पूर्व सांसद लाल सिंह के आवास सहित दस ठिकानों पर सीबीआइ के छापे
-लाल सिंह की पत्नी समेत सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज -सरकारी जमीन पर आरबी एजुकेशनल ट्रस्ट
-लाल सिंह की पत्नी समेत सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज
-सरकारी जमीन पर आरबी एजुकेशनल ट्रस्ट खड़ा करने का आरोप
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जागरण न्यूज नेटवर्क, जम्मू/कठुआ : कठुआ में सरकारी जमीन पर कब्जा करके आरबी एजुकेशनल ट्रस्ट खड़ा करने के मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने मंगलवार को पूर्व सांसद चौधरी लाल सिंह के आवास, ट्रस्ट से जुड़े संस्थानों व इस मामले में उनका सहयोग करने वालों के कठुआ व जम्मू स्थित दस ठिकानों पर एक साथ छापा मारा। आरबी एजुकेशनल ट्रस्ट लाल सिंह की पत्नी के नाम पर बताया जाता है। इस ट्रस्ट के नाम पर एक स्कूल, बीएड कॉलेज व नर्सिंग कॉलेज चल रहा है। छापेमारी के दौरान लाल सिंह अपने राजबाग (कठुआ) स्थित निवास पर ही थे। इस दौरान किसी को भी घर से बाहर या भीतर आने-जाने की अनुमति नहीं दी गई। सीबीआइ की छापेमारी करीब छह घंटे चली।
सीबीआइ ने इस मामले में चौधरी लाल सिंह की पत्नी व ट्रस्ट की चेयरपर्सन कांता अंडोत्रा समेत सात लोगों के खिलाफ जमीन के मालिकाना हक को लेकर गलत हल्फनामा दाखिल करने पर मामला दर्ज कर लिया है। आरोप है कि इन लोगों के पास जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा तय अधिकतम सीमा से ज्यादा कृषि भूमि है। हल्फनामे में इस जानकारी को छिपाया गया है। जिनपर केस दर्ज हुआ है उनमें कठुआ के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर अजय सिंह जम्वाल, मढ़ीन के तत्कालीन तहसीलदार अवतार सिंह, छन्न रोड़ियां के तत्कालीन नायब तहसीलदार देसराज, तत्कालीन गिरदावर रामपाल, तत्कालीन पटवारी सुदेश कुमार व अन्य शामिल हैं। सीबीआइ की टीमों ने मंगलवार को एक साथ इन सभी के ठिकानों पर छापा मारा। सूत्रों के अनुसार, टीमों ने चौधरी लाल सिंह के निवास व इन अधिकारियों के कब्जे से जमीन के राजस्व रिकार्ड संबंधी कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद किए है, जिन्हें टीमें अपने साथ ले गई।
लाल सिंह के इस पारिवारिक ट्रस्ट पर आरोप है कि ट्रस्ट ने जम्मू कश्मीर एग्रेरियन रिफार्म एक्ट का उल्लंघन करते हुए राजस्व एवं वन विभाग की मिलीभगत से सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया। जम्मू कश्मीर एग्रेरियन रिफार्म एक्ट के तहत एक व्यक्ति 100 कनाल ही भूमि रख सकता है, लेकिन सभी अधिकारियों एवं ट्रस्ट की चेयरपर्सन की मिलीभगत से मौके पर पैमाइश के दौरान कब्जा ज्यादा पाया गया। ये भी आरोप है कि एक जनहित याचिका में न्यायालय के समक्ष जून 2015 के दौरान दायर एक शपथ पत्र में झूठी सूचना प्रस्तुत की गई, ताकि ट्रस्ट को किसी प्रतिकूल आदेश से बचाया जा सके। उक्त अधिनियम के अनुसार भूमि के 32 कनाल चराई भूमि को बागीचा बताया गया, जबकि राजस्व रिकार्ड में वहां कोई बागीचा नहीं था। एक्ट से बचने के लिए जमीन की निशानदेही में भी हेराफेरी की गई। जमीन को कनाल व मरला में नापा जाता है और बीस मरले का एक कनाल होता है, लेकिन यहां गणना में भी हेराफेरी करके कम जमीन दर्शाई गई। बता दें कि वर्ष 2015 में जम्मू के एक सेवानिवृत्त शिक्षाविद्ध प्रोफेसर भल्ला ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
---------------- चौधरी लाल सिंह के खिलाफ दर्ज नहीं है केस
आधिकारिक तौर पर चौधरी लाल सिंह की ट्रस्ट में कोई हिस्सेदारी नहीं है। यह पूरा ट्रस्ट उनकी पत्नी के नाम है। इसलिए सीबीआइ की एफआइआर में लाल सिंह के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं है, लेकिन सीबीआइ का मानना है कि लाल सिंह ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए सरकारी जमीन पर कब्जा करवाया।
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चौधरी लाल सिंह का रहा है लंबा राजनीतिक सफर :
चौधरी लाल सिंह ने कठुआ से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी और कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़कर वह जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य मंत्री भी बने। उसके बाद लोकसभा सदस्य चुने जाने पर उनकी पत्नी ने उनके स्थान पर विधानसभा चुनाव लड़ा और विजयी होकर विधानसभा पहुंचीं। चौधरी लाल सिंह लगातार दो बार ऊधमपुर-कठुआ संसदीय सीट से विजयी रहे और वर्ष 2014 में जब उनके स्थान पर गुलाम नबी आजाद को टिकट मिला तो उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा। भाजपा की टिकट पर विधायक बनकर व पीडीपी-भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे, लेकिन वर्ष 2018 में जब कठुआ में रसाना कांड हुआ तो उन्होंने तत्कालीन उद्योग मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा के साथ हिदू एकता मंच की रैली में शामिल होकर रसाना कांड की सीबीआइ जांच करवाने की मांग का समर्थन किया। इसी के चलते भाजपा ने दोनों का इस्तीफा लिया। रसाना कांड की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर चौधरी लाल सिंह ने अपना संघर्ष जारी रखा और डोगरा स्वाभिमान संगठन का गठन किया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में लाल सिंह ने जम्मू-पुंछ व ऊधमपुर-कठुआ, दोनों संसदीय सीटों से एक साथ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।
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पुलिस की रही भारी तैनाती :
राजबाग में चौधरी लाल सिंह के निवास पर सीबीआइ छापे के दौरान पुलिस को भी भारी संख्या में तैनात किया गया था। सीबीआइ ने लाल सिंह के समर्थकों की ओर से इस कार्रवाई का विरोध किए जाने की आशंका को देखते हुए कठुआ पुलिस की मदद भी ली थी। --------------