Jammu Kashmir : हिजबुल के बाद अब कहीं जैश बिलावर में अपना नेटवर्क स्थापित करने के प्रयास में तो नहीं !
मल्हार बिलावर का आतंकियों के बीज पैदा करने का कभी वर्ष 2005 से लेकर 2017 तक एक बड़ा अड्डा रहा है।कठुआ जिला के बिलावर क्षेत्र में पड़ता मल्हारजिसकी सीमा ऊधमपुर जिला के खनेड़ से सटी है।खनेड़ भी आतंकियों जन्मस्थली रही है।
कठुआ, राकेश शर्मा : सीमा पार पाकिस्तान में सक्रिय हिजुबल के बाद अब जैश आतंकी संगठन कहीं कठुआ जिला के बिलावर में अपना नेटवर्क स्थापित करने के प्रयास में तो नहीं।कुछ ऐसे संकेत रविवार बिलावर में पहली बार पकड़े गए जैश आतंकी संगठन के लिए काम करने वाले स्थानीय आतंकी से मिले हैं।
बिलावर पहले भी आतंकी गतिविधियों व इसके लिए काम करने वाले कुछ संदिग्धों के सक्रिय रहने में सुर्खियों में रहा है।जिसमें गत वर्ष जम्मू में बस स्टेंड पर एक बस में पुलिस द्वारा बरामद किए गए विस्फोटक की खेप भी बिलावर भेजने का मामला आया था।बस बिलावर से जम्मू पहुंची थी।उसकी जांच में बस से खेप भेजने में महिला का हाथ होने का मामला आया था।उसकी जारी जांच में पड़ताल के बाद पुलिस ने देवल बिलावर से एक घर से विस्फोटक भी बरामद किया था।
जिस क्षेत्र से रविवार आतंकी पकड़ा गया है,वो क्षेत्र बिलावर से करीब 30 किलोमीटर कटली-मल्हार मार्ग पर पड़ता है।कटली में डेढ़ दशक पूर्व आतंकियों ने आईडी से डीएसपी देवेंद्र शर्मा की जीप को उड़ा दिया था,जिसमें डीएसपी बलिदानी हो गए थे।
वर्ष 2000 से वर्ष 2017 तक कठुआ जिला में पीक पर रही हैं आतंकी गतिविधियां
मल्हार बिलावर का आतंकियों के बीज पैदा करने का कभी वर्ष 2005 से लेकर 2017 तक एक बड़ा अड्डा रहा है।कठुआ जिला के बिलावर क्षेत्र में पड़ता मल्हार,जिसकी सीमा ऊधमपुर जिला के खनेड़ से सटी है।खनेड़ भी आतंकियों जन्मस्थली रही है।वर्ष 2000 में जब जहां हिजबुल आतंकी संगठन का मजबूत नेटवर्क था और जहां से जिला कठुआ व डोडा तक आतंकी गतिविधियां चलाई जाती थी,वहां से पैदल कश्मीर तक आतंकी हीरानगर से पाक सीमा पार से घुसपैठ कर तरनाह, उज्ज नाले से होकर मल्हार पहुंचते थे। जिसके चलते हीरानगर सीमा से तरनाह नाला और उज्ज दरिया का आतंकियों का शुरू से ही सुरक्षित घुसपैठ मार्ग रहा है। हालांकि अब मल्हार में हिजबुल का नेटवर्क पुलिस ने कई साल पहले पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है,जो आतंकी सक्रिय थे,उसमें से कई मार गिराये,दर्जन के करीब पकड़े गए और इतने ही ने पुलिस के समक्ष हथियारों सहित आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा में लौट आए थे।हालांकि 7 के करीब आतंकी पाकिस्तान में ही रह गये थे,जो अभी तक नहीं लौटे हैं।
ढली में रात को स्थानीय ग्रामीणों द्वारा देखे गए पाक ड्रोन
अब हिजबुल के पुराने नेटवर्क का लाभ लेने के लिए जैश अपनी सक्रियता बढ़ाने की फिराक में हो सकता है,इससे इनकार नहीं किया जा सकता है,क्योंकि तीन दिन पहले जम्मू कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने जारी एक बयान में खतरनाक हालात के बारे में कहा था। उससे पहले ऊधमपुर में स्टिकी बम विस्फोट होना,फिर सांबा में ड्रोन दिखना। इसी बीच इधर गत 29 सितंबर को पाक के साथ लगती हीरानगर सीमा पर ढली में रात को स्थानीय ग्रामीणों द्वारा देखे गए पाक ड्रोन के बाद सुरक्षा बलों को तलाशी अभियान में कुछ नहीं मिलना भी आतंकी सक्रियता का संकेत है।क्या पता ड्रोन रात को ही हथियारों की खेप ड्राप करने के बाद वापस पाक चला गया हो और रात को अंधेरे की आड़ में पहले की तरह खेप लेने पहुंचा,वहां से सुरक्षित निकल कर अपने इधर ठिकानों पर पहुंच भी गया हो,इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।वैसे भी हीरानगर सीमा अभी भी ड्रोन घुसपैठ में संवेदनशील है। गत 29 जून को भी ढली में पाक ड्रोन बड़ी संख्या में स्टिकी बम गिराने में सफल हो गया था।जिसे पुलिस ने बरामद किया था। कठुआ जिला आतंकी गतिविधियों व घुसपैठ के मामले में कश्मीर में जारी आतंकवाद के दौर से संवेदेनशील रहा है।