वार्ताकार से मिलने से इन्कार करने वाले बातचीत के लिए आगे आएं: वोहरा
ड्यूटी पर मौत होने की स्थिति में बारह से बढ़ा पंद्रह लाख किया गया। ड्यूटी पर अगर पुलिस कर्मी की मौत होती है तो उसके परिवार को 43 लाख रुपये मिलते हैं।
जम्मू, [राज्य ब्यूरो] । खोए विश्र्वास को बहाल करने की सरकार की वचनबद्धता दोहराते हुए राज्यपाल एनएन वोहरा ने कहा कि सभी वर्गो के प्रतिनिधियों को केंद्रीय वार्ताकार के साथ बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। बातचीत की प्रक्रिया में हर वर्ग के प्रतिनिधि शामिल हों, ताकि शांति बहाल करने में मदद मिल सके।
हुर्रियत का नाम लिए बिना राज्यपाल ने कहा कि सरकार उन सभी से अपील करती है जो पहले बातचीत की प्रक्रिया में शामिल होने से इन्कार कर चुके हैं कि वे भी आगे आएं और वार्ताकार के बातचीत के प्रस्ताव को स्वीकार करें। वोहरा ने कहा कि मुद्दों का समाधान सिर्फ बातचीत से ही संभव हो सकता है।
राज्य विधानमंडल के बजट सत्र के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पंचायत चुनाव के बाद स्थानीय निकाय चुनाव करवाने के सरकार के फैसले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सरकार इसमें विश्र्वास करती है कि चुने हुए प्रतिनिधियों का शांति प्रक्रिया में पूरा हिस्सा है। हम यहां पर लोकतंत्र के गढ़ में बैठे हैं। हमें यह फैसला कर लेना चाहिए कि पिछले वर्षों से चल रही जम्मू कश्मीर में समस्याओं का अंत होगा और भविष्य में हम समस्याओं को आगे नहीं ले जाएंगे। सुरक्षित व खुशहाल जम्मू कश्मीर बनेगा। वर्ष 2016 में खराब हालात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नजरअंदाज हुए लोगों के हितों का ख्याल रखने की तरफ सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
सरकार की हाल की नीतियों से जम्मू कश्मीर शांति की राह पर आगे बढ़ेगा। सरकार अगले वर्ष को संभावनाओं व मौकों की तरह देख रही है। हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि समाज में सांप्रदायिक सौहार्द हो, नैतिक मूल्य को बढ़ावा मिले। हमें मुखर होकर घोषणा करनी चाहिए कि हम विवादों व हिंसा को विरोध करेंगे।
सुरक्षाबलों को किया सलाम
राज्यपाल ने कड़ी चुनौतियों में आतंकवाद और हिंसा का सामना कर रहे सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों को सलाम करते हुए कहा कि राष्ट्र उन वीर जवानों और अधिकारियों को हमेशा याद रखेगा, जिन्होंने अपना बलिदान दिया है। पिछले कई महीनों से हमारे सुरक्षाबल आतंकवाद विरोधी अभियान सफलता से चला रहे हैं। आतंकवाद विरोधी अभियान तब चलाए जाते हैं जब इनकी जरूरत होती है। इनमें कोशिश होनी चाहिए कि निर्दोष लोगों के जानमाल को नुकसान न पहुंचे। सरकार की हमेशा कोशिश रही है कि शांति कायम की जाए। कट्टरवाद से मुख्यधारा के बीच हिंसा न फैलने पाए। इससे हमारे जीवन को खतरा पहुंचता है। इसके लिए सुरक्षा बलों की कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।
बलिदान देने वाले पुलिस कर्मियों के परिवारों को पर्याप्त राहत राशि मिले, इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। प्रभावित परिवारों को मिलनी वाली राहत राशि को सात लाख से बढ़ाकर बीस लाख किया गया है। ड्यूटी पर मौत होने की स्थिति में राशि को बारह लाख से बढ़ाकर पंद्रह लाख किया गया है। कुल मिलाकर अब ड्यूटी पर अगर पुलिस कर्मी की मौत होती है तो उसके परिवार को 43 लाख रुपये मिलते हैं। पैलेट गन से आंखों की रोशनी गंवा चुके युवाओं का पुनर्वास करने के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं।
कश्मीर की दो तस्वीरों का जिक्र :
वर्ष 2016 में कश्मीर में दो तरह की तस्वीरें सामने आईं। एक सड़कों पर पत्थरबाजों की भीड़ थी तो दूसरे वे युवा थे जो पैलेट गन से घायल हुए थे। यह दुखद था। हम धन्यवाद करते हैं कि हमारे बच्चे स्कूलों व कॉलेजों में गए हैं। अपनी पढ़ाई में बेहतर कर रहे हैं। सामान्य जिंदगी में वापस जाने के लिए सरकार ने पहली बार पत्थरबाजी करने वाले युवाओं के लिए एमनेस्टी योजना शुरू की। इन युवाओं पर मामले वापस लिए गए हैं।