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कश्मीरी पंडितों के समर्थन में सामने आए विभिन्न संगठन, आंदोलन तेज करने के लिए चल रहे प्रयास

आरके टिक्कू जोकि जगटी में चल रहे आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं का कहना है कि इस समय प्रति विस्थापित परिवार को सरकार 13 हजार रुपये मासिक नकद राहत उपलब्ध कराती है। लेकिन अब इस रकम से गुजारा नही होता। महंगाई बहुत बढ़ चुकी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 10:57 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 10:57 AM (IST)
कश्मीरी पंडितों के समर्थन में सामने आए विभिन्न संगठन, आंदोलन तेज करने के लिए चल रहे प्रयास
सरकार को एक दिन विस्थापितों की मांगों को पूरा करना ही होगा।

जम्मू, जागरण संवाददाता: मासिक राहत राशि में बढ़ोतरी के लिए पिछले कई माह से आंदोलन कर रहे विस्थापित कश्मीरी पंडितों को अब विभिन्न संगठनों का समर्थन मिलने लगा है।  कांग्रेस के नेता पहले ही अपना समर्थन दे चुके हैं। अब शिव सेना भी इन विस्थापितों के समर्थन में उतर आई है।

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हक के लिए जगटी में चल रहा आंदोलन हालांकि अब 300 दिन को पार कर गया है। लेकिन विभिन्न संगठनों का समर्थन मिलने से विस्थापित कश्मीरी पंडितों में एक नया संचार बना है। वे भी अपने आंदोलन में और पैनापन लाने के लिए बैठकें करने लगे हैं। जगटी के धरना प्रदर्शन को अब जम्मू शहर में ले जाने के बारे में विचार करने लगे हैं।

जगटी टेनिमेंट कमेटी के प्रधान शादी लाल पंडिता का कहना है कि लंबे धरने प्रदर्शन के बाद भी केंद्र सरकार ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों की आवाज को नही सुना। लेकिन अब संतोष इस बात का है कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों की आवाज और मजबूत होने लगी हैं क्योंकि विभिन्न एक दर्जन संगठनों का समर्थन मिल चुका है। सरकार को एक दिन विस्थापितों की मांगों को पूरा करना ही होगा।

आरके टिक्कू जोकि जगटी में चल रहे आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं, का कहना है कि इस समय प्रति विस्थापित परिवार को सरकार 13 हजार रुपये मासिक नकद राहत उपलब्ध कराती है। लेकिन अब इस रकम से गुजारा नही होता। महंगाई बहुत बढ़ चुकी। इसलिए हमारी मांग है कि राहत राशि को बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया जाए। यह एकदम जायज मांग है। लेकिन सरकार इस पर कोई गौर ही करना नही चाहती।

अब विभिन्न संगठनों की ताकत हमें मिल रही है तो आने वाले समय में सरकार के खिलाफ आंदोलन और तेज होगा। टिक्कू ने कहा कि हम तो सरकार से कहेंगे कि वे हमें विस्थापन के दायरे से बाहर निकाले। हर विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे दी जाए। यह लोग अपने आप अपने पैरों पर खड़ा हो जाएंगे।  


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