फारूक अब्दुल्ला को क्यों अच्छे लगने लगे हैं जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, पढ़ें क्या है पूरा मामला
फारूक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अक्टूबर में बर्फबारी ओलावृष्टि और भारी बारिश से हुए नुकसान का किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए। केंद्र की जो टीम जायजा लेने आई थी उन्होंने बताया था कि 1000 करोड़ का नुकसान हुआ है। फिर भी केंद्र ने सिर्फ 16 करोड़ ही दिए।
जम्मू, जेएनएन। पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला को पूर्व राज्यपाल सत्यमलिक अच्छे लगने लगे हैं। डा अब्दुल्ला ने पार्टी के सम्मेलन में किसानों के जारी आंदोलन को जायज ठहराया। उन्होंने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं। इनके उत्थान के बिना भारत देश का विकास संभव नहीं है।
संसद में कृषि कानून वापसी पर बहस न होना इस बात का स्पष्ट संकेत दे गया कि मौजूदा केंद्र सरकार किसानों के हितों की रक्षा की पक्षधर नहीं है। फारूक ने कहा कि संसद सकारात्मक चर्चा और लोगों के हितों की रक्षा के लिए कानून बनाने और उन पर बहस के लिए होती है। लोकतंत्र में भी अगर मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी तो ज्यादा दिन नहीं चल सकता।डा. अब्दुल्ला ने कहा कि किसान आंदोलन में काफी संख्या में किसान शहीद हो गए। उनकी आवाज को सुनने वाला कोई नहीं दिख। इससे अच्छे तो जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक रहे, जिन्होंने किसानों के दर्द को तो समझा।
नुकसान 1000 करोड़ और केंद्र से मिले सिर्फ 16 करोड़ :
फारूक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अक्टूबर में बर्फबारी, ओलावृष्टि और भारी बारिश से हुए नुकसान का किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए। केंद्र की जो टीम जायजा लेने आई थी, उन्होंने बताया था कि 1000 करोड़ का नुकसान हुआ है। फिर भी केंद्र ने सिर्फ 16 करोड़ ही दिए। इससे साफ है कि सरकार किसानों को लेकर गंभीर नहीं है।
डोगरी के बहाने सियासी डोरे :
फारूक ने नेकां छोड़कर डोगरा-डोगरी करने वालों का नाम न लेते हुए कटाक्ष किया कि आज वह कहां हैं। जब हम कुर्सी पर थे तो लोग पैरों में पड़ते थे। कहते थे, यह हमारा अन्नदाता है। कुर्सी से हटते ही बात करने से डरते थे कि कोई दूसरा देख न रहा हो। उन्होंने कहा कि आज के बाद नेकां का रेजुलेशन डोगरी में पास होगा। डोगरी में बात करो। पंजाबी आपकी पहचान है। आप रियासत का हिस्सा हो। पहाड़ी को मजबूत करो। कोई जुबान देश की दुश्मन नहीं है, जिससे आपकी संस्कृति का विकास संभव हो उस भाषा के लिए काम करो।
नशा बेचने वाले देश के दुश्मन, शिक्षा पर ध्यान जरूरी :
नेकां अध्यक्ष ने कहा कि नशा बेचने वाले देश के दुश्मन हैं। उन्होंने शराब के ठेके देने के नाम पर सरकार पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर शिक्षा के क्षेत्र में बुरी तरह से पिछड़ा है। उपराज्यपाल इस बात का ध्यान रखें कि पढ़ना गरीब का भी अधिकार है।