Jammu Kashmir: बर्फ में आई नन्ही परी, सेना की जिप्सी में कराया प्रसव
गुलाम रब्बानी की पत्नी ने सोमवार को सेना की जिप्सी में बच्ची को जन्म दिया है। हिमपात हो रहा था ठंड खूब थी और दृश्यता का भी अभाव था। सैन्य डाक्टर और आशा वर्कर ने जिप्सी में ही सफलता से प्रसव करा लिया।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: गुलाम रब्बानी ने सोमवार की सुबह जब अपनी नवजात बच्ची को गोद में लिया। उसने उसका माथा चूमा और खुदा का शुक्रिया करते हुए कहा कि वर्दी में आए फरिश्तों के कारण उसे बर्फ में एक नन्ही परी मिली है। दिहाड़ीदार गुलाम रब्बानी उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ सटे नारीकूट, कुपवाड़ा का रहने वाला है। उसकी पत्नी ने सोमवार को सेना की जिप्सी में बच्ची को जन्म दिया है।
नारीकूट में सभी रास्ते हिमपात के कारण लगभग बंद हैं। गाडिय़ां नहीं चल रही हैं। लोग बर्फ में पैदल ही आ-जा रहे हैं। सोमवार को तड़के गुलाम रब्बानी की पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई। उसने स्थानीय आशा वर्कर सादिया बेगम को घर बुलाया। सादिया ने हालत देखी तो अस्पताल ले जाने की सलाह दी। उसने कलारुस स्थित सरकारी अस्पताल में संपर्क किया और एंबुलेंस मांगी। उस समय हिमपात हो रहा था। अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस भेजने में असमर्थता जताई। तब सुबह के चार बज रहे थे। निजी वाहन की व्यवस्था मुश्किल थी और पैदल चला नहीं जा सकता था।
इस पर सादिया ने नजदीकी सैन्य शिविर में कलारुस कंपनी कमांडर के मोबाइल पर एक एसओएस कॉल की और स्थिति से अवगत कराया। कंपनी कमांडर ने उसी समय एक सैन्य डाक्टर व पैरामेडिकल कर्मी को दवाओं के साथ जिप्सी में नारीकूट भेजा। सैन्य दल ने आशा वर्कर की मदद से रब्बानी की पत्नी को घर में आवश्यक उपचार दिया। इसके बाद जिप्सी से कलारुस अस्पताल के लिए निकल पड़े। रास्ते में गर्भवती की हालत को और बिगड़ गई। इस पर सादिया ने जिप्सी को वहीं सड़क के किनारे खड़ा करने को कहा। इसके बाद उसने सैन्य डाक्टर के साथ विचार विमर्श किया और फिर जिप्सी में ही प्रसव कराने का फैसला किया। हिमपात हो रहा था, ठंड खूब थी और दृश्यता का भी अभाव था। सैन्य डाक्टर और आशा वर्कर ने जिप्सी में ही सफलता से प्रसव करा लिया। एक स्वस्थ बच्ची का जन्म हुआ।
सेना ने सम्मानित किया: प्रसव के बाद नवजात बच्ची और उसकी मां को कलारुस अस्पताल ले जाया गया। कलारुस कंपनी कमांडर भी दोपहर बाद अस्पताल पहुंचे। उन्होंने गुलाम रब्बानी को मुबारक भी दी। उन्होंने सादिया बेगम को प्रतिकूल परिस्थतियों में सुरक्षित प्रसव कराने के लिए सम्मानित भी किया।
सच में फौजी फरिश्ता बन गए : गुलाम रसूल रब्बानी ने कहा कि मुझे यकीन नहीं था कि मेरी बीबी अस्पताल सकुशल पहुंचेगी। मैं बहुत डरा हुआ था। रास्ते में जब जिप्सी रोकी गई तो मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया था। मैं दुआ कर रहा था कि खुदा मेरी बीबी को सेहत बख्शे, नन्ही जान को यह जहान देखने का मौका मिले। कोई फरिश्ता मेरी मदद को आए और सच में फौजी फरिश्ता बन गए।