Move to Jagran APP

वर्ल्ड कप 25 जून 1983: सप्ताह भर चला था जीत का जश्न, बैटरी पर टीवी लगाकर देखा था फाइनल

अभी करीब 15 ओवर का मुकाबला ही हुआ था कि अचानक बिजली गुल हो गई। हमनें जल्दी से रेडियो ऑन कर कमेंट्री सुनना शुरू कर दी। बाद में गाड़ी की बैटरी पर टीवी लगाकर एक घंटा मैच देखा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 04:27 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 06:26 PM (IST)
वर्ल्ड कप 25 जून 1983: सप्ताह भर चला था जीत का जश्न, बैटरी पर टीवी लगाकर देखा था फाइनल
वर्ल्ड कप 25 जून 1983: सप्ताह भर चला था जीत का जश्न, बैटरी पर टीवी लगाकर देखा था फाइनल

जम्मू, विकास अबरोल। 25 जून वर्ष 1983 की शनिवार की रात को भला कैसे भुला सकता हूं। उस दिन तो सचमुच में भारत ने पूरी दुनिया ही जीत ली थी। रात भर जीत का जश्न चलता रहा था। क्रिकेट प्रेमी देर रात को मैच खत्म होने के उपरांत अपने घरों से बाहर निकलकर सड़कों पर आ गए थे। जश्न का यह सिलसिला एक सप्ताह से भी ज्यादा दिनों तक चलता रहा था। हर गली-नुक्कड़ में बस कपिल देव के उसी कैच को लेकर चर्चा होती थी जो उन्होंने गेंद के पीछे 25 गज भागते हुए बिल्कुल अपनी उंगलियों के टिप पर पकड़ी थी।

loksabha election banner

वेस्ट इंडीज और भारत के बीच उस ऐतिहासिक एवं यादगार वर्ल्ड कप फाइनल के क्षण को भले ही आज गुजरे हुए 37 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आज भी वे यादगार क्षण क्रिकेट प्रेमियों के मन में जस के तस ही हैं। भारत द्वारा 1983 के वर्ल्ड कप फाइनल की जीत पर आज भी जब उस समय के क्रिकेट प्रेमियों से बात की तो उनकी आंखें उस ऐतिहासिक जीत को याद करते हुए चमक उठी।

भला कौन उस जीत को आज तक भूला है: स्पोटर्स अथारिटी ऑफ इंडिया के जम्मू सेंटर के प्रभारी वीरेंद्र जम्वाल जो क्रिकेट के वरिष्ठ कोच भी रह चुके हैं ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि भला कौन उस जीत को आज तक भूला है। उस समय तो गली मोहल्लों में चुनिंदा लोगों के घर पर ही टेलिविजन होते थे। उस समय वह शहर के न्यूप्लाट क्षेत्र में रहते थे। घर पर तो टेलिविजन नहीं थे और वह पड़ोसी के घर में टीवी में फाइनल देखने गए थे जहां पर पहले से ही 20-25 मोहल्ले के क्रिकेट प्रेमी मौजूद थे। पहले तो सभी भारतीय टीम की खराब बैटिंग से नाखुश थे लेकिन जब वेस्ट इंडीज की टीम मैदान में उतरी तो दिल की धड़कनें तेज होती गई क्योंकि विजय लक्ष्य कम ही था। ऐसा लग रहा था? कि मानो जल्द ही मुकाबला खत्म हो जाएगा। विव रिचर्डस ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर रहे थे लेकिन जैसे ही मदनलाल की शार्ट पिच गेंद पर विव रिचर्डस की हवा में काफी देर तक उछली गेंद को कपिल ने पीछे दौड़ते हुए कैच लपका तो वहां तालियां की गड़गड़ाहट गूंज उठी। सभी एक-दूसरे के गले-मिलने लगे। बस फिर क्या था? देखते ही देखते भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप जीतकर करोड़ों देशवासियों को जीत का तोहफा दिया।

उस ऐतिहासिक जीत को याद कर जवानी के दिन लौट आए: शहर के कृष्णा नगर के रहने वाले देवराज भी आज उस ऐतिहासिक जीत को याद कर फिर से अपने जवानी के दिनों में लौट गए। उन दिनों मैच देखने का जो मजा होता था वो आजकल नहीं होता। उस दिन सभी गली-मोहल्लों के लोग एक-दूसरे के साथ एकसाथ बैठकर मुकाबला देखते थे। उस दौर में नए-नए कलर टेलिविजन आए थे। हमने भी वर्ल्ड कप को देखते हुए कुछ दिन पहले ही कलर टेलिविजन खरीदा था। मोहल्ले वालों को जब इसका पता चला तो सभी यार-दोस्त वेस्ट इंडीज और भारत के बीच लॉडर्स के मैदान में होने वाले वर्ल्ड कप फाइनल को देखने के लिए आ गए। उन दिनों अघोषित बिजली कटौती बहुत होती थी। हमने भी इसी को देखते हुए पहले से ही सभी बंदोबस्त कर रखे थे। अभी करीब 15 ओवर का मुकाबला ही हुआ था कि अचानक बिजली गुल हो गई। हमनें जल्दी से रेडियो ऑन कर कमेंट्री सुनना शुरू कर दी। इसी दौरान जल्दी-जल्दी से पड़ोस का रहने वाला कुलभूषण जो बस चलाता था, तुरंत गाड़ी से बैटरी निकालकर ले आया और फिर बैटरी से एक घंटे तक मुकाबला देखा। इस दौरान फिर लाइट आ गई लेकिन फिर से बिजली कहीं गुल न हो जाए, इसलिए दो घंटों तक बैटरी के सहारे ही मुकाबला देखते रहे। रात को वर्ल्ड कप जीतने के बाद सभी साथी ज्यूल चौक में आकर जीत का जश्न मनाने लगे। वहां जाकर हमें पता चला कि जब फाइनल मुकाबले के दौरान बिजली गुल हुई थी तो कुछ लोगों ने सड़कों पर उतरकर बिजली विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किए थे। जीत का जश्न केवल एक दिन का ही नहीं था बल्कि सप्ताह भर चलता रहा था।

पड़ोसियों के घर देखा था फाइनल मैच: बनिहाल के रहने वाले संजय शर्मा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि 1983 के वर्ल्ड के दौरान उनकी आयु 10 वर्ष की थी। उस समय बनिहाल में रहने वाले कुछ लोगों के घरों में ही ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन होते थे। चूंकि उनके घर में तो टीवी नहीं था इसलिए वह पड़ोस के रहने वाले देवराज अंकल के घर पर फाइनल मुकाबला देखने गए थे। अंकल टीवी मैकेनिक थे और उन्होंने पहले से ही अपने घर में आसपास के लोगों के लिए मुकाबला देखने के लिए बंदोबस्त किए थे। भले ही फाइनल की अन्य यादें धुंधली हो चुकी हैं लेकिन उस समय कपिल देव द्वारा गेंद के पीछे भागकर किया गया कैच उन्हें आज भी याद है। उस समय इस छोटे से कस्बे में कई दिनों तक जीत का जश्न चला था। हम बच्चे गली में इकट्ठे होकर कई दिनों तक जीत पर चर्चा करते रहे और कहते थे कि वाकई कपिल देव ने कैच कर कमाल ही कर दिया।

वर्ल्ड कप 1983 पर बनी मूवी जरूर देखेंगे: रिहाड़ी के रहने वाले संजीव शर्मा जो उस समय मात्र नौ वर्ष के थे, ने बताया कि उस समय तक हर जगह बस भारतीय टीम की जीत की ही बातें होती थी। मैं तो काफी छोटा था लेकिन इतना याद है कि साथ वाले घर में जाकर मुकाबला देखा था और वहीं रात को नींद आ गई। सुबह जब उठा तो पता चला कि भारत ने वर्ल्ड कप जीत लिया है। तब तो वर्ल्ड कप की अहमियत इतनी पता नहीं थी लेकिन अब तो जल्द ही वर्ल्ड कप 1983 पर बनी मूवी भी रिलीज होने वाली है जिसे वह जरूर देखेंगे और अपनी बचपन की यादों को स्मरण करेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.