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सीमा पर तारबंदी के आगे की जमीन पर जल्द लहलहाएगी फसल

संवाद सहयोगी हीरानगर जम्मू संभाग के कठुआ जिले के हीरानगर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 06:23 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 06:23 AM (IST)
सीमा पर तारबंदी के आगे की जमीन पर जल्द लहलहाएगी फसल

संवाद सहयोगी, हीरानगर : जम्मू संभाग के कठुआ जिले के हीरानगर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर वर्षो से खाली पड़ी जमीन पर जल्द ही गेहूं की फसल लहलहाएगी। प्रशासन अब किसानों को सरकारी खर्च पर खेती करने के लिए प्रेरित करेगा।

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गत दिनों उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के दौरे के दौरान तारबंदी के आगे की खाली पड़ी जमीन पर खेती न होने का मुद्दा किसानों ने जोरशोर से उठाया था। जिसके बाद सीमावर्ती ग्रामीणों को उपराज्यपाल ने जल्द खेती शुरू करने के संबंध में आश्वासन दिया था। सोमवार को दोपहर बाद हीरानगर सेक्टर के मनियारी पोस्ट पर जिला आयुक्त (डीसी) ओपी भगत ने बुलेट प्रूफ गाड़ी पर बैठकर चक चंगा तक पहुंचकर खाली पड़ी जमीन को देखा, जिस पर दोबारा खेती शुरू करनी है। इस दौरान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 19 वीं बटालियन के सेकेंड कमाडेट विरेंद्र सिंह, बीडीसी चेयरमैन करण कुमार, मुख्य कृषि अधिकारी अरुण गुप्ता, नायब सरपंच अशोक कुमार व कुछ किसान भी मौजूद थे। इस दौरान डीसी ने किसानों व बीएसएफ अधिकारियों के साथ बैठक कर तारबंदी के आगे खाली पड़ी जमीन का जायजा लेने के बाद कृषि व राजस्व विभाग को जमीन का प्रोजेक्ट तैयार करने का निर्देश दिया। बताया जाता है कि मंगलवार से झाड़ियों को साफ करने का काम शुरू हो जाएगा।

इस मौके पर डीसी ओपी भगत ने कहा कि तारबंदी के आगे खाली पड़ी जमीन पर फिर से खेती शुरू की जाएगी। अभी सरकंडा व झाड़िया उगी हुई हैं, जिसे साफ करवाकर नवंबर तक सरकारी खर्चे पर गेहूं की फसल की बुआई कर दी जाएगी, ताकि किसान आगे खुद खेती कर सकें। खेती करने वाले किसानों को बीएसएफ सुरक्षा मुहैया करवाएगी। कृषि व राजस्व विभाग भी अपना सहयोग देगा। यह काम मंगलवार से शुरू हो जाएगा। किसानों को अगर कोई दिक्कत आएगी तो उसे दूर किया जाएगा। तारबंदी के आगे की जमीन पर वर्षो से नहीं हो रही खेती

हीरानगर सेक्टर में करीब आठ हजार कनाल जमीन तारबंदी के आगे पड़ती है, जिस पर पहले खेती होती थी। सीमा पर तनाव व कुछ दिक्कतें आने के कारण सेना ने इसे 2002 में किसानों से अपने कब्जे में लेकर उसमें माइंस बिछाई थी। फिर 2005 में इस जमीन को सेना ने किसानों को वापस कर दिया। लेकिन खेत में झाड़-झंखाड़ होने के कारण, साथ ही सुरक्षा कारणों से किसान उसपर वर्षो से खेती नहीं कर पा रहे हैं। किसान सरकार से खाली पड़ी जमीन का किराया भी देने की मांग कर रहे हैं। बॉर्डर वेलफेयर कमेटी ने किराये की माग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर कर रखी है। किसानों की माग है कि सरकार वर्ष 2002 की तरह खाली जमीन का किराया दे। साथ ही यह भी माग की है पहली बार झाड़-झंखाड़ कटवाकर सरकार खेती कराए, उसके बाद हम उसमें खेती करेंगे। किसानों ने हीरानगर सेक्टर के दौरे पर आए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी यही मांग की थी। जिसके बाद उन्होंने आश्वस्त किया था कि तारबंदी के आगे की जमीन पर दोबारा खेती शुरू करवाई जाएगी। इसके बाद प्रशासन ने प्रयास शुरू कर दिए हैं।


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