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वैष्णो देवी की यात्रा में अब न होगी थकावट-न शरीर में दर्द

श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले बुजुर्ग व दिव्यांग श्रद्धालुओं को अब यात्रा के दौरान न थकावट होगी और न ही शरीर में दर्द। उन्हें पालकी के झटके भी नहीं सहने पड़ेंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 07 Mar 2018 03:38 PM (IST)Updated: Wed, 07 Mar 2018 04:49 PM (IST)
वैष्णो देवी की यात्रा में अब न होगी थकावट-न शरीर में दर्द

कटड़ा, राकेश शर्मा। श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले बुजुर्ग व दिव्यांग श्रद्धालुओं को अब यात्रा के दौरान न थकावट होगी और न ही शरीर में दर्द। उन्हें पालकी के झटके भी नहीं सहने पड़ेंगे। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष पालकी तैयार करवाई है, जो पूरी तरह आरामदायक व सुविधा संपन्न है। फिलहाल, 10 पालकी का ट्रायल जारी है, जो सफल भी हो रहा है।

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अगले माह राज्यपाल एनएन वोहरा विधिवत रूप से इन पालकियों को मजदूरों को समर्पित करेंगे। श्राइन बोर्ड ने वर्षो पहले उन श्रद्धालुओं के लिए पालकी की सुविधा मुहैया कराई थी जो बुजुर्ग व दिव्यांग दुर्गम चढ़ाई नहीं कर पाते थे। पालकी को चार मजदूर उठाते हैं, लेकिन इसकी बनावट सही न होने के कारण कई बुजुर्ग इसपर बैठने से डरते थे। इसके साथ जोरदार झटके लगने से श्रद्धालु कमर में दर्द की शिकायत भी करते थे। श्राइन बोर्ड ने इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए आधुनिक पालकी तैयार करवाई है।

पालकी में ये हैं सुविधाएं :-

नई पालकी बैठने में बेहद आरामदायक है। श्रद्धालु अपने साथ छोटा बैग, पानी की बोतल, लैपटॉप आदि सामग्री भी रख सकते हैं। पुरानी लोहे की पालकी के मुकाबले स्टेनलेस स्टील से बनी नई पालकी का वजन आधा है।पुरानी पालकी का वजन 70 किलो से अधिक था, जबकि नई पालकी का वजन मात्र 30 से 40 किलो है। पालकी हल्की होने से अब 150 किलो वजन के श्रद्धालु भी आराम से भवन तक पहुंच पाएंगे। पालकी की बनावट ऐसी है कि श्रद्धालुओं को झटके नहीं लगेंगे। पुरानी पालकी चार से पांच साल तक ही चलती थी। नई पालकी दस से पंद्रह साल तक चलेगी। पुरानी पालकी को तैयार करने में 10 से 12 हजार रुपये का खर्च आता था। नई पालकी 18 से 20 हजार रुपये में तैयार होगी।

श्रद्धालुओं से ली जा रही राय :

पालकी का डिजाइन सरकारी एजेंसी एनआइटीआइई ने आइआईटी मुंबई और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्टि्रयल इंजीनियर मुंबई के साथ मिलकर तैयार किया है। पालकी को तैयार करने का कांट्रेक्ट जिंदल ग्रुप को दिया गया है। श्री माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी के मैकेनिकल इंजीनिय¨रग विभाग के विद्यार्थी ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल की जा रही पालकी का निरीक्षण करने के साथ श्रद्धालुओं से बातचीत कर राय भी ले रहे हैं, ताकि यदि जरूरी हुआ तो बदलाव किए जा सकें।

बोर्ड उठाएगा खर्च :

श्राइन बोर्ड ने पालकी चलाने वाले करीब 100 मजदूरों का पंजीकरण किया है। मजदूरों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने सभी 100 पालकी मजदूरों को सात-सात हजार रुपये में इसे मुहैया कराने का निर्णय लिया है। इसके अलावा बनावट का सारा खर्च भी बोर्ड उठाएगा।

मजदूरों को दी जाएगी वर्दी :

पालकी उठाने वाले मजदूरों को श्राइन बोर्ड की ओर से विशेष वर्दी भी मुहैया कराई जाएगी, ताकि ट्रैक पर उनकी पहचान आसानी से हो सके। राज्यपाल एनएन वोहरा इन मजदूरों को पालकी व यूनिफार्म प्रदान करेंगे। अगले माह के दूसरे सप्ताह में इस संबंध में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

श्राइन बोर्ड श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए वचनबद्ध है। यह पालकी उसी दिशा में उठाया गया कदम है। कंपनी को 100 पालकी तैयार करने का आर्डर दे दिया गया है। जल्द ही सभी मजदूरों को यह प्रदान कर दी जाएंगी।

-अंशुल गर्ग, एडिशनल सीईओ,(श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड)


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