रहा और पीछे राजस्व विभाग ने खेती करने पर रोक लगा दी है। ऐसे में सीमांत किसान घरों में बन रहे पके बंकरों में रह कर क्या करेंगे जब उनकी रोजी का जरिया ही बंद हो जाएगा।
वहीं, इस संबंध में तहसीलदार हीरानगर अवतार सिंह का कहना है कि पटवारियों को उस जमीन की गिरदावरी खारिज करने के लिए कहा है, जिसके लिए किसानों ने रोशनी एक्ट के तहत आवेदन नहीं किया गया था या फिर उनकी फाइलें रिजेक्ट हो गई है।