चुनाव उत्सव में हर किसी की हिस्सेदारी करेंगे सुनिश्चित
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लोकसभा चुनाव का उत्सव शुरू हो गया है। देश के अन्य हिस्सों की तरह जम्मू में भी चुनावी सरगर्मियां तेज हो रही हैं। जम्मू-पुंछ लोकसभा सीट के लिए सोमवार को नामांकन की अंतिम तिथि है। 11 अप्रैल को इस सीट के लिए मतदान होना है। ऐसे में हर तरफ चुनावी रंग दिखना शुरू हो गया है। आम चुनाव को लेकर आम लोग भी उत्साहित हैं। इस उत्साह को वोटों में परिवर्तित करना अहम चुनौती है, जिसमें चुनाव आयोग की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। चुनाव को लेकर चर्चा तो बहुत होती है लेकिन मतदान के दिन कई क्षेत्रों में इसका प्रतिशत कम रहता है। मतदान का दिन लोगों के लिए सिर्फ छुट्टी का दिन न बनकर रहे, इसके लिए प्रदेश चुनाव आयोग भी इन दिनों जोरशोर से काम कर रहा है। इस बार लोकसभा चुनाव में पहली बार वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल हो रहा है। ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर उठने वाले सवालों के जवाब में चुनाव आयोग वीवीपैट लेकर आया है। इन दिनों आयोग जगह-जगह शिविर आयोजित कर लोगों को इस मशीन के प्रति जागरूक कर रहा है। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है कि लोग मतदान प्रक्रिया में भाग लें और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास प्रकट करते हुए इस उत्सव में पूरे जोश से शामिल हों। ऐसे में मतदाताओं को अधिक से अधिक संख्या में मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए प्रदेश चुनाव आयोग किस तरह के प्रबंध कर रहा है और मतदान केंद्रों में मतदाताओं के अलावा मतदान कर्मियों को किस तरह की सुविधाएं मिलेंगी, यह जानने के लिए दैनिक जागरण के उप मुख्य संवाददाता ललित कुमार ने बात की जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी शैलेंद्र कुमार से। प्रस्तुत है इस बातचीत के खास अंश। -जम्मू-कश्मीर में कुल मतदाता कितने है? इसमें कितने पुरुष व कितनी महिला मतदाता हैैं?
राज्य में छह फरवरी तक 77,77,944 मतदाता थे। इनमें 40,37,993 पुरुष व 37,39,951 महिला मतदाता हैं।
-इनमें से कितने मतदाताओं को फोटो वोटर कार्ड उपलब्ध हो चुके है?
राज्य में कुल मतदाताओं में से 96 फीसद मतदाताओं के पास आज की तारीख में फोटो वोटर कार्ड हैं। -चुनाव में अक्सर फर्जी मतदान की शिकायतें आती हैं। इसको रोकने के लिए क्या प्रबंध किए गए हैं?
फर्जी मतदान रोकने के लिए फोटो वोटर कार्ड सबसे बड़ा हथियार है। अब मतदाता सूचियों में भी मतदाता की फोटो प्रकाशित हो रही है। ऐसे में किसी दूसरे के नाम पर वोट डालना संभव नहीं। जैसे कि 96 फीसद मतदाताओं के पास फोटो वोटर कार्ड हैं और इतनी ही संख्या में मतदाता सूचियों में भी मतदाताओं के फोटो लगे होंगे। ऐसे में सिर्फ चार फीसद मतदाता ही ऐसे होंगे जिनके फोटो नहीं हैं। इनके नाम पर कोई फर्जी मतदान न हो, इसके लिए मतदाता को आधार कार्ड या कोई अन्य फोटो पहचान पत्र दिखाने पर ही मतदान की अनुमति होगी। -राज्य में ऐसे कितने युवा मतदाता हैं जो लोकसभा चुनाव में पहली बार अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे?
इस बार चार लाख दस हजार नए वोट बने हैं। आयोग के प्रयास से पिछले दो महीने में ही एक लाख नए वोट बनाए गए है। -मतदान प्रक्रिया सुचारु ढंग से चले। इसके लिए कितने मतदान केंद्र बनाए गए हैैं?
राज्य की कुल छह लोकसभा सीटों के लिए 11,316 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इसके अलावा विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए 26 विशेष मतदान केंद्र भी बनाए गए हैं। -अक्सर देखा जाता है कि दिव्यांगों व बुजुर्गो को मतदान केंद्र तक पहुंचने व वोट डालने में दिक्कत होती है। उनके लिए कोई खास प्रबंध होंगे?
करीब दस से साढ़े दस हजार मतदान केंद्र सरकारी स्कूलों में बनाए जा रहे हैं। इन मतदान केंद्रों में रैंप की व्यवस्था होगी और दिव्यांगों के लिए व्हील चेयर का प्रबंध किया जाएगा। बुजुर्गो के लिए जरूरत पड़ने पर पालकी भी उपलब्ध कराई जाएगी। सभी जिला चुनाव अधिकारियों को इसके लिए प्रबंध करने को कहा गया है। अगर कोई बुजुर्ग है और उसे मतदान केंद्र तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं है तो आयोग की तरफ से गाड़ी उपलब्ध कराई जाएगी जो उन्हें घर से लेकर आएगी और मतदान के बाद घर छोड़ने भी जाएगी। इस व्यवस्था के लिए मतदान से पूर्व संबंधित ब्लॉक लेवल अधिकारी को सूचित करना होगा। सूचना मिलने पर जिला चुनाव अधिकारी गाड़ी का प्रबंध करेंगे। जरूरत पड़ने पर गाड़ियां किराये पर भी ली जाएंगी। कई दूरदराज व पहाड़ी क्षेत्र ऐसे होते हैं, जहां गाड़ी नहीं पहुंच सकती। ऐसी जगहों के लिए जरूरत अनुसार पालकी का प्रबंध करने के निर्देश दिए गए हैं। यह तमाम प्रबंध इसलिए किए जा रहे हैं ताकि कोई मतदाता वोट देने के अपने अधिकार से वंचित न रहे।