Militancy In Jammu : ग्रामीणों का संकल्प; आतंकी हिंसा का काला दौर लौटने नहीं देंगे
Militancy In Jammu बीते शनिवार जब वह काम करने के बाद अपनी ढोक में लौटा तो दो अज्ञात व्यक्ति मौजूद थे जिन्होंने खुद को व्यापारी बताया। उसे उन पर तब शक हुआ जब उन्होंने उसे अपना मोबाइल फोन का स्विच आफ कर फर्श पर रखने का आदेश दिया।
रियासी, संवाद सहयोगी : करीब डेढ़ दशक तक रियासी जिले का माहौर फिर उस आतंकी हिंसा के दौर में नहीं लौटना चाहता। आए दिन बम धमाकों की गूंज और कतार में खड़े कर बड़े नरसंहार। निर्दोष लोगों के नाक, कान व जुबान काटना आम था। आतंकवाद से जंग लड़ते पुलिस, सुरक्षा बलों और ग्राम सुरक्षा समिति के कई सदस्यों ने बलिदान देकर शांति स्थापित की जिसे लोग अब भंग नहीं होने देना चाहते। यहां के हर यळ्वा देश के प्रति जोश और जुनून है। हाल ही में जिन ग्रामीणों ने जान हथेली पर रखकर दो आतंकियों को पकड़ा उनमें मोहम्मद यूसुफ भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि बीते शनिवार जब वह काम करने के बाद अपनी ढोक में लौटा तो दो अज्ञात व्यक्ति मौजूद थे जिन्होंने खुद को व्यापारी बताया। उसे उन पर तब शक हुआ जब उन्होंने उसे अपना मोबाइल फोन का स्विच आफ कर फर्श पर रखने का आदेश दिया। किसी तरह से बहाना बनाकर उसने बड़ी चतुराई से वहां से कुछ दूर रहने वाले अपने भाई नजीर अहमद से फोन पर संपर्क साध बताया कि यह हमारी आखिरी बातचीत हो सकती है क्योंकि कुछ संदिग्ध लोग घर आए हैं जो पूरे परिवार को मार सकते हैं।
उस फोन काल के तुरंत बाद नजीर ने रोशन दीन शमसुद्दीन,मुश्ताक अहमद और मुहम्मद इकबाल को सारी बात बताई। पुलिस व सुरक्षा बल वहां से दूर थे जिन्हें वहां पहुंचने में समय लग सकता था। इस स्थिति में उन्होंने खुद ही आतंकियों से निपटने का फैसला कर लिया जिसके बाद वह संबंधी रातो रात युसूफ की ढोक पर पहुंच गए। रात के अंधेरे में आतंकी भागने में कामयाब न हो जाए इसलिए उन्होंने उजाले का इंतजार किया। पौ फटते ही पहरे के लिए दो बाहर खड़े और चार लोग अंदर चले गए। बड़ी चतुराई से आतंकियों के हथियारों से भरा बैग छीन उन पर धावा बोल दिया।
इस दौरान तालिब ने मुक्त होने के लिए काफी विरोध किया। उस भिड़ंत में तालिब भागने के लिए दरवाजे तक पहुंच गया था उसे सफल नहीं होने दिया। आखिर मे दोनों को रस्सी से बांध कर पुलिस व सुरक्षा बलों को सूचना दी। जिनके मौके पर पहुंचने पर दोनों आतंकियों को उनके हवाले कर दिया। उन्होंने कहा की उनके इस कार्य से उनके परिवार खतरे में हैं ऐसे में आतंकियों से भिड़ने वाले यह छह लोग पुलिस या अन्य सुरक्षा बल में शामिल होना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि सरकार हमें पुलिस या किसी अन्य सुरक्षा एजेंसी में नौकरी प्रदान करें जिससे हम अपने परिवार की सुरक्षा के साथ ही देश सेवा भी कर सके। यहां के लोगों ने आतंकवाद का काला दौर देखा है। अब यहां आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है।