50 किलोमीटर का सफर अब 15 मिनट में Kathua News
पंडोरी स्थित उज्ज दरिया पर बने नये पुल न कोट पुन्नू वासियों की जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर की दूरी को मात्र ढाई किलो मीटर बना दिया है।
कठुआ, राकेश शर्मा । पंडोरी स्थित उज्ज दरिया पर बने नये पुल न कोट पुन्नू वासियों की जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर की दूरी को मात्र ढाई किलो मीटर बना दिया है। जिला के विकास में पंडोरी पुल अहम साबित होगा। आने वाले समय में ये पुल यहां तहसील मुख्यालय की जिला मुख्यालय से दूरी को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा वही पड़ोसी राच्य को एक और वैकल्पिक सड़क मार्ग की इंटरस्टेट सुविधा देगा। जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर और भारत पाक सीमा से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर बने गांव पंडोरी में बने 1 किलोमीटर लंबे पुल से वहां के आसपास के करीब 50 गांवों के लिए नया युग लेकर आएगा।
इस पुल के बनने से स्थानीय लोगों के रहनसहन में भी तब्दीली आएगी। लोगों को सीधा जिला मुख्यालय से जुडऩे के कारण कई प्रकार की सुविधाएं तत्काल उपलब्ध होंगी। सबसे अहम कोट्टुन्नू वासियों को जिला मुख्यालय से पहुंचने के लिए अब 40 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था उन्हें कोर्ट पुन्नू से हरिया चक हरिया चक से सांझी मोड़, वहां से चड़वाल नेशनल हाईवे और फिर वहां से कठुआ जिला मुख्यालय। उसके बाद 15 किलोमीटर की ओर दूरी तय करके गांव पंडोरी में पहुंचना पड़ता था। जिसका मात्र ढाई किलोमीटर का फासला अब इस पुल के बनने से रह गया है।
शायद इसी के चलते खुशी के मारे शनिवार पुल आम लोगों की आवाजाही के लिए खुलते ही कड़कती धूप में वहां के लोग महिलाएं ,बच्चे खुशी के पैदल ही दौड़कर समारोह स्थल में पहुंच गए। ऐसे में उन लोगों के लिए यह पुल एक वरदान साबित हुआ है। जिसके चलते लोगों के जीवन में नया बदलाव आएगा अब उन्हें मात्र इस पुल के जरिए 15 किलोमीटर की दूरी तय करके पंडोरी से होते हुए वहां से सीधा जिला मुख्यालय पहुंचने की सुविधा मिल गई है।
बता दें कि पहले इस स्थान पर कोई पुल नहीं था और लोगों को कई बार आपात स्थिति में पंडोरी से कोट्पुन्नू पहुंचने के लिए पुल के अभाव में दरिया में बहते पानी से गुजरना पड़ता था। पुल के अभाव में विगत चार दशकों में दर्जन के करीब लोग बह कर मौत का ग्रास भी बन चुके हैं। जिसमें आठ साल पहले कठुआ के दो युवक भी दरिया में बह चुके हैं। वही इस पुल के बनने से अब से सीधा सीमांत क्षेत्र से सड़क संपर्क सांबा तक हो गया है।
उधर सांबा में बसंतर पर भी पुल बनने से वहां से सीधा सीमा क्षेत्र से जम्मू तक संपर्क हो गया है। इससे पहले राजशाही के जमाने में सिर्फ ओल्ड सांबा-कठुआ बॉर्डर रोड था, जो पूर्व सरकारों की अनदेखी के कारण पिछले चार दशक से मृत पड़ा था। जिसका कारण इस मार्ग पर 45 किलोमीटर के सड़क में 4 पुलों का निर्माण ना होना था। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद 5 सालों में सभी पुलों का निर्माण हो गया है। जिससे 5 लाख आबादी को लाभ मिला है। इससे यहां के लोगों को अपने क्षेत्र में बेहतर सुविधा मिली है।