हटाते ही और गिर आता है पहाड़ी से मलबा
दूसरे दिन भी बंद रहा बनी-बसोहली मार्ग
संवाद सूत्र, बनी : बनी बसोहली सड़क मार्ग रविवार को दूसरे दिन भी पूरी तरह बंद रहा। यह मार्ग मडोल के निकट भारी भूस्खलन के चलते बंद हो रहा है। स्थिति यह बनी हुई है कि मशीनरी से जितना मलबा सड़क से हटाया जा रहा है, उससे दोगुना मात्रा में फिर से मलबा पहाड़ी से गिर जाता है। इसके चलते कड़ाके की ठंड में भी मार्ग खोलने में ग्रेफ विभाग की मशीनरी के पसीने छूट रहे हैं।
रविवार को छुट्टी होने के बावजूद भी ग्रेफ की मशीन लगातार मार्ग को खोलने के प्रयास करते रही, लेकिन मार्ग को आवाजाही के काबिल बनाने में उन्हें सफलता नहीं मिल पाई है। इसका मुख्य कारण करीब आधा किलोमीटर की पहाड़ी से लगातार यह भूस्खलन हो रहा है। इसके चलते लोगों को एक किलोमीटर पैदल ऊपर चढ़ाई चढ़ने के बाद दूसरी तरफ जाना पड़ता है। मार्ग बंद होने से बनी में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है और जो लोग अपनी वाहन में बनी के लिए आना चाहते हैं और जिन लोगों को मार्ग बंद होने का पता नहीं उनको वहां से वापस जाना पड़ रहा है। इसके अलावा भी बनी से बसोहली, कठुआ और जम्मू जाने के लिए कोई भी अतिरिक्त मार्ग नहीं है। एक ही मार्ग जिसे बनी के लोगों के लिए लाइफलाइन माना जा रहा है । खबर लिखे जाने तक मार्ग बंद था और रविवार को कोई भी वाहन बनी से कठुआ या बसोहली से बनी नहीं पहुंच सका। शुक्रवार को तीन वाहन जो पठानकोट से सब्जी लेकर बनी के लिए आए थे। दो इंतजार के बाद लौट गए सब्जियों से भरे वाहन
मार्ग बंद होने के बाद रविवार को तीसरे दिन सब्जियों से भरे वाहन पठानकोट लौट गए। ये वाहन शुक्रवार से ही मार्ग खुलने के इंतजार में थे। जानकारी के अनुसार अभी भी मार्ग खोलने का कोई संभावना नहीं है। जम्मू से आ रहे प्रवीण शर्मा अपनी गाड़ी लेकर बनी के लिए आ रहे थे उनका कहना है कि उनको पता नहीं था और शनिवार रात को भी वहीं रुके हुए थे और एतवार को वापस जम्मू चले गए स्थानीय बिशंबर दास मोहम्मद कयूम अंसार अहमद प्रवीण कुमार ने सरकार से मांग की है कि मार्ग खोलने के लिए जल्द से जल्द प्रयास किए जाए और बीमार लोगों के लिए इनको बनी से जम्मू रेफर किया जाता है। उनके लिए हेलीकॉप्टर आदि की व्यवस्था की जाए।
दूसरे दिन रविवार को भी ग्रेफ विभाग के साथ संपर्क में रहा, लेकिन लगातार भूस्खलन के चलते मार्ग को खोलने में समस्या आ रही है। उम्मीद है कि सोमवार को मार्ग खुल जाएगा।
- रमेश चंद्र, तहसीलदार, बनी