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ISBM University के चांसलर ने सौंदर्य कला की पहचान कर महावीर के जीवन पर बनी रंगोली को दिलाया सम्मान

यह रंगोली पूरे देश में जैन धर्मावलंबियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इस रंगोली को गोल्डन बुक्स आफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल करवाने मेें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई आइएसबीएम यूनिवर्सिटी छत्तीगढ़ के चांसलर विनय अग्रवाल ने।

By Jagran NewsEdited By: Lokesh Chandra MishraPublished: Sat, 05 Nov 2022 04:46 PM (IST)Updated: Sat, 05 Nov 2022 04:46 PM (IST)
ISBM University के चांसलर ने सौंदर्य कला की पहचान कर महावीर के जीवन पर बनी रंगोली को दिलाया सम्मान
रंगोलियां महावीर के जन्म से लेकर मोक्ष तक के पहलुओं की झलक पेश कर रही थीं।

जम्मू, जेएनएन : अगर हम तन्मयता से कोई काम करते हैं तो वह हमें दुनिया में एक अलग पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण होगा। आस्था, मेहतन और लगन से भगवान महावीर के जीवन पर आधारित रंगोली को गोल्डन बुक्स आफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया जाना भी इसी का उदाहरण है। यह रंगोली पूरे देश में जैन धर्मावलंबियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इस रंगोली को गोल्डन बुक्स आफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल करवाने मेें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ISBM University छत्तीगढ़ के चांसलर विनय अग्रवाल ने। ISBM University के चांसलर विनय ने कहा कि इस इस कला को गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल करवाकर दुनिया के सामने भक्ति की अद्भुत मिसाल पेश करवाई है।

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दरअसल, रायपुर के न्यू राजेंद्र नगर में स्थित भगवान महावीर के जिनालय में भगवान महावीर के जीवन पर आधारित कुछ रंगोलियों का संग्रह बनाया गया था। ये रंगोलियां महावीर के जन्म से लेकर मोक्ष तक के पहलुओं की झलक पेश कर रही थीं। विनय अग्रवाल इस कला को देखकर इतने मोहित हो गये कि उन्होंने अपने प्रयास से इस कला के संग्रह को गोल्डन बुक्स आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करवा दिया। इस रंगोली के महान संग्रह को देखने के लिए क्षेत्र के कई दिग्गज पहुंचे। सभी ने इस कला को सराहा।

जिनालय में प्रदर्शित इस कला को देखने के लिए पहुंचे लोगों को संबोधित करते हुए जैन धर्म के कई साध्वी ने कहा कि जैन धर्म के विचार हर काल मेें प्रासंगिक और वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। यह साबित हुआ जब दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में आई। कोरोना काल में दुनिया के डाक्टरों ने जैन धर्म में अपनाई जाने वाली परंपरा को ही ग्रहण करने का निर्देश दिया। दरअसल कोरोना में गर्म पानी, मुंह पर मास्क, साफ-सफाई और समय-समय पर हाथों को धोते रहने की हिदायत दी गयी थी, जिसे अभी भी अपनाया जा रहा है। जैन में ये एक परंपरा के तौर पर वर्षों से अपनाया गया है।


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