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सूचना का अधिकार: जब एक सूचना पर रोहिंग्याओं का होने लगा विरोध

नेता प्रभावशाली या मंत्री के पास कितने पीएसओ हैं यह इसके लिए भी आरटीआइ भी डाली थी जिसका जवाब सुरक्षा कारणों से नहीं दिए जाने का जवाब मिला।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 11:05 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 11:05 AM (IST)
सूचना का अधिकार: जब एक सूचना पर रोहिंग्याओं का होने लगा विरोध
सूचना का अधिकार: जब एक सूचना पर रोहिंग्याओं का होने लगा विरोध

जम्मू, राज्य ब्यूरो। लोकतंत्र में हमें एक ऐसा हथियार मिला है, जिससे हम सरकार में हो रहे कामों और जनहित से जुड़ी सूचनाओं को हम लिखित में मांग सकते हैं। ऐसा यह हथियार सूचना का अधिकार है। बस इसका सही से इस्तेमाल करना आना चाहिए। यह हर नागरिक का अधिकार है। जम्मू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और बुद्धिस्ट में मास्टर डिग्री और स्टैटिक्स में पीएचडी करने वाले वाले विकास शर्मा ने इसी सूचना का अधिकार का इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया।

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साल 2009 जम्मू कश्मीर सूचना अधिकार कानून बनने के बाद से विकास अब तक कई आरटीआई दाखिल कर चुके हैं। उन्होंने रो¨हग्याओं को दी जाने वाली सुविधाओं पर भी आरटीआइ डाली। रो¨हग्याओं को बिजली के कनेक्शन देने बारे आरटीआइ के जवाब में कहा गया था कि रोहिंग्याओं को 7273 बिजली के कनेक्शन दिए गए। इसका बिल भी बिजली वितरण विभाग ने वसूला। दरअसल, पिछले काफी समय से जम्मू में अवैध रूप से बसे रोहिंग्याओं को बाहर निकालने का मुद्दा उठता रहा है। इस पर खूब राजनीति भी होती रही है। रोहिंग्याओं को बिजली के कनेक्शन देने और बिल वसूलने का मामला उजागर सूचना अधिकार कानून से प्राप्त जानकारी से ही हुआ था। जब यह मामला सामने आया तो इस पर खूब बवाल मचा था। विपक्षी ने सरकार को आड़े हाथ लिया था। इस घटना के बाद रो¨हग्याओं का बाहर निकालने के मुद्दे ने तूल पकड़ा लिया।

लोगों को जागरूक भी कर रहे : स्कूलों में अध्यापकों की अटैचमेंट, सेंट्रल यूनिवर्सिटी में नियुक्तियां में मापदंडों, स्कूलों में तबादला नीति, नर्सिंग होमों के पंजीकरण, जम्मू में बिना अनुमति के चल रहे ट्यूशन सेंटरों आदि को लेकर कई आरटीआइ दाखिल करने के साथ ही वह लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि आरटीआइ भ्रष्टाचार को मिटाने वाले एक अहम जरिया है।

डरें नहीं, भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हों : विकास के अनुसार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए हमें डरना नहीं चाहिए। आरटीआइ को मजबूत करने की जरूरत है। अब जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है।

मेडिकल सीटों में भेदभाव के आंदोलन से भी जुड़ेः छात्र राजनीति से जुड़े रहे विकास उस समय अधिक चर्चा में आए थे जब साल 2000 में जम्मू के छात्रों के मेडिकल सीटों में भेदभाव होने पर आंदोलन हुआ। प्राइम मेडीकल कालेज के नाम से चले इस आंदोलन में विकास एक अग्रणी छात्र के रूप में उभरे। उन्होंने पूर्व जम्मू कश्मीर की विधानसभा में विजिटर गैलरी से इस भेदभाव विधानसभा में उठा दिया। तब वहां पर हड़कंप मच गया। सरकार ने मामले पर जवाब भी दिया।

कई का नहीं मिला जवाबः विकास कहते हैं कि किस नेता, प्रभावशाली या मंत्री के पास कितने पीएसओ हैं, यह इसके लिए भी आरटीआइ भी डाली थी, जिसका जवाब सुरक्षा कारणों से नहीं दिए जाने का जवाब मिला।


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