वैष्णो देवी का दरबार भक्तों से गुलजार, 15 दिनों में ढाई लाख भक्तों ने किए दर्शन
अभी बर्फबारी बंद है परंतु ट्रैक के किनारे व पहाड़ों पर पड़ी बर्फ का आनंद श्रद्धालु अभी भी उठा रहे हैं।
संवाद सहयोगी, कटड़ा। वैष्णो देवी यात्रा को लेकर विश्व भर से आने वाले श्रद्धालुओं का उत्साह लगातार बना हुआ है। बर्फ की सफेद चादर में ढके मां वैष्णो का भवन इन दिनों भक्तों से गुलजार है। उत्साह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नए वर्ष के पहले पखवाड़े में ही अब तक करीब ढाई लाख श्रद्धालु मां भवानी के दरबार में हाजरी लगा चुके हैं। अभी भी श्रद्धालुओं का आना निरंतर जारी है।
जनवरी माह में अकसर वैष्णो देवी यात्रा में गिरावट दर्ज की जाती है। यह सिलसिला मार्च तक रहता है। इस बार ऐसा नहीं हुआ। इसका एक कारण देश भर में सुख शांति का माहौल और दूसरा श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध करवाई गई वैष्णो देवी मंदिर से भैरो घाटी के मध्य चलने वाली पैसेंजर केबल कार सेवा है। मां वैष्णो देवी के मंदिर के साथ ही त्रिकूट पर्वत पर हो रही बर्फबारी की वजह से भी श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। बोर्ड का कहना है कि श्रद्धालुओं का उत्साह इस तरह से ही बना रहेगा। उम्मीद है कि इस साल मां वैष्णो की यात्रा कई सालों का रिकार्ड तोड़ेगी।
श्रद्धालु भैरव घाटी में उठा रहे हैं बर्फबारी का आनंद
मां वैष्णो देवी के भवन के साथ ही पूरे त्रिकूट पर्वत पर हुई जबरदस्त बर्फबारी के कारण पूरा ट्रैक सफेद चादर में लिपटा हुआ है। हालांकि अभी बर्फबारी बंद है परंतु ट्रैक के किनारे व पहाड़ों पर पड़ी बर्फ का आनंद श्रद्धालु अभी भी उठा रहे हैं। मां वैष्णो देवी के अलौकिक दर्शनों के बाद श्रद्धालु पैसेंजर केबल कार में सवार होकर सीधे भैरों घाटी पहुंच रहे हैं। दर्शनों के बाद श्रद्धालु भैरव घाटी में पड़ी बर्फ का लुत्फ उठा रहे हैं। अभी भी रोजाना 15 से 20 हजार श्रद्धालु वैष्णो देवी भवन पहुंच रहे हैं। केबल कार को लेकर श्रद्धालु में इतना जबरदस्त उत्साह है कि श्रद्धालु घंटों कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। मंगलवार दोपहर 3:30 बजे तक करीब 13000 श्रद्धालु अपना पंजीकरण करवाकर वैष्णो देवी भवन की ओर रवाना हो चुके थे।
प्राचीन गुफा के दर्शन न होने से श्रद्धालु है उदास
पारंपरिक तौर पर वैष्णो देवी यात्रा में कमी के चलते श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा मकर संक्रांति के शुभावसर पर प्राचीन गुफा के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया करता था। यह इस बार संभव नहीं हो पाया। जनवरी में भी श्रद्धालुओं के भारी रश को देखते हुए प्राचीन गुफा को श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया। इससे श्रद्धालुओं को निराशा भी हुई। बोर्ड का कहना है कि जिस दिर यात्रा में कमी दर्ज की गई उस दौरान गुफा को खोल दिया जाएगा।