चूल्हे की फिक्र नहीं, भूखा नहीं जाता मेहमान
नवीन नवाज जम्मू मेहमान अब भूखा नहीं जाता। सीलन भरे एक कमरे के अपने मकान के एक हिस्से मे
नवीन नवाज, जम्मू
मेहमान अब भूखा नहीं जाता। सीलन भरे एक कमरे के अपने मकान के एक हिस्से में बनी रसोई में रखे गैस चूल्हे को दिखाते हुए कमलेश कुमारी ने कहा। जब से रसोई गैस सिलेंडर आया है, हमारे घर का माहौल बदल गया है। मुझे नहीं पता कि यह कौन सी स्कीम है, हम इसे मोदी सिलेंडर कहते हैं। शरदकालीन राजधानी से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित चट्ठा जिसका भीतरी हिस्सा एक पिछड़े गांव का आभास कराता है, में रहने वाली कमलेश कोई अकेली नहीं है।
पंजाब से सटे लखनपुर से लेकर उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर स्थित उड़ी सेक्टर में कमलेश जैसी हजारों महिलाएं हैं, जिनके लिए उज्ज्वला ने सिर्फ रसोई का माहौल ही नहीं बदला है बल्कि उनकी सोच को भी बदल कर रख दिया है, जो चुनावों में राजनीतिक समीकरणों के बदलाव का कारक हो सकता है।
राज्य में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले वाले 4.90 लाख परिवारों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। पूरी रियासत में रसोई गैस कनेक्शन की उपलब्धता 130.89 फीसद है। अलबत्ता, छह जिलों रियासी, रामबन, गांदरबल, बडगाम, किश्तवाड़ व डोडा में रसोई गैस की उपलब्धता का प्रतिशत परिवारों की संख्या के आधार पर 30 से 90 फीसद तक है। अन्य 16 जिलों में यह 94 फीसद से 205 फीसद तक है। उज्ज्वला योजना शुरू होने से पहले राज्य में करीब 60 फीसद घरों में ही एलपीजी कनेक्शन था।
अनुसूचित जाति से संबंधित कमलेश और उसके पड़ोस में रहने वाली लगभग दो दर्जन महिलाओं की कहानी और सामाजिक पृष्ठभूमि लगभग एक समान है। उसकी पड़ोसन कांता देवी ने कहा कि पहले हम खाना पकाने के लिए हीटर पर या लकड़ी के चूल्हे पर निर्भर थे। बिजली गुल होने पर खाना नहीं पकता था। मिट्टी तेल का स्टोव और लकड़ी का चूल्हा जलाना जेब जला रहा था। मेरे घर में करीब एक साल से गैस सिलेंडर है। मुझे खांसी की शिकायत अब शायद ही कभी हुई हो। सिर्फ सिलेंडर भरवाने में दिक्कत आती है। हमारे इलाके में गैस एजेंसी नहीं है और करीब आठ से दस किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। रसोई गैस आने से मेरी आर्थिक हालत सुधरी : महमूदा
जम्मू से करीब सवा चार सौ किलोमीटर दूर उड़ी सेक्टर के अग्रिम हिस्से में खिबर के पास स्थित एक गांव में रहने वाली महमूदा की जिदगी को भी उज्ज्वला ने आसान बनाया है। उसने कहा कि रसोई गैस आने से मेरी आर्थिक हालत सुधरी है क्योंकि मैं जिस स्कूल में सहायिका हूं वहां अब नियमित रूप से समय पर जाती हूं। हां, गैस सिलेंडर की सब्सिडी हर बार नहीं मिलती क्योंकि हम कई बार गांव में एक दुकानदार से ही सिलेंडर लेते हैं क्योंकि कंपनी के दफ्तर तक नहीं जा पाते और न घर तक कंपनी वाले आते हैं। मुझे मोदी सिलेंडर नहीं मिला : स्नेहा
सभी उज्ज्वला से संतुष्ट हों, ऐसा नहीं है। स्नेहा ने कहा मुझे मोदी सिलेंडर नहीं मिला है। मेरे पास राशन कार्ड नहीं था, बाकी सारे कागज थे। यही बात दलीप सिंह ने कही। उसके मुताबिक, वह गरीबी रेखा से नीचे है, लेकिन सिलेंडर बांटने का जिम्मा संभाल रहे लक्की सिंह जो स्थानीय कारपोरेटर के पति हैं, ने मना कर दिया। लक्की सिंह ने इस आरोप को नकारते हुए कहा कि कागज पूरे नहीं थे। औरतों में आया बहुत बदलाव, पूछती हैं कि पहले ऐसा क्यों नहीं था
परवेज मलिक ने कहा कि मैं हैरान हो गया, जब मैंने अपने गांव मादा में कांग्रेस, पीडीपी व भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को पर्चियां लेकर लोगों के घरों में उज्ज्वला के बारे में जानकारी देते हुए उन्हें सिलेंडर उपलब्ध कराने का श्रेय लेते हुए देखा है। औरतों में बहुत बदलाव आया है, वह पूछती है कि पहले ऐसा क्यों नहीं था। पहली बार लगा कि हमारे लिए कुछ हो रहा है : अशरफ
महमूदा और उसके पति अशरफ ने कहा कि जब घर में खाना समय पर पक रहा हो तो आपको कुछ और सोचने का भी मौका मिलता है। पहली बार हमें लगा कि हमारे लिए कुछ हो रहा है। महमूदा ने कहा कि हमें इसी तरह की योजना चलाने वाली सरकार चाहिए। अगर मेरे वोट से ऐसा होता होगा तो मैं यही करुंगी। गांव के नंबरदार व चौकीदार तक की मदद ली गई : जुल्फिकार अली
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री चौधरी जुल्फिकार अली ने कहा कि हमने कोशिश की थी कि हर जरूरतमंद को इसका लाभ मिले। इसके लिए गांव के नंबरदार व चौकीदार तक की मदद ली गई। शुरू में जब कश्मीर में कुछ जगहों पर लोगों ने भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया था, लेकिन योजना को विस्तार देने के साथ सभी शिकायतें बंद हो गई। गैस कनेक्शन की दर 130 फीसद से ज्यादा : अब्दुल रशीद
खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिवायुक्त डॉ. अब्दुल रशीद ने कहा कि पूरी रियासत में 21.2 लाख परिवार है। अगर गैस कनेक्शन की दर देखी जाए तो यह 130 फीसद से ज्यादा है। लेह में 205 फीसद है, मतलब कि वहां प्रत्येक घर में दो कनेक्शन हैं। छह जिलों में प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है और इस कोताही को सही किया जा रहा है। उज्ज्वला के तहत अब शायद ही कोई घर बचा है। कई जगह गैस एजेंसी की दिक्कत है, उसके लिए भी एक मैकेनिज्म बनाया जा रहा है।