Move to Jagran APP

यशवंत सिन्हा ने जम्मू कश्मीर में आबादी के आधार पर परिसीमन की रखी बात, जनजातीय संसदीय क्षेत्र के गठन का सुझाव भी दिया

सभी निर्वाचन क्षेत्र समग्र हों लेकिन किसी भी निर्वाचन क्षेत्र को उसकी आबादी के आधार पर तैयार किए जाने का फार्मूला अपनाया जाना चाहिए। इसके अलावा अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए वही निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित होने चाहिए जहां संबंधित वर्ग की आबादी ज्यादा हो।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 07:34 AM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 07:34 AM (IST)
यशवंत सिन्हा ने जम्मू कश्मीर में आबादी  के आधार पर परिसीमन की रखी बात, जनजातीय संसदीय क्षेत्र के गठन का सुझाव भी दिया
यशवंत सिन्हा ने महबूबा मुफ्ती से उनके घर पर मुलाकात की है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: भाजपा छोड़ तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा भी जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया में भागीदार बनते हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के दौरे पर आए परिसीमन आयोग को ज्ञापन सौंपकर न सिर्फ आबादी के आधार पर परिसीमन करने पर जोर दिया है, बल्कि जम्मू संभाग में एक जनजातीय संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के गठन का भी सुझाव दिया है। परिसीमन आयोग से मुलाकात से पूर्व उन्होंने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती से भी मुलाकात की।

loksabha election banner

यशवंत सिन्हा ने परिसीमन आयोग से मुलाकात ग्रुप आफ कनसंर्ड सिटीजंस (जीसीसी) के एक नेता के तौर पर की है। जीसीसी का गठन करीब चार वर्ष पूर्व ही हुआ है और इसमें सेंटर फार डायलाग एंड रिकांसिलिएशन के निदेशक सुशोभा बार्वे, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन वजाहत हबीबुल्ला, कपिल काक और पत्रकार भारत भूषण शामिल हैं। यशवंत सिन्हा गत सोमवार से कश्मीर में हैं। बुधवार को दोपहर बाद वह अचानक परिसीमन आयोग से मिलने पहुंचे। जस्टिस (सेवानिवृत) रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित परिसीमन आयोग गत मंगलवार से कश्मीर में है।

यशवंत सिन्हा ने परिसीमन आयोग को सौंपे ज्ञापन में जम्मू कश्मीर की भौगोलिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक व आॢथक परिस्थितियों का हवाला देते हुए परिसीमन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाए जाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि जहां तक हो सभी निर्वाचन क्षेत्र समग्र हों, लेकिन किसी भी निर्वाचन क्षेत्र को उसकी आबादी के आधार पर तैयार किए जाने का फार्मूला अपनाया जाना चाहिए। इसके अलावा अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए वही निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित होने चाहिए, जहां संबंधित वर्ग की आबादी ज्यादा हो।

इसके अलावा जम्मू कश्मीर में मौजूदा संसदीय क्षेत्रों की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत नहीं है, लेकिन जम्मू संभाग के दो संसदीय क्षेत्रों में बदलाव हो सकता है। मौजूदा समय में जम्मू-पुंछ संसदीय क्षेत्र में सांबा जिले के कुछ हिस्सों के अलावा जम्मू, राजौरी और पुंछ जिले हैं, जबकि डोडा-ऊधमपुर- कठुआ संसदीय क्षेत्र में कठुआ, सांबा के कुछ हिस्से, रियासी, ऊधमपुर, रामबन, डोडा व किश्तवाड़ जिले शामिल हैं। इन दोनों संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन होना चाहिए। राजौरी, पुंछ, रियासी, ऊधमपुर, रामबन, डोडा व किश्तवाड़ को एक जनजातीय संसदीय क्षेत्र बनाया जाए जबकि जम्मू, सांबा व कठुआ को जम्मू संसदीय क्षेत्र का दर्जा दिया जाए।

महबूबा से राजनीतिक हालात पर बात: यशवंत सिन्हा ने महबूबा मुफ्ती से उनके घर पर मुलाकात की है। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक लगभग तीन घंटे तक चली। इसमें जम्मू कश्मीर के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य से लेकर देश के राजनीतिक हालात पर विचार विमर्श किया गया। अनुच्छेद 370 और 35 ए को समाप्त किए जाने पर भी बातचीत हुई है सिन्हा ने इस मुद्दे पर महबूबा को अपने पक्ष से अवगत कराते हुए कहा कि केंद्र सरकार का यह कदम अनुचित था। उसे इसके लिए पहले सभी के साथ विचार विमर्श करना चाहिए था। उन्होंने बैठक में कथित तौर पर दावा किया है कि केंद्र के फैसले से कश्मीर में लोगों में बहुत नाराजगी है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.