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क्या नेशनल कांफ्रेंस का भी PDP जैसा होगा हश्र, कई दिग्गज नेताओं के पार्टी छोड़ने से फारूक अब्दुल्ला-उमर चिंतित

सामान्य तौर पर नेकां की सियासी गतिविधियों में तेजी को प्रदेश में अगले साल गर्मी में संभावित विधानसभा चुनावों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। कई लोग यही गणित है जो कुछ हद तक सही भी है लेकिन यह अधूरा सच है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 08:01 AM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 08:02 AM (IST)
क्या नेशनल कांफ्रेंस का भी PDP जैसा होगा हश्र, कई दिग्गज नेताओं के पार्टी छोड़ने से फारूक अब्दुल्ला-उमर चिंतित
फारूक, उमर अच्छी तरह जानते हैं कि बिखराव शुरू हुआ तो उसकी स्थिति पीडीपी से भी ज्यादा बुरी हो जाएगी।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के शीर्ष नेतृत्व की अचानक बढ़ी सियासी गतिविधियां हर किसी को चौंका रही हैं। कई दिग्गज नेताओं के अलग होने के बाद नेकां अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला जम्मू से लेकर कश्मीर के आखिरी छोर तक कार्यकर्ताओं को भरपूर समय दे रहे हैं। ऐसा कई वर्षों बाद देखने को मिला है। पार्टी की सक्रियता को बढ़ाने में फारूक और उमर खुद आगे-आगे चल रहे हैं।

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सामान्य तौर पर नेकां की सियासी गतिविधियों में तेजी को प्रदेश में अगले साल गर्मी में संभावित विधानसभा चुनावों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। कई लोग यही गणित है जो कुछ हद तक सही भी है, लेकिन यह अधूरा सच है। फारूक और उमर ने यह सक्रियता नेकां को पीडीपी जैसे हश्र से बचाने के लिए दिखाई है। पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में बदले सियासी माहौल में नेकां के परंपरागत राजनीतिक एजेंंडे अब आप्रसंगिक हो चले हैं। आम लोगों में उसकी साख गिरी है। शीर्ष नेतृत्व से कई प्रमुख नेताओं की अनबन है। इसके कई नेता अपने लिए नया घर तलाश रहे हैं। इस सच्चाई को फारूक और उमर दबे मुंह स्वीकारते भी हैं।

नेकां से जुड़े सूत्रों ने बताया कि फारूक और उनके घनिष्ठ सहयोगी मानते हैं कि बदले हालात में नेकां की चूलें हिल रही हैं। इसका अंदाजा जम्मू में देवेंद्र सिंह राणा व सुरजीत सिंह सलाथिया जैसे दिग्गज नेताओं के भाजपा में शामिल होने से हो चुका है। गांदरबल जिले के प्रधान पूर्व विधायक शेख इश्फाक जब्बार ने खुद को पार्टी गतिविधियों से अलग कर लिया है। गांदरबल में डीडीसी प्रधान नुजहत ने भी नेकां छोड़ दी। पूर्व मंत्री आगा सैयद रुहैल्ला भी पार्टी की गतिविधियों से दूर हैं। पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार पूर्व वित्तमंत्री अब्दुल रहीम राथर के पुत्र हिलाल राथर पीपुल्स कांफ्रेंस में जा चुके हैं।

फारूक और उमर अच्छी तरह जानते हैं कि अगर नेकां से बिखराव शुरू हुआ तो उसकी स्थिति पीडीपी से भी ज्यादा बुरी हो जाएगी। नेकां में उनके साथ दो-चार बुजुर्ग नेता जो सियासत से अब रिटायर हो रहे हैं, वही रहेंगे। इसलिए एकजुट रहने की सलाह दी जा रही है।

जम्मू-कश्मीर की मौजूदा सियासत का जिक्र करते हुए वरिष्ठ पत्रकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि अगर बीते 10 साल के दौरान नेकां नेताओं के आचरण को देखा जाए तो अब यह हैरान करने वाला है। अब जिस तरह से नेकां नेतृत्व कार्यकर्ताओं तक के लिए वक्त निकाल रहा है, उसे आगामी चुनावों से जोडऩे के बजाय पार्टी को बचाए रखने की कवायद कहें तो ज्यादा बेहतर है। संगठनात्मक गतिविधियां अगर कुछ समय और ठंडी रहती तो कश्मीर से भी नेकां के कई बड़े नाम खुलेआम कांग्रेस, अपनी पार्टी या पीपुल्स कांफ्रेंस का रास्ता पकड़ लेते।  


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