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Jammu Coronavirus Effect: मजदूर नहीं मिले तो परिवार संग रोपाई में जुट गए किसान

कृषि विशेषज्ञ सीएम शर्मा का कहना है कि शुरुआती दौर है और जम्मू जिले में अभी तक 15 फीसद धान की रोपाई काम ही निपट पाया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 04:53 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 04:53 PM (IST)
Jammu Coronavirus Effect: मजदूर नहीं मिले तो परिवार संग रोपाई में जुट गए किसान

जम्मू, जागरण संवाददाता: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए घोषित लॉकडाउन के दौरान काफी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने-अपने प्रदेशों को लौट गए हैं। छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड के काफी मजदूर जम्मू-कश्मीर में कृषि संबंधी मजदूरी करते रहे हैं। उनके चले जाने से किसानों की खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई में देरी हो रही है। समस्या का समाधान न होते देख अब कई किसान परिवारों ने स्वयं ही रोपाई शुरू कर दी है। इसमें बड़े-बूढ़े से लेकर बच्चे तक साथ दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि क्या करें काम तो करना है। खेती ही रोजी-रोटी है। खेती नहीं होगी तो खाएंगे क्या।

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मढ़ ब्लॉक के शामा चक, ङिाड़ी, बाबा तालाब गांवों में किसान स्वयं अपने परिवार को साथ लेकर धान की रोपाई कर रहे हैं। इन किसानों का कहना है कि काम करेंगे नहीं तो खेती आगे बढ़ेगी कैसे। दूसरे राज्यों से मजदूर नहीं आए हैं लेकिन किसान व उसका परिवार खुद भी तो काम कर सकता है। रोजी-रोटी का सवाल है। कोरोना को भी हराना है। शामा चक व आसपास में 30 किसान परिवार खुद ही खेती के काम में उतर आए हैं।

हाथ पर हाथ धरे बैठना भी ठीक नहीं: उन्नत किसान दर्शन कुमार मेहरा का कहना है कि 20 कनाल भूमि पर धान की रोपाई की जानी है। कृषि मजदूरों का लंबा इंतजार किया लेकिन नहीं आए। ऐसे में हाथ पर हाथ धरे बैठना सही नहीं। इसलिए घर के सदस्यों को साथ लेकर धान की रोपाई की जा रही है। धीरे-धीरे काम खत्म कर ही लेंगे। पहले भी तो किसान व उसका परिवार ही धान की रोपाई करता था। कोरोना से बचाव तो करना ही है लेकिन खेती का काम भी तो आगे बढ़ाना है।

मजदूरों के पास समय नहीं: झिड़ी के किसान राम शर्मा ने बताया कि उनके इलाके में मजदूर उपलब्ध नहीं। लेकिन जो थोड़े बहुत हैं, उनके पास समय ही नहीं। ऐसे में किसानों के पास कोई और विकल्प नहीं है। इसलिए अब खेती का काम करके ही किसानों की रोटी पक्की होगी। धान की रोपाई को निपटाने के लिए स्थानीय किसान अब स्वयं ही खेतों में काम कर रहा है।

नहीं मिल रहे मजदूर : गांव पनोतरे चक के नंबरदार कुलदीप राज वैसे तो सब्जियां लगाने का काम प्रमुखता से करते हैं, लेकिन धान की खेती भी करते हैं। इस बार मजदूर नहीं हैं तो वह स्वयं ही धान की रोपाई का काम आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि घर के सारे सदस्य खेती पर नहीं आ रहे हैं, लेकिन इन सबको प्रेरित किया जा रहा है।

जम्मू जिले में 15 फीसद रोपाईः जम्मू संभाग में 1.30 लाख हैक्टेयर में धान की रोपाई की जाती है। इसमें 62 हजार हैक्टेयर का क्षेत्र बासमती धान का है। आरएसपुरा बेल्ट में अखनूर से कठुआ तक करीब 45 हजार हैक्टेयर भूमि में बासमती धान की रोपाई होती है। यह काम कृषि मजदूरों पर निर्भर है। इसके लिए हर सीजन में 40 हजार खेतिहर मजदूर यहां आता रहा है। कोरोना संकट के कारण इस बार दूसरे राज्यों से कृषि मजदूर नहीं आए हैं, ऐसे में धान की रोपाई का काम अब स्थानीय किसानों के सिर पर ही है। अभी तो रोपाई का काम आरंभ ही हो पाया है। कृषि विशेषज्ञ सीएम शर्मा का कहना है कि शुरुआती दौर है और जम्मू जिले में अभी तक 15 फीसद धान की रोपाई काम ही निपट पाया है।


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