जम्मू : टमाटर की फसल को नुकसान न पहुंचाएं टूटा एबसोलूटा कीट, निपटने की प्रक्रिया अभी से शुरू
टमाटर के पत्तों का क्लोरोफिल चूस जाते हैं और फल के अंदर भी छेद कर पहुंच जाते हैं। टूटा एबसोलूटा महाराष्ट्र में टमाटर की फसल को बड़ा नुकसान पहुंचा चुके हैं। 2017-18 में इन कीटों ने वहां पर उत्पादक को बड़े तौर पर प्रभावित किया था।
जम्मू, जागरण संवाददाता : पिछले साल टमाटर पर आए कीट टूटा एबसोलूटा (Tu-Tom Pheromone Lure, Tuta absoluta) से अग्रिम तौर पर निपटने के लिए कृषि विभाग ने कमर कसी है। क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में टमाटर लगाने का सीजन अब नजदीक आ रहा है। ऐसे में यह कीट कहीं दोबारा से पनप न जाए, इसके लिए जमीनी स्तर पर काम हो रहा है।
पहाड़ी इलाकों में टमाटर की पनीरी लगाने का काम शुरू हो चुका है। टूटा एबसोलूटा कीट जोकि पिछले साल अगस्त माह में चनैनी के टमाटर मोड क्षेत्र के टमाटर की फसल में मिला था। इसके बाद इस पूरे क्षेत्र को इस कीट से मुक्त कराने की प्रक्रिया छेड़ी गई। क्योंकि यह कीट तेजी से एक खेत से दूसरे खेत में फैल जाते हैं।
सप्ताह भर में ही एक खेत बर्बाद कर देते हैं। इन कीटों के बारे में कहा जाता है कि यह 100 किलोमीटर तक उड़ कर जा सकते हैं। टमाटर के पत्तों का क्लोरोफिल चूस जाते हैं और फल के अंदर भी छेद कर पहुंच जाते हैं। टूटा एबसोलूटा महाराष्ट्र में टमाटर की फसल को बड़ा नुकसान पहुंचा चुके हैं। 2017-18 में इन कीटों ने वहां पर उत्पादक को बड़े तौर पर प्रभावित किया था। इसके अलावा नेपाल में भी टमाटर की फसल को बड़ा नुकसान इन कीटों द्वारा उठाना पड़ा।
प्लांट हेल्थ क्लीनिक जम्मू के इंचार्ज अरुण खजुरिया का कहना है कि टूटा एबसोलूटा कीट से निपटने की प्रक्रिया बीज से ही शुरू होती है। किसानों को रोग मुक्त बीज उपलब्ध कराया जाता है। उसके बाद समय समय पर फसलों पर दवाओं का छिड़काव किया जाता है।
किसानों को हम यह भी सलाह देते हैं कि वे खेतों में अपनी फसलें बदल बदल कर लगाएं। चूंकि यह कीट जम्मू के पहाड़ी क्षेत्रों में मिला था, लेकिन यह मैदानी इलाकों में भी आ सकता है। इसलिए नपी जुली योजना अनुसार हम लोग इस कीट के प्रबंधन की दिशा में काम कर रहे हैं।